1500 वर्षों बाद हिन्दू नववर्ष पर दुर्लभ योग: जानें किस राशि के लिए अनुकूल-किसके लिए प्रतिकूल

नवसंवस्तर यानी हिंदू नववर्ष, वैदिक पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष चैत्र मास शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है, जो इस वर्ष 2 अप्रैल, 2022 को है। साल 2022 का यह नवसंवत्सर अर्थात् नया साल प्रचलित रूप से विक्रम संवत 2079 के नाम से भी जाना जाएगा। यह विक्रम संवत नल नाम का संवत है और यह इंद्राग्नि युग का अंतिम वर्ष है। एक युग में पांच वर्ष होते हैं। इस वर्ष के राजा शनि ग्रह हैं और इस वर्ष के मंत्री गुरु ग्रह हैं। 

विक्रम संवत 2079

नवसंवत्सर के पहले दिन के स्वामी को उस पूरे वर्ष में राजा का दर्जा दिया जाता है। चूँकि इस बार नवसंवत्सर 2079, 2 अप्रैल शनिवार के दिन से शुरू हो रहा है तो इस वर्ष ग्रहों के मंत्रिमंडल के राजा कर्मफलों के दाता और न्यायधीश माने जाने वाले शनिदेव रहेंगे। साल 2022 में शुरू होने वाला यह नवसंवत्सर शनिदेव के प्रभाव के कारण कई मामलों में खास रहने वाला है। इस नववर्ष में जहाँ एक ओर शनि राजा के सिंहासन पर विराजमान है, तो वहीं दूसरी ओर देव गुरु बृहस्पति मंत्री के स्थान पर रहेंगे। 

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शनि और गुरु का मंत्रिमंडल को संभालना जातकों के जीवन को कई मायनों में प्रभावित करेगा। जिसमें एक संयोग यह है कि शनि और बृहस्पति जो धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं, अप्रैल के महीने के दौरान राशि बदलने जा रहे हैं। दोनों ही ग्रह बहुत आरामदायक स्थिति में होंगे अर्थात शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में चले जाएंगे और बृहस्पति अपनी ही राशि मीन में गोचर करेंगे। इसलिए इस गोचर के कारण ये ग्रह अपना अधिकतम फल देने में सक्षम होंगे। न्यायधीश शनि जातकों के जीवन में कर्म फलों को प्रदान करने वाले रहेंगे तो वही गुरु बृहस्पति नकारात्मकता के अंधकार में ज्ञान की सकारात्मकता प्रदान करेंगे। 

ज्योतिषविदों की माने तो इस बार ग्रहों का मंत्रालय राजा और मंत्री के अतिरिक्त 5 पाप ग्रहों और 5 शुभ ग्रहों के अधीन रहेगा। जिसमें शनि-राजा, बृहस्पति-मंत्री, सूर्य-सस्येश, बुध-दुर्गेश, शनि-धनेश, मंगल-रसेश, शुक्र-धान्येश, शनि-नीरसेश, बुध-फलेष, बुध-मेघेश रहेंगे। विक्रम संवत 2079 का निवास स्थान कुम्हार का घर और समय का वाहन अश्व रहेगा, चूँकि घोड़ा तेज़ गति को दिखाता है इसलिए इस साल तूफ़ान, भूकंप, चक्रवात, भूस्खलन आदि कारणों से जान-माल को भारी क्षति होने की संभावनाएं है। 

सनातन धर्म में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इसी दिन की गई थी, इसलिए प्राचीन काल से ही हिन्दू नव वर्ष का प्रारंभ इस दिन से माना जाता है। कई जगहों पर लोक प्रसिद्ध कहावतें यह भी है राजा विक्रमादित्य के समय में कुछ भारतीय वैज्ञानिकों ने पंचांग का प्रयोग करके हिन्दू कैलेंडर का निर्माण किया था, इसलिए नव वर्ष की शुरुआत को उनके नाम पर विक्रम संवत की तरह जाना जाता है। विक्रम संवत को सौर, चन्द्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास जैसे पांच भागों का समावेश होता है। 

1500 वर्षों बाद हिन्दू नववर्ष पर बना दुर्लभ योग

वर्ष 2022 में, 1500 साल बाद रेवती नक्षत्र और तीन राजयोगों के अत्यंत दुर्लभ संयोगों में हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ हो रहा है। ज्योतिष के जानकारों की माने तो नवसंवत्सर में बनने वाली ग्रह नक्षत्रों की यह स्थितियां कई मायनों में खास है। विक्रम संवत 2079 के आरम्भ में ही मंगल अपनी उच्च राशि मकर में, राहू अपनी उच्च राशि वृषभ में तथा केतु अपनी उच्च राशि वृश्चिक में रहेंगे। ग्रहों के राजा के रूप में शनि भी अपनी ही राशि मकर में गोचर करेंगे। इसलिए इस बार हिन्दू नववर्ष की शुरुआत शुभ संयोगों में 1500 साल बाद शनि-मंगल की युति में हो रही है। विक्रम संवत 2079 में बनने वाले इन शुभ योगों का फायदा मिथुन, तुला और धनु राशि के जातकों को मिलेगा। ये संयोग इन जातकों के जीवन में धन-समृद्धि, सफलता और सौभाग्य लेकर आएंगे। यह वर्ष लोगों के जीवन में कई बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आएगा।

