इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णाकांशसनेस यानि इस्कॉन संस्था ना केवल इंडिया में बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। विश्व विख्यात इस संस्था ने कृष्ण जी के प्रमुख मंत्र “हरे रामा-हरे रामा, रामा-रामा हरे हरे, हरे कृष्णा-हरे कृष्णा, कृष्णा-कृष्णा हरे हरे “ को पूरी दुनिया में प्रसिद्ध कर दिया। हिन्दू धर्म को मानने वाले भारतीय तो इन मंत्रों का जाप करते ही हैं, आज दुनिया के अन्य देशों में रहने वाले विदेशी नागरिक भी इस्कॉन संस्था का सदस्य बनकर इस मंत्र का जाप श्रद्धा पूर्वक करते नजर आते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस्कॉन मंदिर से जुड़ी प्रमुख तथ्यों के बारे में। आइये जानते हैं कब और कैसे हुई कृष्ण भक्ति के इस विशाल संस्था की शुरुआत।
कब और किसने की इस्कॉन संस्था की स्थापना
इस्कॉन मंदिर और इस संस्था से जुड़े तमाम अनुयायियों ने इसे आज एक आंदोलन के रूप में तब्दील कर दिया है। इससे जुड़े सभी अनुयायी विश्व भर में सनातन हिन्दू धर्म के प्रचार के साथ ही गीता में दिए भगवान् श्री कृष्ण के प्रमुख उपदेशों का प्रचार करते हैं। बता दें कि इस्कॉन की स्थापना भारत में नहीं बल्कि 1966 में स्वामी प्रभुपादजी ने न्यूयॉर्क में की थी। उनका पूरा नाम श्री मूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी है। उनका जन्म भारत के कोलकाता में 1 सितंबर 1869 को हुआ था। उन्होनें 55 वर्ष की उम्र में पूरी दुनिया में हरे रामा हरे कृष्णा का प्रचार कर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णाकांशसनेस की स्थापना की। 81 साल की उम्र में वर्ष 1977 में उनका देहांत हो गया।
कृष्ण जन्मोत्सव पर होती है विशेष तैयारी
कृष्ण भक्ति को समर्पित इस संस्था के अनुयायी विशेष रूप से जन्माष्टमी की ख़ास तैयारी करते हैं। इस दिन यहाँ की रौनक देखते ही बनती है। बैंगलोर स्थित इस्कॉन मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर है जिसे 1997 में बनवाया गया था। जन्माष्टमी के मौके पर यहाँ इस्कॉन के दुनिया भर के अनुयायी एकत्रित होते हैं और धूम धाम के साथ कृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं। इस संस्था की सबसे ख़ास बात ये है, यहाँ विदेशी अनुयायिओं की संख्या सबसे ज्यादा है। उन्होनें ना केवल कृष्ण भक्ति में खुद को पूरी तरह से डुबो लिया है बल्कि दुनिया भर में इसका प्रचार भी कर रहे हैं। बता दें कि दुनिया भर में स्थित सभी इस्कॉन मंदिर की विशेषता ये है की इन सबकी संरचना एक जैसी है। इसके साथ ही यहाँ कृष्ण जी की मूर्ति को खासतौर से सजाया जाता है और भजन कीर्तन का समय भी हर जगह एक ही है।
इस्कॉन के अनुयायियों के लिए इन नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण माना जाता है
यदि आप अपना जीवन कृष्ण भक्ति में समर्पित करना चाहते हैं और इस्कॉन का सदस्य बनना चाहते हैं तो आपको लहसुन, प्याज, मांस और मछली जैसे तामसिक भोजन का सेवन त्यागना होगा। इसके साथ ही शराब और सिगरेट की आदत भी छोड़नी होगी। यदि आप किसी अनैतिक कामों में संलिप्त हैं तो उससे भी आपको दूर रहना होगा। इस्कॉन के अनुयायियों के लिए रोजाना शाम के वक़्त करीबन एक घंटे गीता या अन्य किसी धार्मिक ग्रन्थ का पाठ करना अनिवार्य माना जाता है। इसके आलावा सदस्यों को अपनी यथा शक्ति अनुसार रुद्राक्ष की माला से हरे कृष्णा-हरे रामा का जाप करना अनिवार्य होता है।