जल और ज्योतिष शास्त्र: जल तत्व राशियों की विशेषता और अवगुण-जान लें सबकुछ!

हम शायद जिस जल के महत्व को आजतक समझ ही नहीं पाए हैं उसके महत्व का वर्णन करते हुए हमारे ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्षों पहले ही कहा था कि, “वृक्षाद् वर्षति पर्जन्य: पर्जन्यादन्न सम्भव:”, अर्थात वृक्ष जल है, जल अन्न है, और अन्न ही जीवन है।

साथ ही महाभारत में वर्णित एक श्लोक के अनुसार,, 

पानीयं परमं लोके जीवानां जीवनं समृतम्।

पानीयस्य प्रदानेन तृप्तिर्भवति पाण्डव।

पानीयस्य गुणा दिव्याः परलोके गुणावहाः।। 

अर्थात: इस संसार में जल से ही सभी प्राणियों को जीवन मिलता है। इसके अलावा जल का दान करने से प्राणियों की तृप्ति होती है। जल में अनेकों दिव्य गुण मौजूद होते हैं और यह गुण परलोक में भी लाभ प्रदान करते हैं।

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जल के महत्व को समझाने के लिए और हमारे जीवन में जल को संरक्षित करने की सीख देने के लिए समय-समय पर ढेरों कैंपेन आदि शुरू किए जाते हैं। हिंदू धर्म में कई ऐसे व्रत और त्योहार भी होते हैं जो हमें हमारे जीवन में जल के महत्व को बताते हैं। 

आज अपने इस विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे कौन से हैं वो व्रत और त्योहार, साथ ही जानेंगे जल और ज्योतिष शास्त्र का संबंध। इसके साथ ही जल तत्व की राशि पर भी हम इस ब्लॉग के माध्यम से प्रकाश डाल रहे हैं। तो इन सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को जानने के लिए यह विशेष अंक अंत तक अवश्य पढ़ें।

हिंदू व्रत त्योहार सिखाते हैं जल का महत्व

सनातन धर्म के तमाम ऐसे व्रत और त्योहार होते हैं जो हमें जल का महत्व बताते हैं। हिंदू कैलेंडर का ज्येष्ठ माह जल के महत्व को समझाने के लिए समर्पित माना गया है। कहा जाता है कि ज्येष्ठ  महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन यदि व्यक्ति बिना अन्न और जल के निर्जला एकादशी का व्रत करे तो उसके जीवन में सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

इस व्रत का महत्व बताते हुए पद्मपुराण में लिखा गया है कि, ‘पानी की अहमियत समझाने और उसका दुरुपयोग रोकने के लिए निर्जला एकादशी का व्रत बेहद ही उत्तम होता है।’ इसके साथ यहां इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है क्योंकि यह व्रत भीषण गर्मी के दौरान किया जाता है और इस दिन पानी नहीं पीना होता है ऐसे में कहीं ना कहीं यह व्रत इस बात की सीख भी देता है कि जल के बिना रहना कितना कठिन होता है इसीलिए हमें पानी को बचाने की सीख मिलती है। 

महाभारत, स्कंद पुराण, और पद्मा पुराण में भी कहा गया है कि, ‘निर्जला एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में हर तरह के पाप और दुख दूर होते हैं, सुख समृद्धि बढ़ती है, और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल और जल दान का विशेष महत्व बताया गया है।

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सिर्फ निर्जला एकादशी ही नहीं, ये हिन्दू पर्व भी समझाते हैं जल का महत्व 

हिंदू संस्कृति में मनाए जाने वाले तीज, त्योहार, और व्रत आदि की विशेषता यही होती है कि इनसे हमारे जीवन में भगवान का आशीर्वाद तो मिलता ही है साथ ही हमारे जीवन में खुशियां आती हैं और यह हमें हमारे पर्यावरण और आसपास की प्रकृति के प्रति सजग भी बनाते हैं। ऐसे में हमने अभी तक बात की निर्जला एकादशी पर जल के महत्व की, आइए अब आपको बताते हैं 10 ऐसे भारतीय पर्वों के बारे में जो हमें जल के महत्व को समझाते हैं:  

  • वरुथिनी एकादशी: इस दिन जल दान का महत्व बताया गया है। साथ ही क्योंकि यह एकादशी वैशाख माह में आती है ऐसे में इस दिन प्याऊ लगवाने से महायज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। 
  • अक्षय तृतीया: इस दिन जल की मटकी का दान का विशेष महत्व बताया गया है। अक्षय तृतीया के दिन जल दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। 
  • निर्जला एकादशी: निर्जला एकादशी का व्रत पंचतत्व के प्रमुख तत्व जल की महत्वता को निर्धारित करने वाला सबसे उत्तम व्रत माना गया है। 
  • प्रदोष व्रत: इस दिन शिवजी को जल चढ़ाया जाता है और हमारे लेखों में वर्णित है कि शिव ने स्वयं यह संदेश दिया था कि, “मैं स्वयं जल हूँ”। 
  • गंगा सप्तमी: गंगा सप्तमी व्रत को सबसे अधिक पवित्र और जीवनदायिनी माना जाता है। 
  • गंगा दशहरा: (09 जून, 2022) ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला गंगा दशहरा भी हमें जल के महत्व को बताता है। इस दिन निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है और साथ ही इस पूरे महीने में जल दान का महत्व बताया गया है। 
  • सूर्य देव की पूजा: सूर्यदेव की पुजा में भी जल का महत्व होता है। कहते हैं सूर्य देवता को अर्घ्य समर्पित करने से व्यक्ति के रोग दूर होते हैं। 
  • वैशाख पूर्णिमा: वैशाख पूर्णिमा के दिन पितरों के तर्पण के रूप में जल का महत्व बताया गया है। इस दिन जल दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
  • केवट जयंती: निषाद और मछुआरे समाज के लोग श्री राम के साथ ही इस दिन जल की पूजा भी करते हैं। 
  • वट सावित्री व्रत: वट सावित्री व्रत के दिन बरगद की पूजा की जाती है और उसमें जल अर्पित करने का विशेष महत्व बताया गया है।

