जानिए साल 2023 में कब मनाई जाएगी होली; इस दिन करें राशि के अनुसार रंगों का चयन!

होली 2023: भारत में कई तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन इनमें से आपसी प्रेम और सद्भावना को मजबूत करने वाला होली के पर्व का विशेष महत्व है। भारत के प्रमुख त्यौहारों में से होली एक है जो कि जीवन के उत्साह, उल्लास और उमंग को बनाए रखने का काम करता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, होली का त्यौहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। फाल्गुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम बेहद खुशनुमा होने लगता है। इस त्यौहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं कि वर्ष 2023 में होली का पर्व किस दिन मनाया जाएगा व इस दिन कौन सा शुभ योग बन रहा है। इसके अलावा इस दिन किए जाने वाले उपाय और रंगों के इस्तेमाल के बारे में भी चर्चा करेंगे।

Varta Astrologers

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

होली 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 06 मार्च 2023, 16:20 से

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 07 मार्च 2023, को 18:13 तक 

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 09  मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक

होलिका दहन तिथि: 07 मार्च 2023, मंगलवार की शाम 06 बजकर 24 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक।

अवधि: 2 घंटे 26 मिनट

रंग वाली होली: 08 मार्च 2023, बुधवार

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

होली 2023: पौराणिक महत्व

होली का त्यौहार प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। इसका उल्लेख पुराण, दशकुमारचरित, संस्कृत नाटक, रत्नावली और भी बहुत सारी पुस्तकों में किया गया है। सनातन धर्म में होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, होली के त्यौहार को नए संवत की शुरुआत माना जाता है। इस दिन के साथ कई सारी मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन पृथ्वी पर पहले इंसान का जन्म हुआ था। वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इस दिन कामदेव का भी पुनर्जन्म हुआ था जबकि कुछ लोगों का मानना है कि भगवान विष्णु के नरसिंह का रूप धारण कर इसी दिन हिरण्यकश्यप का वध भी किया था।

धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण को होली का पर्व सर्वाधिक प्रिय था। यही कारण है कि ब्रज में होली को महोत्सव के रूप में 40 दिनों तक मनाया जाता है। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शुरू की गयी ये परंपरा आज भी उनकी नगरी मथुरा में देखने को मिलती है। होली बुराई पर अच्‍छाई की जीत का प्रतीक है। यह एक ऐसा पर्व होता है जब लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक हो जाते हैं। वहीं धार्मिक महत्व की बात करें तो इस दिन होलिका में सभी तरह की नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती है और सकारात्मकता की शुरुआत होती है।

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर

होली 2023: पूजा विधि

होली की पूजा एक दिन पहले होलिका दहन के दिन की जाती है। फिर होली के दिन रंग खेला जाता है। होलिका दहन की पूजा करने के लिए कुछ दिन पहले से ही किसी एक स्थान पर पेड़ की टहनियां, गोबर की उप्पलें, आदि इक्ट्ठा कर लिया जाता है। फिर इसके बाद होलिका दहन के दिन होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाना चाहिए। सबसे पहले भगवान गणेश और मां गौरी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इन मंत्रों का जाप करना चाहिए- ‘ऊँ होलिकायै नम:’, ‘ऊँ प्रह्लादाय नम:’ और ‘ॐ नृसिंहाय नम:’। इसके अलावा होलिका दहन के समय अग्नि में गेहूं की बालियों को सेंका जाता है जिसे बाद में खा लिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे व्यक्ति निरोगी रहता है।

इसके बाद बड़कुल्ले की 4 मालाएं ली जाती हैं और इन मालाओं को अपने पितृों, हनुमान जी, शीतला माता और परिवार के लिए चढ़ाई जाती हैं। फिर होलिका की 3 या 7 बार परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा करते-करते कच्चा सूत होलिका के चारों ओर लपेटा जाता है। फिर लोटे का जल तथा अन्य पूजा सामग्री होलिका को समर्पित करनी चाहिए। धूप, पुष्प आदि से होलिका की पूजा करें।

ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें

होली 2023 पर आजमाएं ये आसान उपाय

  • होली की रात सरसों के तेल का चौमुखी दीपक घर के मुख्य द्वार पर लगाएं व उसकी पूजा करें। इसके बाद भगवान से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। मान्यता है कि इससे हर समस्या का निवारण हो सकता है।
  • यदि व्यापार या नौकरी में समस्या आ रही हो तो 21 गोमती चक्र लेकर होलिका दहन की रात में शिवलिंग पर चढ़ा दें। इससे आपके व्यापार में तरक्की की संभावना बढ़ जाती है।
  • होली पर किसी गरीब को भोजन अवश्य कराएं। माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूरी होती है।
  • यदि आप राहु के दुष्प्रभाव से परेशानी हैं तो एक नारियल का गोला लेकर उसमें अलसी का तेल भर दें। उसी में थोड़ा सा गुड़ डालें और इस गोले को जलती हुई होलिका में डाल दें। माना जाता है कि ऐसा करने से राहु का बुरा प्रभाव समाप्त हो जाता है।
  • घर में सुख-समृद्धि के लिए होली के दिन घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कें और उस पर दो मुखी दीपक जलाएं। 

होली पर राशि के अनुसार करें रंगों का चयन, चमकेगा भाग्य

होली पर राशि के अनुसार रंगों का चुनाव कर होली खेलने से कुंडली में मौजूद सभी ग्रह दोष को दूर किया जा सकता है। आइए जानें किस राशि के लोगों को किन रंगों के साथ खेलना शुभ होता है।

मेष और वृश्चिक राशि

मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं। ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह का रंग लाल है इसलिए इन राशि के जातकों को होली के दिन लाल, गुलाबी या इससे मिलते-जुलते रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए।

वृषभ और तुला राशि

वृषभ और तुला राशि के स्वामी शुक्र है। इस ग्रह का रंग सफेद और गुलाबी माना जाता है। ऐसे में होली के दिन आप सिल्वर रंग और गुलाबी रंगों से होली खेल सकते हैं।

कन्या और मिथुन राशि  

कन्या और मिथुन राशि के स्वामी बुध ग्रह हैं। ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह का रंग हरा होता है। ऐसे में इस राशि के जातकों को होली हरे रंग से खेलनी चाहिए। इसके अलावा आप पीले, नारंगी और हल्के गुलाबी रंग का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

मकर और कुंभ राशि

इनके स्वामी शनिदेव हैं। शनिदेव का रंग काला या नीला होता है इसलिए मकर राशि और कुंभ राशि के जातकों के लिए नीला रंग शुभ रहेगा। काले रंग से होली खेलना संभव नहीं है इसलिए नीला या हरे रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।

धनु और मीन राशि

धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। इनका प्रिय रंग पीला माना जाता है। ऐसे में इस राशि के जातकों को पीले रंग से होली खेलनी चाहिए। इसके अलावा नारंगी रंग का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

कर्क राशि

कर्क और सिंह राशि के स्वामी चंद्रमा हैं और इस राशि के लोगों को सफेद रंग से होली खेलनी चाहिए। अगर सफेद रंग से खेलना संभव न हो तो आप किसी भी रंग को लेकर उसमें थोड़ा सा दही या दूध मिला सकते हैं।

सिंह राशि

सिंह राशि के स्वामी सूर्यदेव हैं। ऐसे में आप नारंगी, लाल और पीले रंग से होली खेल सकते हैं।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.