हरतालिका तीज व्रत कल 1 सितंबर को पूरे उत्तर भारत सहित राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में भी मनाया जाएगा। हरतालिका तीज विशेष रूप से महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और कुंवाड़ी लड़कियां इस दिन अच्छा वर पाने के लिए माता पार्वती का व्रत रखती हैं। चूँकि इस व्रत को महिलाओं के लिए ख़ास माना जाता है इसलिए इस दिन कुछ ऐसे भी काम हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं किया जाना चाहिए। आइये जानते हैं हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को कौन से वो काम हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए।
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया है कि हरतालिका तीज व्रत माता पार्वती और शिव जी से जुड़ा है। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ही व्रत रखकर और कठोर तप के बल पर पार्वती माता ने शिव जी को प्रसन्न कर उन्हें अपने पति के रूप में पाया था। इसलिए इस व्रत को महिलाओं के अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए बेहद ख़ास माना जाता है। इस व्रत को विधि विधान के साथ एक सुखी जीवन के लिए जरूर करना चाहिए। साथ ही इस दिन कुछ ऐसे भी निरीह काम हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए।
हरतालिका तीज के दिन इन कामों को भूलकर भी ना करें
- हरतालिका व्रत विधि में ऐसा कहा गया है कि इस दिन रात भर व्रती महिलाओं को जागकर जागरण करनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन जो व्रती महिलाएं रात्रि जागरण के दौरान सो जाती हैं वो अगले जन्म में अजगर के रूप में जन्म लेती हैं। इसलिए इस दिन महिलाओं को भूलकर भी रात्रि जागरण के दौरान सोना नहीं चाहिए।
- हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है, यानि की इस दिन कुछ भी खाना पीना वर्जित माना जाता है। इसलिए इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की वो व्रत समाप्त होने के पहले ना कुछ खाएं और ना ही जल ग्रहण करें।
- कुछ महिलाएं इस दिन व्रत रखकर कुछ चीजों का सेवन कर लेती हैं जैसे की चीनी। माना जाता है कि इस दिन चीनी का सेवन करने वाली व्रती महिलाएं अगले जन्म में मक्खी योनि में जन्म लेती हैं।
- हरतालिका तीज व्रत हमेशा से ही निर्जला रखा जाता है इसलिए इस दिन जल ग्रहण करने वाली व्रती महिलाओं का जन्म मछली योनि में होता है।
चूँकि हरतालिका तीज व्रत को सुहागिन और कुंवाड़ी दोनों महिलाओं के लिए अहम् माना जाता है। महिलाएं अच्छा वर पाने और पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। इसलिए इस व्रत को विशेष रूप से विधि विधान के साथ बिना किसी गलती के करना शुभ फलदायी माना जाता है।