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जल और ज्योतिष शास्त्र

ज्योतिष में जिन 12 राशियों का जिक्र होता है उन्हें अलग-अलग तत्वों के आधार पर चार भागों में बांटा गया है। यह 4 तत्व अग्नि, पृथ्वी, वायु, और जल होते हैं। माना जाता है कि जो राशि जिस भी तत्व में आती है उसका स्वभाव उसी तत्व के गुण के अनुसार होने लगता है। 

बात करें जल तत्व की राशियों की तो 12 में से 3 राशियां कर्क राशि, वृश्चिक राशि, और मीन राशि जल तत्व की राशि है। 

जल तत्व राशियों की विशेषता

सबसे पहले बात करें जल तत्व की इन 3 राशियों के गुण और विशेषता की तो इन राशियों का स्वभाव जल की तरह होता है। यह राशियां आत्म विश्लेषण, खोज, एवं चीजों को ग्रहण करने की विशेष क्षमता से भरपूर होती हैं। साथ ही इन राशियों का चंद्रमा से भी गहरा संबंध होता है। यह राशियां ज्ञान, उदारता, और कल्पना शक्ति से भी लबरेज होती हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि यह 3 राशियां जिस भी काम में जुट जाती है उसमें सफलता अवश्य प्राप्त करती हैं।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कहा जाता है कि, जल केवल व्यक्ति के जीवन का आधार ही नहीं होता बल्कि व्यक्ति की भावनाओं और क्षमता और आध्यात्मिकता को निर्धारित करने के लिए भी जाना जाता है। ऐसे में यदि व्यक्ति के अंदर जल तत्व की कमी होने लगे तो इससे आलस्य और तनाव उत्पन्न होने लगता है। इसके लिए कुछ उपाय बताए जाते हैं उन्हें करने से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और समृद्धि पुनः आने लगती है।

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ग्रहों के शुभ परिणाम दिलाएँगे ये अचूक उपाय

  • आपके घर में जो भी आए उसे पानी अवश्य पिलाएं। ऐसा करने से राहु शुभ फल प्रदान करते हैं। 
  • रोज सुबह उठने के बाद घर में लगे पौधों में पानी डालें। ऐसा करने से कुंडली में मौजूद बुध, शुक्र, सूर्य, और चंद्रमा ग्रह शुभ परिणाम देते हैं। 
  • घर का मंदिर कभी भी गंदा नहीं रखें। 
  • सूर्य के शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए रोजाना स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य अवश्य दें।
  • अनावश्यक पानी बर्बाद करने से चंद्रमा रुष्ट हो जाते हैं। ऐसे में इस बात का ध्यान रखें।

जल तत्व की 3 राशियों की विशेषता और अवगुण

  • कर्क राशि: (राशि स्वामी चंद्रमा)- इस राशि के जातक कल्पनाशील होते हैं, दयालु प्रवृत्ति के होते हैं, सुंदर होते हैं, और ज्ञान से परिपूर्ण होते हैं। हालांकि इनका वैवाहिक और प्रेम जीवन कुछ खास अच्छा नहीं होता है। साथ ही यह लोग बेहद ही भावनात्मक स्वभाव के होते हैं। आप किसी जानकार व्यक्ति से परामर्श करके ओपल या मोती रत्न धारण कर सकते हैं। इससे आपको शुभ परिणाम मिलेंगे।
  • वृश्चिक राशि: (राशि स्वामी मंगल)- इस राशि के जातक कला, लेखन, शिक्षा, और राजनीति में अच्छा नाम कमाते हैं। इसके अलावा ये लोग अच्छे डॉक्टर भी साबित होते हैं। हालांकि इनके जीवन में कई बार माता का सुख नहीं मिल पाता है। इस राशि के जातक जिद्दी, स्वाभिमानी और क्रूर होते हैं। इस राशि के जातकों को जीवन साथी बेहद ही अच्छे मिलते हैं। आप किसी विद्वान पंडित से परामर्श करके माणिक्य, या मूंगा रत्न धारण कर सकते हैं।
  • मीन राशि: (राशि स्वामी गुरु बृहस्पति)- जल तत्व की तीसरी राशि में नस के जातक ज्ञान कला शिक्षा में अच्छा ज्ञान रखते हैं वही ऐसे लोग जीवन में सही करियर अपना कर खूब तरक्की भी हासिल करते हैं। हालांकि अवगुण की बात करें तो इस राशि के जातकों का दिल हर छोटी बड़ी चीज पर आ जाता है जो कई बार इनके लिए परेशानी की वजह भी बन सकता है। आप ज्योतिषीय सलाह पर पुखराज, मोती या पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं।

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