करोगे योग रहोगे निरोग
“योग” आत्मा के परमात्मा से मिलन की एक साधना है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है योग का अर्थ होता है जुड़ना अथवा मिलना। लेकिन योग को सिर्फ शाब्दिक अर्थ तक सीमित करना सही नहीं है क्योंकि यह अपने आप में एक सम्पूर्ण विज्ञान है । योग को अपनाकर एक इंसान अपने कर्मों और क्रियाओं को संतुलित करता है। चूँकि योग आत्मा का परमात्मा से मिलन है, इसलिए यह किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से योगी बना सकता है। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। तो आइये इस विशेष मौके पर जान लेते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और इस दिन के नियम और सावधानियां।
समय समय पर अलग अलग योगियों ने योग को अलग अलग रूप में परिभाषित किया है। कहा जाता है कि चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग कहलाता है अर्थात यह कहा जा सकता है कि मन, मस्तिष्क और शरीर को नियंत्रित करते हुए शांत रखना ही योग है।
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सामान्यतः योग को सिर्फ़ व्यायाम, योगासन, प्राणायाम और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने की क्रिया समझा जाता है लेकिन पुराणों में योग के बारे में लिखा गया है कि प्राण, मन और इन्द्रियों का एक होते हुए, एकाग्रावस्था को प्राप्त कर लेना और बाहरी विषयों से विमुख होकर इन्द्रियों का मन में और मन का आत्मा में लग जाना एवं प्राण का निश्छल हो जाना ही योग है ।
योग के अन्य सभी आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभों के अलावा, सबसे बड़ी बात यह है कि यह हमारे आंतरिक मस्तिष्क के कामकाज को सही तरीके से आकार देता है। हाल के एक अध्ययन के अनुसार, यह एक सिद्ध तथ्य है कि रोजाना 20 मिनट तक योग का अभ्यास करने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में सुधार होता है और बच्चों को विभिन्न कार्यों पर बेहतर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
योग न केवल तनाव को कम करके लचीलापन बढ़ाता है, बल्कि अनिद्रा से पीड़ित लोगों की भी मदद करता है। तनाव के स्तर में वृद्धि के कारण आजकल किशोरों में यह स्थिति आम है। सोने से पहले सही प्रकार के गद्दे पर किए गए कुछ योगासन, आपको अच्छी नींद दिलाने में मददगार साबित हो सकते है।
बच्चों के लिए क्यों है योग ज़रूरी ?
जीवन में कुछ भी हासिल करने के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है। प्रतिदिन योग का अभ्यास करने से धैर्य बढ़ता है, क्रोध कम होता है और ध्यान बनाए रखने की क्षमता में सुधार होता है। ये सभी एक अनुशासित जीवन जीने के लिए बेहद ज़रूरी हैं। योग हमारे शरीर को मजबूत करने और हमारी भावनाओं को संतुलित करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह बहुत सारे आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करता है।
किशोरावस्था में लोगों के लिए योग के लाभों को समझना और अनुभव करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निश्चित रूप से जीवन के विभिन्न पहलुओं में उनकी मदद करेगा। स्कूल कभी-कभी बच्चों के लिए तनावपूर्ण हो सकते है, खासकर परीक्षा के दबाव और व्यक्तिगत चुनौतियों के कारण। योग शांत स्वभाव को बनाए रखने में मदद करता है, ताकि बच्चे तनावपूर्ण परिस्थितियों में घबराएं नहीं, और शांतिपूर्ण और विचारशील तरीके से उनका सामना कर सकें।
योग किशोरों को उनकी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता एक शक्तिशाली हथियार है जिसे चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कम उम्र में सीखने की जरूरत है। योग बच्चों को उनकी भावनाओं से जोड़ने के अलावा उनके अन्दर आत्म-प्रेम और आत्म-स्वीकृति भी विकसित करता है।
