मंगल करेगा गोचर आज, जानें उससे जुड़े कुछ तथ्य

वैदिक ज्योतिष और पुराणों में मंगल ग्रह की पूजा की बहुत महत्ता बताई गई है। माना जाता है कि मंगल की उपासना और पाठ करने से जातक को अपने जीवन के कई ऋण से मुक्ति मिल सकती है। इसे क्रूर ग्रह की उपाधि भी दी गई हैं, इसलिए ही ज्योतिष शास्त्र में मंगल को अशुभ ग्रह माना गया है। हालांकि इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि मंगल के राशि में मजबूत होने पर वो मनुष्य की हर प्रकार की इच्छा भी पूर्ण करने में सक्षम होता है। 

मंगल के महाउपाय 

मंगल ग्रह की शांति के लिए शिव उपासना और मूँगा रत्न धारण करना बेहद शुभ माना जाता है। हिन्दू धर्म में भी मंगल ग्रह की शांति के लिए मंगलवार का व्रत करने का और हनुमान चालीसा का पाठ करने का विधान है। ज्योतिषियों की माने तो एक राशि में मंगल की महादशा लगभग 7 वर्ष तक रहती है। 

मंगल की धरती से समानता 

अगर विज्ञान की दृष्टि से देखें तो, मंगल पृथ्वी से सबसे नज़दीक ग्रह माना गया है और वैज्ञानिकों की सालों की मेहनत के बाद मनुष्य ने धरती से मंगल तक का सफर भी तय कर लिया है। मंगल की सतह पर मनुष्य ने जो-जो तथ्यों के बारे में जानकारी हासिल की है, उसके आधार ही ये माना जा रहा है कि मंगल पर भी धरती की तरह जीवन मुमकिन है। तो चलिए अब जानते हैं मंगल से जुड़े उन विशेष तथ्यों के बारे में जिससे शायद अभी तक आप भी अवगत नहीं होंगे। 

मंगल ग्रह से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:-

  • सौर मंडल की बात करें तो इसमें जहाँ धरती तीसरे नंबर पर है तो वहीं मंगल उसमें चौथे नंबर का ग्रह है, जिसकी दूरी सूरज से लगभग 14.2 करोड़ मील की मानी जाती है। वहीं धरती की सूरज से दूरी 9.3 करोड़ मील की है। 
  • अगर धरती की मंगल से तुलना की जाए तो मंगल पृथ्वी से आकार में लगभग आधा है। जिसमें धरती का व्यास 7,926 मील का है, वहीं मंगल का व्यास 4,220 मील का बताया जाता है। इसके साथ ही वजन में मंगल धरती के दसवें हिस्से के बराबर है। 
  • जिस प्रकार धरती पर एक साल में 365 दिन होते हैं, यानी की धरती को सूर्य का एक चक्कर लगाने में लगभग 365 दिन का समय लगता है, तो वहीं मंगल को सूरज का एक पूरा चक्कर लगाने में करीब धरती से दोगुना यानी 687 दिनों का वक़्त लगता है। जिस अनुसार मंगल पर एक साल 687 दिनों का होता है। 
  • धरती पर एक दिन में 24 दिन होते हैं, उसी तरह मंगल पर एक दिन (जिसे सोलर डे कहा जाता है) वो करीब 24 घंटे 37 मिनट का होता है। 
  • मंगल पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति धरती से बेहद अलग है। यानी जो व्यक्ति धरती पर 100 पाउंड वज़न का है उसका वजन मंगल पर महज 38 पाउंड का होगा। 
  • वैज्ञानिकों के अनुसार मंगल पर भी कँपकँपा देने वाली ठंड, धूल भरी आंधी और बवंडर समय के साथ आते हैं, जो पृथ्वी के मुक़ाबले मंगल पर कहीं ज़्यादा पाए गए हैं। इसलिए माना जा रहा है कि मनुष्य जीवन के लिए मंगल की भौगोलिक स्थिति काफ़ी सकारात्मक एवं अच्छी है। 
  • देखा गया है कि मंगल पर जहाँ तापमान गर्मियों में सबसे अधिक 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है तो वहीँ सर्दियों में यहाँ तापमान शून्य से घटकर 140 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया है। 
  • ठीक पृथ्वी की तरह ही मंगल पर भी साल भर मौसम बदलते रहते है। यहाँ चारों मौसम- पतझड़, ग्रीष्म, शरद और शीत दर्ज किये गए हैं। लेकिन ख़ास बात ये है कि पृथ्वी की तुलना में यहाँ हर मौसम लगभग दोगुना वक्त तक रहता है। 
  • जिस प्रकार पृथ्वी के पास अपना एक उपग्रह यानी चन्द्रमा है। उसी प्रकार मंगल के पास अपने दो उपग्रह- फ़ोबोस और डेमियोस हैं। जिसमें से फ़ोबोस का व्यास 13.8 मील है तो वहीं डेमियोस का व्यास 7.8 मील बताया जा रहा है। 
  • धरती की तरह ही मंगल भी चार परतों से बना है, जिसमें

-पहली परत पर्पटी यानी क्रस्ट, लौह वाले बसाल्टिक पत्थरों से बानी हुई है। 

-दूसरी परत मैंटल जो सिलिकेट पत्थरों से बनी है। 

-तीसरी बाहरी कोर। 

-चौथी कोर,जो धरती के कोर की तरह ही लोहे और निकल से बनी हो सकती हैं। हालांकि अभी इस बात की अभी पुष्टि किये जाना बाकी है कि ये कोर ठोस धातु की शक्ल में है या फिर तरल पदार्थ में। 

  • इसके वातावरण की बात करें तो इसमें 96 फ़ीसदी कार्बन डाई ऑक्साइड, करीब 1.93 फ़ीसदी आर्गन, 0.14 फ़ीसदी ऑक्सीजन और महज 2 फ़ीसदी नाइट्रोजन मौजूद है। 
  • इसके अलावा यहां के वातावरण में पृथ्वी की तरह ही कार्बन मोनोऑक्साइड के निशान भी मिलते हैं। 

इन तथ्यों के आधार पर ही माना जा रहा है कि मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की तरह ही जीवन संभव है।

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