अप्रैल महीने की शुरुआत ही गोचर से हुई है और अब अप्रैल के दूसरे सप्ताह में एक और महत्वपूर्ण गोचर, गुरु ग्रह का गोचर होने जा रहा है। गुरु ग्रह का गोचर ज्योतिष की दृष्टि में बेहद ही महत्वपूर्ण गोचर माना जाता है। समय कोरोना का चल रहा है जहाँ लोग पहले से ही अपने स्वास्थ्य, अपनी इम्यूनिटी को लेकर चिंतित हैं। तो आइये जानते हैं कि 5 अप्रैल को होने वाला गुरु का कुंभ राशि में गोचर आपके जीवन को किस तरह से प्रभावित करने की क्षमता रखता है।
जानकारी के लिए बता दें कि, गुरु की कुंडली में स्थिति का आपके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। अगर यह कुंडली में शुभ अवस्था में विराजमान हैं तो यह व्यक्ति को सकारात्मक बनाता हैं और व्यक्ति को जरूरी जीवन बल प्रदान करता है। “गुरु” ग्रह को ज्योतिष में संरक्षक की भूमिका में रखा गया है , अकेले गुरु की शुभ स्थिति से ही व्यक्ति अपने स्वास्थ्य की उच्चतम सीमा को प्राप्त कर सकता है।
सबसे पहले बात करें, गुरु गोचर की समय अवधि की तो, कुंभ राशि में बृहस्पति का गोचर 5 अप्रैल को सायंकाल 6 बजे होगा। यदि आप इस गोचर का अपनी राशि के अनुसार अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव जानना चाहते हैं तो आप यहां क्लिक कर सकते हैं और यदि इस गोचर से संबंधित कोई अन्य सवाल, दुविधा या उपाय जानना चाहते हैं तो आचार्य सुनील बरमोला से फोन या चैट के माध्यम से बात भी कर सकते हैं।
गुरु गोचर का बारह राशियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव
मेष राशि– मेष राशि वालों के लिए गुरु का गोचर एकादश भाव यानी अपनी शत्रु राशि कुंभ राशि में गोचर होंगे , जो स्वास्थ्य की दृष्टि से मेष राशि वाले जातकों के लिए अ-शुभता का संकेत कर रहा है। मानसिक परेशानियां परेशान कर सकती हैं। फिर भी स्वयं को किसी व्यायाम या शारीरिक क्रिया इत्यादि में लगाना इस राशि के जातकों के लिए शुभ होगा।
वृषभ राशि- वृषभ राशि के जातकों के लिए गुरु ग्रह का गोचर स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा रहने वाला है। गुरु अपने गोचर से चतुर्थ पर दृष्टि व चतुर्थ भाव का स्वामी सूर्य लाभ भाव में होने से पुराने रोगों से मुक्ति मिलेगी परन्तु इस समय आप भय और तनाव से ग्रस्त रह सकते हैं ।
मिथुन राशि- इस राशि के जातकों के लिए यह समय चिंताजनक हो सकता है। राशि स्वामी बुध का नीच राशि में होने से इस समय अनिश्चितता और तनाव आप पर हावी हो सकते हैं, जो कि स्थिति को और बिगाड़ने का काम कर सकता है, परन्तु गुरु ग्रह का आपकी राशि से भाग्य स्थान पर गोचर या राशि परिवर्तन रोग भाव पर त्रिपाद दृष्टि होना पुराने रोग से आराम दिला सकता है। इस समय कुछ जातकों को सांस से संबंधित शिकायत हो सकती है।
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कर्क राशि- कर्क राशि के जातकों के लिए गुरु का गोचर अष्टम भाव में होने से इस राशि के जातकों के लिए गुप्त रोग संबंधी परेशानियां आ सकती हैं। हालांकि इस समय आपको पहले से चल रही किसी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से निजात मिलेगी। विशेष कर इस समय अवधि में पहले से चल रही स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों वाले जातक खुद को उत्साहित और ऊर्जावान महसूस करेंगे।
सिंह राशि- सिंह राशि के लिए सप्तम भाव में गुरु का गोचर दांपत्य जीवन में तनाव जैसी स्थितियां उत्पन्न कर सकता है। गुरु पंचमेश होकर शत्रु राशि में रहेंगे, जिससे आपके स्वभाव में नकारात्मकता उत्पन्न हो सकती है, जिससे स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। इस समय इस राशि के जातकों को एलर्जी इत्यादि से भी सावधान रहना चाहिए।
