जन्माष्टमी पर बन रहे ये शुभ संयोग करेंगे आपकी हर मनोकामनाएँ पूरी!

जन्माष्टमी हिन्दुओं का सबसे प्रसिद्ध एवं प्रमुख त्यौहार है जो भारत सहित दुनियाभर में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व जगत पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। जन्माष्टमी को श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में भी जाना जाता है। इस त्यौहार को सबके प्रिय कन्हैया का आशीर्वाद पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग के माध्यम से, हम आपको जन्माष्टमी 2022 के विषय में सारी जानकारी प्रदान करेंगे,साथ ही आपको बताएँगे, इस साल जन्माष्टमी पर बनने वाले शुभ संयोगों के बारे में, तो आइये जानते हैं इस पर्व के बारे में। 

पंचांग के अनुसार,  जन्माष्टमी को प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, सामान्यरूप से, यह पर्व अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ता है। इस दिन कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। कई स्थानों पर जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, कृष्णाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठें, श्रीजी जयंती और श्रीकृष्ण जयंती के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि संसार से पाप एवं अत्याचारों को समाप्त करने के लिए, भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था। 

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जन्माष्टमी 2022 की तिथि एवं पूजा मुहूर्त

19 अगस्त 2022, शुक्रवार

जन्माष्टमी मुहूर्त्त 

निशीथकाल पूजा मुहूर्त: 24:03:00 से 24:46:42 तक

अवधि: 43 मिनट

जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त: 05:52:03 के पश्चात (20 अगस्त)

जन्माष्टमी पर बन रहे हैं ये विशेष संयोग

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2022 की जन्माष्टमी कई मायनों से बेहद ख़ास होने वाली है क्योंकि इस त्यौहार पर वृद्धि योग और ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इन दोनों योगों को भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। जन्माष्टमी पर बनने वाले वृद्धि योग में किसी भी कार्य को करने से उस कार्य में सफलता की प्राप्ति होती है। 

वृद्धि योग का प्रारंभ: 17 अगस्त 2022 को रात 08.56 बजे से,

वृद्धि योग की समाप्ति:18 अगस्त 2022 को रात 08.41 बजे। 

धुव्र योग का प्रारंभ: 18 अगस्त 2022 को रात 08.41 बजे से,

धुव्र योग की समाप्ति:19 अगस्त 2022 को रात 08.59 बजे तक।

लग्नाधी योग :- इस योग में सूर्य अपनी राशि में गोचर कर रहे है जो कि बहुत अच्छा योग है क्योंकि सूर्य चरित्र और आत्मा का कारक है तथा सरकारी नौकरियों और सरकारी कार्यों को भी सूर्य ही रिप्रेजेंट करता है। ऐसे में इस दिन सभी को यह सलाह दी जाती है कि सूर्य को तांबे के लोटे में लाल रोली डालकर जल जरूर अर्पित करें। 

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जन्माष्टमी का महत्व 

भगवान विष्णु के 8वें अवतार भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में पृथ्वी को दुष्ट कंस के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए धरती पर जन्म लिया था। मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा का विधान है। इस दिन बाल गोपाल की मध्यरात्रि में पूजा-अर्चना करने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं। श्रीकृष्ण के जन्म की ख़ुशी में भक्तों द्वारा घर और मंदिरों की विशेष सजावट की जाती है। 

जन्माष्टमी पर भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं, बाल गोपाल का पंचामृत से अभिषेक करते हैं, और अपने कन्हैया का आशीर्वाद पाने के लिए रात भर मंगल गीत गाते हैं। इस दिन कृष्ण जी की पूजा-अर्चना करने से दीर्घायु, सुख-समृद्धि तथा संतान की प्राप्ति होती है। जन्माष्टमी पर विशेष रूप से गौ सेवा और पूजा अवश्य करनी चाहिए, ऐसा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। 

जन्माष्टमी व्रत की पूजा विधि

अपने आराध्य श्रीकृष्ण की कृपा दृष्टि प्राप्त करने के लिए, भक्त जन्माष्टमी का कठोर उपवास करते हैं। श्रद्धापूर्वक किये गए व्रत को सफल बनाने के लिए, जन्माष्टमी व्रत की पूजा को विधिपूर्वक करना चाहिए जो इस प्रकार हैं:

