5 नवंबर को मनाई जाएगी जगद्धात्री पूजा, जानें महत्व और पूजा विधि !

देवी दुर्गा के अनेकों रूप है, इनमें एक ऐसा रूप भी जिनके बारे में बहुत सारे लोगों को जानकारी नहीं है, और वो है उनका “जगद्धात्री“ स्वरुप। 5 नवंबर, मंगलवार को जगद्धात्री पूजा मनाई जाएगी। जगद्धात्री दुर्गा का ही एक रूप हैं। “जगत्” और “धात्री” दो शब्दों से मिलकर बने “जगद्धात्री” का अर्थ होता है, जगत की रक्षिका। यह सिंहवाहिनी चतुर्भुजा, त्रिनेत्रा और रक्तांबरा हैं। शक्तिसंगमतंत्र, उत्तर कामाख्यातंत्र, भविष्यपुराण स्मृतिसंग्रह और दुर्गाकल्प आदि जैसे ग्रंथों में जगद्धात्री पूजा का उल्लेख मिलता है। शरद ऋतू के प्रारम्भ में जगद्धात्री पूजा का विधान है।   

ऐसा है माँ जगद्धात्री का रूप 

कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को इनकी पूजा की जाती है। माँ जगद्धात्री के रंग की बात तो प्रातः काल के सूर्य की लालिमा के समान है। माँ की तीन आँखे और चार हाथ हैं, जिनमें माँ जगद्धात्री ने शंख, तीर, धनुष और चक्र धारण की हुई है। माँ लाल वस्त्र और श्रृंगार धारण करती है, साथ ही माँ की सवारी सिंह है। माँ जगद्धात्री का रूप बहुत मोहक है। माँ जगद्धात्री तंत्र विद्या की देवी मानी जाती हैं।

जगद्धात्री पूजा का महत्व 

जगद्धात्री पूजा के समय कई जगहों पर मंदिरों को सजाया जाता है, और साथ ही मेले का आयोजन भी होता है। मंदिरो में प्रातः काल माँ की पूजा की जाती है, जबकि संध्या में भक्तजन आरती-अर्चना करते हैं । कई जगहों पर तो माँ की झांकी भी निकाली जाती है।  ऐसा माना जाता है कि सच्चे मन से माँ जगद्धात्री की पूजा करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है, इसीलिए इनकी पूजा बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ की जाती है। जगद्धात्री पूजा विशेष रूप से उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और बिहार के मधुबनी में बड़े धूमधाम से मनाते है। 

ऐसे करें माँ जगद्धात्री की पूजा 

  • जगद्धात्री पूजा के दिन प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर माँ जगद्धात्री व्रत का संकल्प लें। 
  • सबसे पहले माँ की प्रतिमा को साफ़ कर, उन्हें लाल वस्त्र अर्पित करें। 
  • उसके बाद माँ का श्रृंगार करें। 
  • श्रृंगार करने के बाद माँ की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। 
  • माँ की पूजा में लाल रंग के फूल, चंदन, सिंदूर, दूर्वा, जल का इस्तेमाल करें। उसके बाद माँ को मिठाईओं और फल का भोग लगाएं। 
  • माँ की धुप-दीप से आरती करें। 
  • पूजा सम्पन्न होने के बाद माँ से परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। 
  • जगद्धात्री पूजा के दिन निराहार रहें और संध्या आरती के बाद फलाहार करें। 
  • अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत खोलें। 

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