योग के प्रकार
- राज योग – इसका अर्थ ध्यान लगाने से होता है । इसमें कुल आठ अंग – यम (शपथ), नियम (अनुशासन), प्राणायाम (सांस नियंत्रण), प्रत्याहार (इन्द्रियों का नियंत्रण), धारण (एकाग्रता), ध्यान (मैडिटेशन)और समाधि (परमानन्द) होते है, इसलिए इसे अष्टांग योग भी कहा जाता है ।
- कर्म योग – इसका अर्थ सेवा के मार्ग से है । यह हमें नकरात्मक विचारों और स्वार्थ से दूर रहना सिखाता है । फल की इच्छा किए बिना केवल अपना कर्म करते रहना और दूसरों की सेवा करना ही कर्म योग है ।
- भक्ति योग – इसमें भक्ति के मार्ग का वर्णन किया जाता है। यह मन का योग है जिसमे परमात्मा में ध्यान लगाना और सभी को उसकी संतान मानते हुए सहिष्णुता का भाव रखना ही उस परम शक्ति की सच्ची साधना है ।
- ज्ञान योग – यह योग का सबसे कठिन प्रकार है । इसमें खुद को सांसारिक आडम्बरों से मुक्त करना और बौद्धिक शक्ति का विकास शामिल है। खुद को सद्भाव और एकीकरण की भावना से जागृत करना ही ज्ञान योग है ।
योग करने से होने वाले लाभ
- मानसिक और शारीरिक तनाव कम होता है ।
- शरीर स्वस्थ और आत्मा प्रसन्न रहती है ।
- जीवन में सकारात्मक विचारों का संचार होता है ।
- शरीर में स्फूर्ति और ऊर्जा बनी रहती है ।
- रक्तचाप,शुगर, डिप्रेशन और ह्रदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों को रोकने में है कारगर ।
- मेटाबोलिज्म बढ़ाता है और कोलेस्ट्रोल कम करता है ।
- चिंताओं से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है ।
- सहनशीलता में वृद्धि होती है तथा नींद न आने की समस्या से निजात मिलता है ।
- वज़न संतुलित रहता है ।
- कोर क्षमता बढ़ती है, श्वसन क्रिया ठीक रहती है और मांसपेशियां मज़बूत बनती है ।
योग करने के नियम
- योग करने का सही समय प्रातःकाल सूर्योदय से पहले का माना जाता है किन्तु यदि ऐसा न हो पाए तो संध्याकाल में भी किया जा सकता है ।
- योग हमेशा खुले स्थान जो हवादार हो में मैट या दरी बिछा कर करने से उत्तम परिणाम मिलते है।
- अगर आप पहली बार योगाभ्यास कर रहे हैं तो किसी अनुभवी गुरु की देखरेख में किया जाना चाहिए ।
- योगाभ्यास हमेशा खाली पेट करना चाहिए । यदि आप सांय काल में कर रहे हैं तो दिन के खाने से योग तक 3-4 घंटे का समय हमेशा रखें।
- आसन करते समय श्वशन क्रियाएँ करना लाभकारी सिद्ध होता है।
- किसी भी आसन को करते हुए यदि दर्द का आभास हो तो उसे तुरंत रोक दें आगे न बढ़ाएं ।
- योग करने के बाद आधे घंटे तक कुछ न खाएं । स्नान करने में भी 30-40 मिनट का समय रखें ।
- किसी भी स्वास्थ्य से जुड़ी स्थिति में डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- आरामदायक कपड़े पहन कर ही आसन करें और थोड़ा समय दें। परिणाम दिखने में समय लगता है ।
- अंत में शवासन करते हुए शरीर की मांसपेशियों को आराम दें ।
कुछ सावधानियों का भी रखें ख़्याल
- गर्भावस्था में कोई भी आसन किसी गुरु की निगरानी में सभी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए करें।
- ऐसा कहा जाता है कि मासिक धर्म के दौरान योगाभ्यास नहीं करना चाहिए ।
- 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कठिन आसन बिना सही निर्देशन के नहीं करने चाहिए ।
- नींद और पौष्टिक आहार सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक है ।
- पहले वही आसन करें जो आप आसानी से कर सकते है । धीरे धीरे सरल से कठिन की ओर जाएँ ।
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