  • जन्माष्टमी के दिन जातक को प्रातःकाल उठकर स्नानादि कार्यों को करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 
  • घर के मंदिर में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को स्थापित करें। 
  • लड्डू गोपाल को धूप एवं दीपक दिखाएं और फल व मिठाई अर्पित करें। जिस भी प्रसाद का भोग लगाएं उसमें तुलसीदल डालकर ही भोग लगाएँ तभी भगवान को प्रसाद अर्पित किया जाता है।
  • आप भगवान कृष्ण को मखाना और मिश्री का भी भोग लगा सकते हैं।
  • लड्डू गोपाल को खीर बहुत पसंद होती है तो आप बाल गोपाल को खीर का भोग लगाकर प्रसन्न कर सकते है। 
  • इसके पश्चात, भगवान की मूर्ति को किसी थाली या पात्र में रखकर उनका पंचामृत से अभिषेक करें, फिर गंगाजल से स्नान कराएं। 
  • अब श्रीकृष्ण को नए वस्त्र पहनाएं और उनका श्रृंगार करें। 
  • इसके बाद, उनका अष्टगंध चन्दन या रोली से तिलक करते हुए अक्षत अर्पित करें, साथ ही उनका पूजन करें।
  • श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री व पंजीरी का प्रसाद के रूप में भोग अवश्य लगाएं। इनके भोग में तुलसी का पत्ता मिश्रित गंगाजल भी शामिल करें। 
  • सबसे अंत में, भगवान के बाल स्वरूप की आरती करें और परिवारजन में प्रसाद वितरित करें।  

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जन्माष्टमी पर करें इन मंत्रों का जाप

।। ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय नमः।। 

ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे,

सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधिराम

(हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ( इस दिन आपको इस मंत्र की 16 माला जपनी चाहिए )

जन्माष्टमी पर किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान

मथुरा-बरसाने की जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी पर एक अलग ही रौनक दिखाई देती है। इस दिन, यहाँ पर मुख्य रूप से रासलीला एवं श्रीकृष्ण लीलाओं का मंचन किया जाता है। 

दही हांड़ी महोत्सव: दही हांड़ी को मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात मे बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। दही और हांड़ी का अर्थ मिट्टी से बना पात्र जैसे मटका/मटकी आदि। दही हांड़ी के पीछे मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल्य काल में ग्वालों के साथ घर-घर जाकर दूध, दही, मक्खन आदि की मटकियां फोड़ा करते थे। उस समय से ही दही-हंडी महोत्सव को मनाने की परंपरा शुरू हुई।

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जन्माष्टमी के दिन भूल से भी न करें ये काम

इस दिन ज़्यादा से ज़्यादा कोशिश करें कि भोजन में अन्न का प्रयोग ना करें, जो भोजन आप एकादशी के व्रत में ग्रहण करते हैं वही भोजन आपको जन्माष्टमी के दिन भी भोग लगाकर  ग्रहण करना है जैसे कुट्टू की रोटी, आलू की सब्जी,कुट्टू के पकोड़े,दही आदि! 

  1. जन्माष्टमी तिथि पर किसी भी व्यक्ति का अपमान बिल्कुल नहीं करें, सभी से विनम्रता और प्रेम के साथ व्यवहार करें। 
  2. वैदिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी व्रत में श्रीकृष्ण के जन्म होने तक यानि रात 12 बजे तक व्रत का पालन करते हुए अन्न खाने से बचना चाहिए। 
  3. जन्माष्टमी के अवसर पर व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  4. आप कोशिश करें कि इस दिन आप किसी दूसरे को भी अन्न का दान ना करें। 

योग

जयंती योग: ये तो आप भी जानते है कि भगवान कृष्ण कि वृषभ राशि है और रोहिणी नक्षत्र है तो इस बार भी यही संयोग बन रहे हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी वाले दिन बन रहा यह योग बहुत दुर्लभ और बहुत ही महत्वपूर्ण योग है इसलिए इस योग में जो भी शिशु जन्म लेंगे उनमे कृष्ण भगवान जैसे गुण होंगे ऐसा शास्त्रों में माना जाता है। ऐसी संतान समाज में सुप्रतिष्ठित होंगी, एक नई मिसाल कायम करेंगी, तथा अनेको में अनेक होगा। बाकी जातको को भी इस दिन व्रत करने कि सलाह दी जाती है।

जन्माष्टमी के अवसर पर किए जाने वाले अचूक उपाय 

 ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी की रात्रि मोह रात्रि मानी जाती है क्योंकि भगवान कृष्ण सम्मोहन और आकर्षण के सबसे बड़े देवता हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और उनकी पत्नी माता लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती है इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन कुछ ऐसे अचूक उपाय किए जाते हैं जिससे मां लक्ष्मी की अपने भक्तों पर कृपा बनी रहती तथा माता लक्ष्मी अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण अवश्य करती हैं। आइए जान लेते हैं उन उपायों के बारे में: 

1. स्नानादि के बाद आप पीले फूलों की माला भगवान कृष्ण को चढ़ाएं इससे माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहती है।

