हस्त रेखा ज्ञान को समझें

हाथ की रेखा हमारे जीवन के उतार-चढ़ाव को दर्शाती हैं इसलिए हस्त रेखा ज्ञान हमेशा से एक रोचक विषय रहा है। हस्त रेखा शास्त्र में व्यक्ति की हथेली को पढ़कर उसके स्वभाव, चरित्र, आयु और भूत व भविष्य की स्थितियों का पता लगाया जा सकता है। हथेली पर मौजूद रेखा कई आकार और प्रकार की होती हैं। ये रेखाएं सीधी, तिरछी और आपस में कटी-फटी होती हैं लेकिन इन सभी के अंदर गहरे अर्थ छुपे होते हैं। यदि आप हस्त रेखा विज्ञान की समझ रखते हैं तो इन रेखाओं की मदद से व्यक्ति के जीवन के बारे में काफी कुछ बता सकते हैं।

हाथ की हर रेखा कुछ कहती है और मनुष्य के जीवन के बारे में दर्शाती है। उदाहरण के लिए बृहस्पति से संबंधित उंगली सांसारिक जीवन में अन्य लोगों से आपके संवाद से संबंधित होती है। वहीं हृदय रेखा शरीर में रक्तचाप नियंत्रण को प्रकट करती है।

हस्तरेखा शास्त्र का महत्व

हाथ की रेखा विभिन्न प्रकार की होती हैं और ये हमारे जीवन के भिन्न-भिन्न पहलुओं को दर्शाती है। इनमें गहरी रेखाएं उपलब्धि व सफलता और टूटी हुई रेखाएं बाधाओं का कारण बनती है। हस्त रेखा शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति की हथेली पर 7 मुख्य रेखा और 12 छोटी रेखाएं होती हैं।

हस्त रेखा शास्त्र में मुख्य रेखाएं

ह्रदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा, सूर्य रेखा, भाग्य रेखा, स्वास्थ्य रेखा और विवाह रेखा को मुख्य रेखा माना जाता है। इन रेखाओं की मदद से आप इन क्षेत्रों में होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में जान सकते हैं।

जीवन रेखा: यह रेखा मनुष्य के जीवन की अवधि बताती है। जीवन रेखा तर्जनी (अंगूठे के पास वाली उंगली) और अंगूठे के मध्य स्थान से निकलकर अंगूठे के मूल को घेरती हुई मणिबंध ( कलाई और हथेली का जोड़) पर समाप्त होती है। कुछ हाथों में यह रेखा बृहस्पति के निचले स्थान से भी निकलती है और कुछ लोगों की जीवन रेखा अंगूठे के मूल से निकल कर मणिबंध तक जाती है।

मस्तिष्क रेखा: यह रेखा जीवन रेखा के साथ अथवा उससे थोड़ी ऊपर से निकलती है।यह तर्जनी उंगली के नीचे से शुरू होकर हथेली के दूसरे छोर की ओर बाहर के किनारे की ओर बढ़ती है। मस्तिष्क रेखा शुरुआत में जीवन रेखा के साथ जुड़ी रहती है। हस्त रेखा शास्त्रियों के अनुसार यह रेखा मनुष्य के मन का प्रतिनिधित्व करती है। इसका अध्ययन कर हम व्यक्ति की बौद्धिकता और ज्ञान प्राप्ति की इच्छा के बारे में जान सकते हैं।

ह्रदय रेखा: यह हथेली की तीसरी मुख्य रेखा है। मूल रूप से इससे व्यक्ति की भावना को देखा जाता है। ह्रदय रेखा सामान्यत: बुध और सकारात्मक मंगल के मध्य से निकलती है। वर्तमान में ह्रदय रेखा से व्यक्ति के स्वभाव, चरित्र और व्यवहार को देखने की परंपरा है।

भाग्य रेखा: इस रेखा का उद्भाव हथेली में कहीं से भी हो सकता है सामान्यत: यह रेखा मणिबंध से निकलती है लेकिन इसका समाप्ति का स्थान मध्यमा उंगली के नीचे होता है। कुछ हाथों में भाग्य रेखा का आरंभ मणिबंध के पास से होता है जबकि कुछ हाथों में चंद्रमा के क्षेत्र से होता है। सीधी और साफ दिखने वाली रेखा अच्छे भाग्य को दर्शाती है जबकि हाथ में भाग्य रेखा का टूटा-फूटा होना संघर्ष और नीरस जीवन का सूचक होती है।

स्वास्थ्य रेखा: मणिबंध या जीवन रेखा से बुध क्षेत्र की ओर जाने वाली रेखा को स्वास्थ्य रेखा कहा जाता है। यह रेखा सभी हाथों में नहीं पाई जाती है। सामान्यत: लंबी हथेलियों में स्वास्थ्य रेखा उपलब्ध होने की संभावना ज्यादा होती है।

सूर्य रेखा: भाग्य रेखा के बाद सूर्य रेखा सबसे प्रसिद्ध है। क्योंकि यह रेखा कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। सूर्य का क्षेत्र अनामिका उंगली के नीचे होता है। सूर्य रेखा यहीं से आरंभ होकर नीचे जाती है। यह एक दुर्लभ रेखा है जो कम लोगों के हाथों में ही दिखती है।

विवाह रेखा: कनिष्ठिका उंगली के नीचे, ह्रदय रेखा के ऊपर और बुध पर्वत पर हथेली के बाहरी ओर से आने वाली रेखा को विवाह रेखा कहा जाता है। किसी व्यक्ति के हाथ में विवाह रेखा एक या एक से ज्यादा भी हो सकती है। इस रेखा को लेकर युवक-युवतियों में काफी उत्साह रहता है। लव मैरिज या अरेंज मैरिज आदि बात की जानकारी विवाह रेखा देखकर पता की जा सकती है।

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