नवपत्रिका पूजा विशेष रूप से दुर्गा पूजा के दौरान सप्तमी तिथि के दिन की जाती है। इस पूजा को बंगाल और ओडिशा में विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। खासकरके बंगाल में दुर्गा पूजा को बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दौरान भव्य पंडाल बनाकर उसमें देवी माँ की प्रतिमा स्थापित की जाती है। आज सप्तमी तिथि होने के कारण नवपत्रिका पूजा की जाएगी। आइये जानते हैं नवपत्रिका पूजा का महत्व और आज किये जाने वाले पूजा की संपूर्ण विधि।
नवपत्रिका पूजा का महत्व
बता दें कि, बंगाली समुदाय के लिए इस दिन से ही दुर्गा पूजा की शुरुआत होती है। हर साल शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि को नवपत्रिका पूजा की जाती है। आज के दिन बंगाल, ओडिशा और असम आदि राज्यों में दुर्गा माँ के पंडाल में नौ तरह की पत्तियों से उनकी पूजा की जाती है इसलिए इसे नवपत्रिका पूजा कहते हैं। बंगाल में इस दिन को कोलाबोऊ पूजा के नाम से भी जाना जाता है। ये पूजा मुख्य रूप से कुछ क्षेत्रों में किसानों द्वारा अच्छी फसल प्राप्ति के लिए भी की जाती है। वहीं धूम धाम के साथ जिन क्षेत्रों में दुर्गा पूजा मनाई जाती है वहां आज के दिन देवी दुर्गा की पूजा नौ पत्तियों के इस्तेमाल से किया जाता है।
नवपत्रिका पूजा में इन नौ पत्तियों का उपयोग किया जाता है
नवपत्रिका पूजा के दौरान नौ प्रकार के पत्तों का प्रयोग किया जाता है, और हर एक पत्ते को देवी माँ का अलग रूप माना जाता है। आज के दिन देवी माँ की पूजा के लिए उपयोग की जाने वाली नौ पत्तियां ये हैं।
- केले के पत्ते : केले के पत्ते को मुख्य रूप से माता ब्रह्मचारिणी का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसका प्रयोग नवपत्रिका पूजा के दौरान विशेष रूप से किया जाता है।
- कच्ची के पत्ते : कच्ची या कच्वी के पत्ते को काली माता का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है की आज के दिन देवी पूजा के लिए इस पत्ती का इस्तेमाल करना अनिवार्य माना जाता है।
- हल्दी के पत्ते : हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हल्दी के पत्तों को विशेष रूप से देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल नवपत्रिका पूजा में करना अहम माना जाता है।
- जौ के पत्ते : इसे देवी कार्तिकी का प्रतीक माना जाता है। इन्हें भी माँ दुर्गा का ही एक अवतार माना जाता है।
- बेलपत्र : बेलपत्र के पत्तों को खासतौर से भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, लेकिन कई मायनों में इसे माता पार्वती का प्रतीक भी माना जाता है। इसलिए आज के दिन देवी पूजा में बेलपत्र के पत्तों का इस्तेमाल करना अहम माना जाता है।
- अनार के पत्ते : अनार के पत्तों को देवी माँ के रक्तदंतिता स्वरुप का प्रतीक माना जाता है। अनार के पत्तों को कई जगहों पर दादीमा के पत्ते भी कहा जाता है।
- अशोक के पत्ते : नवपत्रिका पूजा में अशोक के पत्तों का प्रयोग करना भी अनिवार्य माना जाता है। अशोक के पत्तों को देवी दुर्गा के सोकरहिता रूप का प्रतीक माना जाता है।
- मनका के पत्ते : मनका के पत्तों को दुर्गा माँ के चामुंडा रूप का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवपत्रिका पूजा के दौरान इस पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
पूजा विधि
आज के दिन मुख्य रूप से सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने के बाद उपरोक्त नौ पत्तियों को इक्कठा कर उसे गंगाजल से धोने के बाद घर में ही दुर्गा माँ को अर्पित करें या किसी देवी पंडाल में जाकर दुर्गा माँ की चरणों में रखें।
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