2. भगवान कृष्ण को पितांबर धारी भी कहा गया इसलिए जन्माष्टमी के दिन आप भगवान कृष्ण को पीले फल,पीला पीले,वस्त्र पीले,पुष्प तथा  पीली मिठाई अर्पित करें। ऐसा करने से आपको धन और यश की कभी भी कमी नहीं होती। 

3. भगवान कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन साबूदाना, सफेद मिठाई, तथा खीर का भोग लगाएं। खीर में चीनी डालने की बजाय आप ताल मिश्री का प्रयोग करें तो ज्यादा अच्छा है तथा खीर के ठंडे होने के बाद भगवान को तुलसी पत्ता डालकर भोग लगाएं। इससे आपको कभी भी धन और ऐश्वर्या की कमी नहीं होगी।

4. प्रेम संबंधों में सफल होने के लिए आप जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को पीली माला अर्पित कीजिए, खोए की सफेद मिठाई अर्पित कीजिए, शहद अर्पित कीजिए तथा ताल मिश्री अर्पित करके भगवान कृष्ण से प्रार्थना कीजिए कि आप अपने प्रेम संबंधों में सफल अवश्य हों।

5. सभी चीजों में भगवान का सबसे प्रिय माखन मिश्री है तो माखन मिश्री का प्रसाद भगवान कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन भोग में उपयोग करना ना भूलें तथा इस उपाय से माताओं और बहनों के संतान योग भी जरूर बनते हैं।

6. जन्माष्टमी के दिन रात को 12:00 बजे श्री कृष्ण के जन्म के समय आप को दूध में केसर तथा तुलसी पत्ता डालकर भगवान कृष्ण का अभिषेक करना है इससे मां लक्ष्मी आपका घर कभी भी छोड़कर नहीं जाती हैं और सदा आपके घर में बरकत बनाए रखती हैं।  

7. जो प्रेमी प्रेम विवाह करना चाहते हैं वह इस दिन भगवान कृष्ण को पानी वाला नारियल तथा केले अर्पित करके अपने मन में यह प्रार्थना कर सकते हैं कि हमारा विवाह अपने प्रेमी / प्रेमिका से हो तथा इस मंत्र का जप भी अवश्य करें। (ॐ क्लीम कृष्णाय गोविंदाऐ वासुदेवाय गोपीजन वल्लभाये)। इस उपाय से आपको अपने प्रेम की प्राप्ति जरूर होती है। 

8. जन्माष्टमी वाले दिन से 27 दिन लगातार अगर आप जटा वाला नारियल तथा 11 बादाम तुलसी पत्ता डालकर भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं तो आपके सभी काम निर्विघ्नं पूर्ण होंगे।

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राशि अनुसार भगवान कृष्ण को अर्पित करें ये वस्तुएँ- 

1. मेष राशि वालों को भगवान को लाल पुष्प  समर्पित करने चाहिए तथा लाल वस्त्र पहनाने चाहिए। 

2. वृषभ राशि के जातकों को भगवान को खोए के पेड़े तथा सफेद (दूधिया) रंग के वस्त्र पहनाने चाहिए।

3. मिथुन राशि वालों को पीले पुष्प, पीली मिठाई, तथा पीले वस्त्र भगवान को अर्पित करने चाहिए तथा माखन मिश्री भी अर्पित करनी चाहिए। इसमें तुलसी पत्ता अवश्य शामिल करें।

4. कर्क राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को इस दिन सूखे धनिए का प्रसाद जरूर अर्पित करना चाहिए। इससे उनके घर में समृद्धि आती है।

5. सिंह राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को इस दिन मेवे का भोग लगाना है। इससे उनको नव ग्रह शांति में लाभ होगा।

6. कन्या राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को  कमलगट्टे की माला अर्पित करनी चाहिए तथा गुलाबी  वस्त्र  समर्पित करने चाहिए।

7. तुला राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को पान का भोग अर्पित करना चाहिए। इससे उनके व्यापार में वृद्धि होगी।

8. वृश्चिक राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को लकड़ी की बांसुरी अर्पित करनी चाहिए। इससे उनके बिगड़े हुए सभी काम बनने लग जाएंगे।

9. धनु राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को लाल चंदन से स्नान करवाना चाहिए। इससे उनके मांगलिक दोष में काफी शांति होगी।

10. मकर राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को  चांदी के बर्तनों में प्रसाद डालकर तथा तुलसी पत्ता डालकर भोग अर्पित करना चाहिए।

11. कुंभ राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को मटकी में माखन मिश्री डालकर और उस पर तुलसी पत्ता डालकर भोग अर्पित करना चाहिए। इससे भगवान उनके सभी दुख हर लेते हैं।

12. मीन राशि के जातकों को भगवान कृष्ण को गले में पीला पटका पहनना चाहिए इससे। उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है तथा मां लक्ष्मी उन पर पूरी कृपा बरसाती है।

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