प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में इजरायल के साथ अपने रिश्ते सुधारने के कई प्रयास किये थे। उन्होंने इजरायल जाकर यह दर्शा दिया था कि आने वाले वक्त में इजरायल के साथ वो संबंधों को और भी बेहतर करना चाहते हैं। इसी बात का एक नजारा संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में देखने को मिला। दरअसल इजरायल ने यूएन में एक प्रस्ताव रखा था जिसमें उसने फिलिस्तीन के एक गैर-सरकारी संगठन ‘शहीद’ को सलाहकार का दर्जा दिये जाने पर आपत्ति जताई थी।
इजरायल ने यूएन में कही यह बात
इजरायल का कहना था कि संगठन ने हमास के साथ अपने संबंधों को लेकर कोई भी खुलासा नहीं किया। अंत में संयुक्त राष्ट्र में इस संगठन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने का प्रस्ताव खारिज हो गया और इजरायल की जीत हुई। इस वाकये के बाद दिल्ली में मौजूद इजरायल की राजदूत माया कडोश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ‘आतंकी संगठन शहीद को संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षक का दर्जा देने की अपील को खारिज करने और इजरायल के साथ खड़े रहने के लिए भारत का शुक्रिया। हम साथ मिलकर आतंकी संगठन के खिलाफ काम करते रहेंगे, जिन संगठनों का मकसद सिर्फ नुकसान पहुंचाना है।’
रिकॉर्ड वोटों से मिली इजरायल के प्रस्ताव को जीत
आपको बताते चलें कि इजरायल ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में 6 जून को एल.15 नाम का एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव के पक्ष में रिकॉर्ड 28 वोट पड़े जबकि 14 देशों ने इसके खिलाफ अपना मत दिया। वहीं पांच देशों ने मत विभाजन में भाग ही नहीं लिया। भारत, आयरलैंड, जापान, कोरिया, यूक्रेन, ब्रिटेन, ब्राजील, कनाडा, कोलंबिया, फ्रांस, अमेरिका और जर्मनी ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया जबकि पाकिस्तान, तुर्की, वेनेजुएला, यमन, ईरान, चीन और मिस्र सहित 14 मुल्क इस प्रस्ताव के विरोध में वोटिंग की। अंत में इस प्रस्ताव के पक्ष में वोटों की अधिक संख्या ने इजरायल को जीत दिला दी।