शनि-गुरु की अधीनता वाले इस वर्ष का भारत पर सकारात्मक/नकारात्मक प्रभाव

  • विकासशील देशों जैसे भारत आदि में व्यापार के नए आयाम मिलेंगे। जिनसे देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
  • भारत की कूट नीति की विश्व स्तर पर प्रशंसा की जाएगी।
  • देश के कुछ हिस्सों में अच्छी फसल होने के बाद भी अकाल की स्थिति बन सकती है।
  • आम जनता पर महंगाई की मार पड़ेगी।

‘नवसंवत्सर’ को देश के अलग-अलग भागों में कई अलग नामों से जाना जाता है, जैसे

असम- रोंगली, बिहू

महाराष्ट्र- गुड़ी पड़वा

पंजाब- वैशाखी

जम्मू कश्मीर- नवरेह

आंध्र प्रदेश- उगादि

केरल- विशु

सिंधी समुदाय- चेतिचंद

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आइए जानते हैं कि आचार्या पारुल वर्मा के अनुसार नवसंवत्सर से जुड़ी कुछ खास जानकारी

विक्रम संवत 2079 भारत और विश्व के लिए कैसा रहेगा?

  • कई देशों की सरकार या उच्च अधिकारियों को नागरिकों द्वारा आंदोलनों का सामना करना पड़ता है।
  • प्राकृतिक आपदाओं की संभावना रहेगी और कम वर्षा एक समस्या पैदा कर सकती है।
  • इतने उतार-चढ़ाव के बावजूद सरकार मजबूत स्थिति में होगी और सभी समस्याओं को नियंत्रित करने में सक्षम होगी।
  • शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा, पिछले दो वर्षों में हमें कोविड के कारण जो भी नुकसान हुआ है, उसे इस वर्ष ठीक कर दिया जाएगा।
  • अराजक तत्वों के कारण पश्चिमी देशों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

आम व्यक्तियों के लिए विक्रम संवत 2079 कैसा रहेगा?

  • किसान, सेवा वर्ग के लोगों और श्रमिक वर्ग के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
  • इस वर्ष के दौरान शिक्षक, परामर्शदाता, संरक्षक लाभान्वित होंगे।
  • लोगों का झुकाव धार्मिकता की ओर होगा।
  • सरकारी क्षेत्र से लोगों को फायदा हो सकता है।
  • विद्यार्थियों को लाभ होगा।
  • महिलाओं को सशक्त किया जाएगा।

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राशि अनुसार प्रभाव

सामान्य तौर पर यह गोचर वृष, तुला, मकर, कुम्भ, धनु और मीन राशि के जातकों के लिए अच्छा रहेगा। वे इस साल भाग्य का साथ पाएंगे। इन राशि के जातक पेशेवर और व्यक्तिगत रूप से विकसित होंगे।

सिंह, कर्क, वृश्चिक और मेष राशि के जातकों को इस वर्ष सचेत और सतर्क रहने की आवश्यकता है क्योंकि उनका अहंकारी, आक्रामक और आधिकारिक व्यवहार आपको समस्याओं की ओर ले जा सकता है जिससे कार्यस्थल और व्यक्तिगत संबंधों में आपकी छवि खराब होगी, आपको अपने बारे में सतर्क रहने की भी आवश्यकता है। स्वास्थ्य अज्ञानता के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या दुर्घटनाएं हो सकती हैं।

कन्या और मिथुन राशि के लिए यह एक औसत वर्ष होगा उन्हें अपने कर्मों का फल मिलेगा।

इस वर्ष शनि और गुरु की विशेष कृपा के लिए ज़रूर करें ये उपाय

  • प्रतिदिन भगवान हनुमान की पूजा करें। जब आप भगवान हनुमान की पूजा करते हैं और खुद को उन्हें पूरी तरह से समर्पण कर देते हैं तो यह आपके लिए शनि की सकारात्मक ऊर्जा लेकर आएगा।
  • विकलांग लोगों की सहायता करें और उन्हें अपनी सेवा प्रदान करें।
  • अपने जीवन से अव्यवस्था को दूर करें और संगठित रहें। भौतिक वस्तुओं में अव्यवस्था या मन में अव्यवस्था शनि को पसंद नहीं है।
  • शनिवार के दिन गरीबों को भोजन कराएं।
  • गुरुवार को मंदिर में बृहस्पति ग्रह की पूजा करें।
  • बृहस्पति बीज मंत्र का प्रतिदिन 21 बार जाप करें।
  • गुरुवार के दिन बृहस्पति को पीले फूल चढ़ाएं।
  • गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और जल चढ़ाएं।
  • शनिवार के दिन गरीबों को केले बांटें।
  • गुरुवार के दिन गायों को चना दाल और गुड़ के आटे की लोई खिलाएं।

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