हस्त रेखा शास्त्र एक प्राचीन पद्धति है। दुनिया में हर इंसान अपने भविष्य को लेकर हमेशा उत्सुक रहता है। यह जिज्ञासा भविष्य में उसके साथ होने वाली हर अच्छी और बुरी घटनाओं को लेकर होती है। हस्त रेखा ज्ञान एक ऐसा माध्यम है जिसमें हाथ की रेखाओं, पर्वतों, पर्व और विभिन्न चिन्हों का अध्ययन करके इन बातों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। हथेली पर होने वाली विभिन्न रेखाएं करियर, लव लाइफ, भाग्य और भावनात्मक संबंध और रिश्तों को दर्शाती है।
हस्त रेखा शास्त्र बहुत ही रुचिपूर्ण क्षेत्र है और इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं का गहराई से विश्लेषण किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति अपना भविष्य जानने को लेकर उत्सुक है तो हाथ की रेखाओं से यह संभव है। जैसे हर व्यक्ति का स्वभाव एक जैसा नहीं होता है वैसे ही किन्हीं भी दो लोगों की हाथ की रेखा एक समान नहीं हो सकती है। हस्त रेखा शास्त्र में व्यक्ति के हाथ का आकार, उंगली, नाखून और रंग आदि का विश्लेषण करके भी भविष्य संबंधी विश्लेषण किया जा सकता है। इनमें से हस्त रेखा शास्त्र के कुछ बुनियादी सिद्धांत इस प्रकार है:
भारतीय हस्त रेखा शास्त्र में पुरुषों का दायां हाथ और महिलाओं का बायां हाथ देखा जाता है हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है। भविष्य संबंधी मामलों के सही निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए दोनों हाथ की रेखाओं का अध्ययन किया जाना चाहिए। मनुष्य के हाथ में तीन रेखाएं प्रमुख होती हैं। जीवन रेखा, ह्रदय रेखा और मस्तिष्क रेखा। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य रेखाओं में भाग्य रेखा, विवाह रेखा, सूर्य रेखा और स्वास्थ्य रेखा है। पिछले कुछ वर्षों में हुई रिसर्च से ज्ञात हुआ है कि हाथ की रेखाओं से अनुवांशिक यानि पीढ़ी दर पीढ़ी से चल आ रही बीमारियों का पता भी लगाया जा सकता है। इसके अलावा कई शोधकर्ता अपराधियों के हाथों की रेखाओं का भी विश्लेषण किया है यह बात ज्ञात करने के लिए आखिर कैसे मनुष्य अपराध करने की ओर बढ़ता है।
हथेली पर पर्वत की स्थिति
हस्त रेखा शास्त्र में हथेली पर नवग्रहों के स्थान निर्धारित किए गए हैं। इन ग्रह क्षेत्रों से हथेली को विभिन्न भागों में बांटने की सुविधा मिलती है। इसके साथ ही व्यक्ति पर ग्रह के प्रभाव का पता भी चलता है। ग्रह क्षेत्रों का एक नाम पर्वत भी दिया गया है। क्योंकि इनकी बनावट धरती पर छोटी और गोलाकार पहाड़ियों जैसी होती है। हथेली पर सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहु-केतु की उपस्थिति मानी गई है।
आइये जानते हैं हथेली पर ग्रह क्षेत्रों की स्थिति:
- सूर्य का स्थान अनामिका उंगली के नीचे बताया गया है। सूर्य की रेखा यहां से आरंभ होकर नीचे जाती है। सूर्य सफलता और यश का कारक होता है। यदि सूर्य का उभार बहुत अच्छी स्थिति में हो, तो जातक को सफलता आसानी से मिलती है।
- मणिबंध और मस्तिष्क रेखा के बीच का क्षेत्र चंद्रमा का स्थान होता है। हथेली में चंद्रमा के विकसित होने का अर्थ है कि जातक की मानसिक स्थिति प्रबल है। कला, लेखन और अभिनय से संबंध रखने वाले लोगों के हाथों में चंद्रमा अति विकसित होता है, क्योंकि चंद्रमा कल्पना-शक्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है।
- हथेली में मंगल के दो स्थान निर्धारित किए गए हैं। चंद्रमा के क्षेत्र से ठीक ऊपर जो मंगल है, उसे सकारात्मक मंगल कहते हैं। इसी प्रकार अंगूठे के नीचे और जीवन रेखा के बीच जो स्थान है, उसे नकारात्मक मंगल कहते हैं। सकारात्मक मंगल का विकसित होना व्यक्ति में सहनशीलता को बढ़ाता है। यदि नकारात्मक मंगल अच्छे से विकसित हो, तो जातक में अदम्य साहस होता है।
- कनिष्ठिका उंगली के नीचे का स्थान बुध क्षेत्र होता है। सभी हाथों में बुध विकसित नहीं मिलता है। बुध का उभार यदि विकसित हो, तो जातक व्यावहारिक और अवसरवादी होता है।
- हाथ की प्रथम उंगली यानि तर्जनी के ठीक नीचे का स्थान बृहस्पति का क्षेत्र होता है। हाथ में बृहस्पति की उपस्थिति हमेशा शुभ फल देती है। यह जब हाथ में विकसित रहता है, तो सर्वगुण संपन्न रहता है।
- अंगूठे को तीन भागों में बांटने पर वह भाग जो हथेली से जुड़ा होता है, शुक्र का क्षेत्र कहलाता है। ज्यादातर हाथों में यह विकसित होता है। शुक्र सांसारिक गतिविधियों से संबंधित ग्रह है, इसलिए हथेली में इसका अति विकसित होना व्यावहारिक दृष्टि से ज्यादा लाभकारी नहीं है।
- शनि का क्षेत्र मध्यमा उंगली के नीचे होता है। भाग्य रेखा यहीं आकर समाप्त होती है। यदि यह क्षेत्र पूर्णत: विकसित हो, तो जातक को उद्योग और स्थाई कार्यों में सफलता मिलती है। शनि का अत्यधिक विकसित होना व्यक्ति को एकांत प्रिय बनाता है।
- राहु का क्षेत्र हथेली के मध्य भाग में माना जाता है। अचानक धन लाभ, सट्टे, लॉटरी और शेयर बाजर में सफलता को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त राहु पर्वत अचानक घटित होने वाली बुरी घटनाओं का बोध भी कराता है। राहु के क्षेत्र यानि हथेली के मध्य में गहरापन हो तो जातक जीवनभर अभावग्रस्त रहता है।
- हथेली में केतु का स्थान मणिबंध से ठीक ऊपर की ओर होता है। केतु पर्वत धन, प्रगति और बैंक-बैलेंस का संकेत देता है। केतु के स्थान का अध्ययन करके व्यक्ति को अचानक मिलने वाली संपत्ति के बारे में पता लगाया जा सकता है। यदि केतु का स्थान विकसित है या इस स्थान पर कोई शुभ चिन्ह हो, तो जातक को जीवन में धन का अभाव नहीं होता है और विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति को दर्शाता है।
वास्तव में हथेली पर होने वाली हर रेखा का एक अर्थ होता है। ह्रदय रेखा व्यक्ति की भावना और प्रेम को दर्शाती है। ठीक उसी प्रकार स्वास्थ्य रेखा सेहत संबंधी विकार और परेशानियों का संकेत देती हैं। वहीं मस्तिष्क रेखा मनुष्य की मानसिक क्षमता का बोध कराती है। इसके अतिरिक्त भाग्य रेखा जीवन में मिलने वाली उपलब्धि और सफलता को दर्शाती है।