सनातन धर्म में जन्माष्टमी का अपना एक विशेष महत्व होता है, जिसे विश्व भर में गोकुलाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना किये जाने का विधान है। हिंदू पंचांग की माने तो इस वर्ष 2020 में जन्माष्टमी का ये पावन त्योहार भाद्रपद के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाएगा। वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में आता है, जिसे पूरे भारत के साथ साथ दूसरे देशों में भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन लोग बाल कृष्ण की पूजा-आराधना करते हैं।
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कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त
जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2020 |
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दिनांक |
12 अगस्त 2020 |
नीशीथ पूजा मुहूर्त |
24:04:31 से 24:47:38 तक |
अवधि |
0 घंटे 43 मिनट |
जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त |
05:48:49 के बाद 13, अगस्त को |
इस वर्ष ये शुभ तिथि ऊपर दिए गए मुहूर्त अनुसार मनाई जाएगी। बता दें कि ये मुहूर्त दिल्ली केवल नई दिल्ली के लिए है। अगर आप अपने शहर के लिए जन्माष्टमी का मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें, जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त। इसके साथ ही समार्थ और वैष्णव लोग इस त्यौहार को अलग-अलग दिन मनाते हैं इसलिए मुहूर्त और दिन अलग-अलग हो सकते हैं।
हिन्दू मान्यताओं अनुसार श्री कृष्ण वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र थे, जिनका जन्म भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ था। उनके जन्म को लेकर कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय अर्धरात्रि में ही रोहिणी नक्षत्र में चन्द्रोदय हुआ था। यही कारण है कि जन्माष्टमी को कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, जिसे कृष्ण जयंती कहते हैं।
ऐसे मनायी जाती है जन्माष्टमी
आमतौर पर जन्माष्टमी के दिन देशभर के सभी मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण का सुंदर-सुंदर श्रृंगार किया जाता है और उनके जन्मोत्सव के लिए जगह जगह सुंदर-सुंदर झाकियां निकाली जाती हैं। इस दौरान मंदिरों में भगवान कृष्ण के बाल रुप को झूले पर बैठाकर उन्हें झूला भी झुलाए जाने का विधान है। क्योंकि माना जाता है कि इस दिन बाल कृष्ण को झूला झुलाने से वो खुश होते हैं और परिणामस्वरूप आपको मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने की भी परंपरा है, जिस दौरान रात को बारह बजे कृष्ण का जन्मोत्सव मानने के बाद ही व्रत को खोला जाता है।
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श्री कृष्ण ने ऐसे दिलाया था शकटासुर को मोक्ष
कृष्ण जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण की पूजा के दौरान लोग उनकी पौराणिक कथाओं को सुनते व दूसरों को भी सुनाते हैं। माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन उससे जुड़ी कथा सुनने भर से ही आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्ही पौराणिक कथाओं में से एक बेहद प्रचलित है। जिसके अनुसार, जब भगवान बाल कृष्ण सिर्फ तीन महीने के थे तब एक दिन मां यशोदा उन्हें उनके पालने में आंगन में सुलाकर यमुना नदी में स्नान के लिए चली गयीं थी। स्थान के बाद जब वो घर लौटकर आईं तो उन्हें वो पलंग टूटा हुआ मिला जहाँ वो श्री कृष्ण को सुलाकर गई थी। मां यशोदा के होश उस वक़्त उड़ गए जब उन्हें टूटे हुए पलंग के आस-पास कृष्ण जी नहीं मिले। लेकिन जब दोबारा उन्होंने देखा तो भगवान कृष्ण वहीं पलंग पर सोते हुए दिखाई दिए।
ऐसे में माना जाता है कि जिस दौरान मां यशोदा कृष्ण को सुलाकर स्नान के लिए यमुना नदी में गई थी तब कंस ने शकटासुन नामक राक्षस को बाल कृष्ण का वध करने के लिए उनके घर भेजा था। बाल कृष्ण को नींद में सोता देख बताया जाता है कि राक्षस शकटासुन बहुत खुश हुआ और सोते हुए ही कृष्ण जी पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर प्रहार करने लगा। इस दौरान अपनी सभी शक्तियों को बेकार होता देख जैसे ही वह श्री कृष्ण को मारने के लिए उनके पास दौड़ा, तभी बाल कृष्ण ने अपनी लीला दिखते हुए राक्षस को हवा में उछाल दिया जिस दौरान ज़मीन पर गिरते ही उसकी मौत हो गई। बताया जाता है कि भगवान विष्णु के अवतार बाल कृष्ण के हाथों मरने से ही शकटासुर राक्षस को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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