भारत में चमत्कारी मंदिरों की कमी नहीं है। हमारे देश में ऐसे-ऐसे चमत्कारी मंदिर मौजूद हैं जिनके चमत्कारों के बारे में जान कर लोगों का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह जाता है। इसमें से कई मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध होते हैं और कई मंदिर गुमनामी में ही रह जाते हैं। ऐसे में हमारी यह कोशिश रहती है कि आप तक उन मंदिरों की बात भी पहुंचाई जाए जो चमत्कारी तो हैं लेकिन प्रसिद्ध नहीं हैं।
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भविष्य किसने देखा है? कल क्या होने वाला है इस बात की जानकारी मनुष्य तो फिर भी चाहे पता कर ले लेकिन अगर मंदिर भविष्य के संकेत देने लगे तो यह आश्चर्य ही माना जाएगा। लेकिन कानपुर में एक मंदिर ऐसा है जो भविष्य बताता है। इन्सानों का नहीं, मौसम का। जी हाँ! सही पढ़ा आपने और आज हम आपको इस लेख में उसी चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके चमत्कार का रहस्य अभी तक किसी को पता चल नहीं पाया है।
कानपुर का जगन्नाथ मंदिर
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर से 57 किलोमीटर दूर घाटमपुर तहसील के भीतरगांव ब्लॉक के बेहटा गांव में मौजूद है भगवान जगन्नाथ का यह अति प्राचीन और चमत्कारी मंदिर। कानपुर के इस जगन्नाथ मंदिर की खास बात यह है कि ये मंदिर उस इलाके में बारिश की पूर्व सूचना दे देता है।
लोगों की मानें तो मंदिर के शिखर पर एक अति प्राचीन पत्थर लगा हुआ है जिससे बरसात से 15-20 दिन पूर्व पानी टपकने लगता है। यह प्रक्रिया तब होती है जब पूरे इलाके में चिलचिलाती धूप की वजह से भीषण गर्मी पड़ती है। आश्चर्य की बात ये है कि मंदिर के छत से भारी बरसात में पानी नहीं टपकता है। ऐसा क्यों और कैसे होता है इस बात का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। आसपास के ग्रामीण इसे भगवान का चमत्कार ही मानते हैं और बहुत हद तक फसल की कटाई और बुआई पर इस मंदिर की भविष्यवाणी पर निर्भर करते हैं।
मंदिर के इस पत्थर से टपकने वाली बूंदों से न सिर्फ बारिश का पता चलता है बल्कि बारिश की बूंदों से बारिश कैसी होने वाली है, इसका भी पता चलता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कम बारिश के समय पत्थर से छोटी बूंदें टपकती हैं और ज्यादा बारिश के समय इसकी बूंदें मोटी हो जाती हैं।
बेहद पुराना है यह मंदिर
कानपुर का यह जगन्नाथ मंदिर अति प्राचीन है और पुरातत्व विभाग के अंदर आता है। बताया जाता है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार 11 वीं शताब्दी में हुआ था लेकिन यह मंदिर इससे भी पुराना है। मंदिर कितना पुराना है इस पर कोई भी राय अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन एक अनुमान के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में हुआ है। यह मंदिर किसी बौद्ध मठ की तरह नजर आता है और इसकी दीवारें लगभग 14 फीट मोटी हैं।
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मंदिर के गर्भगृह में मौजूद है भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा
कानपुर के जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा विराजमान है। भगवान जगन्नाथ के अलावा यहाँ भगवान बलदाऊ और सुभद्रा देवी भी विराजमान हैं। ये तीनों ही प्रतिमा काले चिकने पत्थर से निर्मित हैं। मंदिर के गर्भगृह में ही वो चमत्कारी पत्थर मौजूद है जिससे पानी टपकने पर बारिश की भविष्यवाणी की जाती है। इस मंदिर से भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर की ही तरह प्रत्येक साल रथ यात्रा निकाली जाती है जिसमें स्थानीय लोग भी हिस्सा लेते हैं।
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