गुरु नानक जयंती: क्यों मनाया जाता है यह पर्व? जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

“अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे
एक नूर ते सब जग उपज्या, कौन भले कौन मंदे”

अर्थात: सभी इंसान उस ईश्वर के नूर से ही जन्मे हैं,  इसलिए कोई बड़ा छोटा नहीं है कोई आम या खास नहीं है | सब बराबर हैं|

गुरु नानक जयंती का पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन देशभर में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 30 नवंबर को मनाया जा रहा है। गुरु नानक जयंती का यह पर्व सिख समुदाय के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। 

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गुरु नानक जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त :

गुरु नानक जयंती, 30 नवंबर 2020

जयंती तिथि – सोमवार, 30 नवंबर 2020

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 12:47 बजे (29 नवंबर 2020) से

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 14:58 बजे (30 नवंबर 2020) तक

ऐसे में गुरु नानक देव की जयंती के मौके पर आइए जानते हैं गुरु नानक जी के जीवन से जुड़े कुछ अनोखे किस्से। 

गुरु पर्व 

गुरु पर्व, हर साल गुरु नानक जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। गुरु नानक देव सिख समुदाय के पहले गुरु थे। ऐसे में इनकी जयंती को गुरु नानक जयंती या गुरु पर्व के रूप में हर साल मनाए जाने की परंपरा है। 

गुरु नानक जयंती महत्व 

गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रथम गुरु होने के साथ-साथ सिख धर्म के संस्थापक भी थे। गुरु नानक जी द्वारा दिए गए उपदेश और शिक्षा उनके अनुयायियों के बीच आज भी बेहद लोकप्रिय और महत्व रखने वाली है। अपने जीवन काल में गुरु नानक देव ने आध्यात्मिक शिक्षा के आधार पर ही सिख धर्म की स्थापना की। 

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बताया जाता है कि गुरु नानक जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। सिख धर्म के पहले गुरु होने के साथ-साथ उन्हें एक महान दार्शनिक, समाज सुधारक, धर्म सुधारक, सच्चा देशभक्त और योगी के रूप में आज भी याद किया जाता है। उन्होंने हमेशा अंधविश्वास विश्वास, मूर्तिपूजा, इत्यादि चीजों का कट्टर विरोध किया।

गुरु नानक जी धार्मिक कुरीतियों के खिलाफ हमेशा अपनी आवाज उठाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने जीवन काल में दुनिया के कोने-कोने में जाकर सिख धर्म का प्रचार और प्रसार किया। इसके अलावा उन्होंने अपने अनुयायियों को भगवान तक पहुंचने का रास्ता भी दिखाया। 

लोगों को प्रेम करना, जरूरतमंदों की सहायता करना, महिलाओं का आदर करना इत्यादि चीजों के लिए गुरु नानक ने हमेशा लोगों को प्रेरित किया। इसके अलावा उन्होंने अपने अनुयायियों को ईमानदारी के रास्ते पर चलने की शिक्षा दी और जीवन से संबंधित ऐसे ही कई अनेकों उपदेश दिए जिन्हें अपनाकर कोई भी इंसान बेहद ही ख़ुशी से अपना जीवन यापन कर सकता है।

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गुरु नानक जी और गुरु ग्रंथ साहिब 

सिख धर्म की पवित्र पुस्तक जिसे ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ के नाम से जाना जाता है उसके बारे में बताया जाता है कि गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को 974 भजनों के रूप में अमर किया गया, जिसे अब सिख धर्म के लोग गुरु ग्रंथ साहिब के नाम से जानते हैं। 

गुरु नानक जयंती का यह पर्व सिख समुदाय के लिए दिवाली से कम नहीं होता है। इस दिन गुरुद्वारे में कीर्तन इत्यादि किए जाते हैं। जगह-जगह लंगर का आयोजन होता है। और गुरुवाणी का पाठ किया जाता है। 

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जानिए कैसा था गुरु नानक जी का बचपन? 

गुरु नानक जी के बारे में कहा जाता है कि वह बचपन से ही आध्यात्मिक और ज्ञान शील हुआ करते थे। सिख समुदाय में गुरु नानक जी के बचपन के किस्से आज भी बेहद प्रचलित हैं। बता दे गुरु नानक जी ने बिना सन्यास धारण किए हुए अध्यात्म की राह को चुना था, क्योंकि उनका ऐसा मानना था कि मनुष्य को सन्यासी बन कर अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ने का कोई अधिकार नहीं है बल्कि इसके साथ ही वह अध्यात्म की राह चुन सकते हैं। 

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गुरु नानक देव जी ने देश और दुनिया को कई ऐसे सिद्धांत दिए जो बेहद प्रचलित हैं ।जैसे, 

  • ईश्वर एक है। 
  • एक ही ईश्वर की उपासना करनी चाहिए। 
  • भगवान हर जगह और हर इंसान में मौजूद होते हैं। 
  • जो भी भक्त ईश्वर की शरण में आ जाता है उन्हें कभी भी किसी प्रकार का डर नहीं होता है।
  • हमें निष्ठा भाव से मेहनत करनी चाहिए और प्रभु की उपासना करनी चाहिए। 
  • किसी भी निर्दोष जीव या जंतु को कभी सताना नहीं चाहिए। 
  • हमेशा खुश रहना चाहिए। 
  • हमें हमेशा ईमानदारी और दृढ़ता से कमाई करनी चाहिए और हमारी आय का कुछ भाग जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। 
  • सभी मनुष्य एक समान होते हैं फिर वह चाहे स्त्री हो या पुरुष। 
  • शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बेशक भोजन आवश्यक है लेकिन इसके लिए हमें कभी भी लोभी और लालची नहीं बनना चाहिए।

गुरु नानक देव का जीवन परिचय 

गुरु नानक देव जी का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब देश इतिहास के सबसे अंधेरे युग में था। बताया जाता है कि उस समय लोगों के बीच में अंधविश्वास और आडंबरों का बोलबाला हुआ करता था। देश में धार्मिक कट्टरता बढ़ रही थी। 

गुरु नानक देव जी के पिता का नाम बाबा कालु चंद्र बेदी और माता का नाम तृप्ता जी था। बचपन से ही गुरु नानक जी का मन आध्यात्मिक चीजों में ज्यादा रहता था। कुछ समय बाद गुरु नानक जी की शादी भी हुई। उनकी पत्नी का नाम सुखमणि (सुलक्षणा) था। उनके दो पुत्र भी हुए लेकिन गुरु नानक जी का मन इसके बावजूद भी कभी भी घर गृहस्थी में नहीं लगा और वह हमेशा मानव सेवा में ही लगे रहे। 

उन्होंने आजीवन लोगों को यह समझाने में लगा दिया कि लोभ, लालच इत्यादि बुरी बलाएं हैं। उन्होंने शिक्षा के जरिए लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया। अपने जीवन काल में अनेकों धार्मिक यात्राओं के माध्यम से उन्होंने मानवता का उपदेश दिया और 70 वर्ष की आयु में साधना के बाद सन 1539 ईस्वी में वो परम ज्योति में विलीन हो गए।

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