कन्या राशि- गुरु का आपके रोग भाव में होने से व रोग भाव का स्वामी शनि पंचम भाव में होने से आप खानपान की वजह से आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह समय आपको मोटापा, लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियां भी दे सकता है। गुरु की यह स्थिति प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी लाती है जो काफी बीमारियों को भी न्योता दे सकती है।
तुला राशि- तुला राशि के लिए गुरु इस गोचर के दौरान पराक्रमेश भाव से पंचम भाव में स्थित रहेगा व पंचमेश अपने शनि अपने से द्वादश भाव में होने आप स्वाभाविक है कि, खान-पान नियंत्रण न होने के कारण यह समय आपको मोटापा, लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियां भी दे सकता है। गुरु की यह स्थिति प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी लाती है जो काफी बीमारियों को भी न्योता दे सकती है ।
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यह राशिफल आपकी चंद्र राशि पर आधारित है। इसके अलावा व्यक्तिगत भविष्यवाणी जानने के लिए ज्योतिषियों के साथ फ़ोन पर या चैट पर जुड़े।
वृश्चिक राशि- वृश्चिक के लिए यह गुरु का चतुर्थ भाव यानि कुम्भ राशि में गोचर होना स्वास्थ्य के लिहाज़ से ज्यादा लाभप्रद स्थितियां उत्पन्न कर रहा है। छोटी बीमारियों को दूर करने में सक्षम है, परन्तु राशि स्वामी मंगल का सप्तम भाव यानी राहु के साथ युक्त हो कर बैठना पुरानी बीमारियों को और मुश्किल बना सकता है। हालाँकि यदि आप इस समय खान – पान का ध्यान व योग-ध्यान इत्यादि करते हैं तो स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
धनु राशि- धनु राशि के लिए गुरु का गोचर तृतीय भाव में रहेगा जो की स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से शुभ स्थितियों का निर्माण कर रहा है। इस समय अवधि में पहले से पहले से चल रही परेशानियां आपको आराम देगी व आप खुद को सकारात्मक विचारों से भरने का प्रयत्न करेंगे व चल रहा जीवन में तनाव दूर होगा और आपको शुभ परिणाम की तरफ लेकर जाएगा।
मकर राशि- गुरु द्वादशेश व तृतीयेष होकर आपके द्वितीय भाव यानि मारक भाव में भ्रमण करेंगे व मारक भाव का स्वामी शनि आपकी राशि प्रथम भाव में होने से इस समय आप थकान, चिड़चिड़ापन महसूस करेंगे। आप के अंदर अधिक गुस्सा और नकारात्मकता हावी रहेगी। साथ ही गुरु ग्रह की षष्ठ भाव व अष्टम भाव पर दृष्टि होने से गुप्त रोग सम्बंधित परेशानियां उत्पन्न हो सकती है। जिससे आपकी ऊर्जा में कमी आएगी। शांत रहें और नकारात्मकता को अपने ऊपर हावी न होने दें।
कुंभ राशि- कुंभ राशि के लिए गुरु का गोचर आपकी राशि में स्थित प्रथम भाव पर विराजित रहेगा जो कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शुभ नहीं रहेगा। खास कर मानसिक तनाव जैसी बीमारी परेशान कर सकती हैं। राशि स्वामी शनि का बारहवें घर में जाना नींद न आना, चिड़चिड़ापन आदि समस्याओं को बढ़ावा देता है और इससे खानपान को लेकर भी आप अव्यवस्थित रह सकते हैं। तो इस समय आपको अपने खानपान का ध्यान रखना होगा। नकारात्मकता और तनाव से दूर रहना आपकी स्थिति को और नियंत्रण में लाएगा।
मीन राशि- मीन राशि वालों के लिए गुरु का गोचर स्वास्थ्य के लिहाज़ से कष्टकारी रह सकता है। गुरु ग्रह का अपने से द्वादश भाव पर पूर्ण दृष्टि होना भले ही बीमारी से निजात तो देगा परंतु छोटी – छोटी बीमारियों से परेशान करके रखेगा। ध्यान दें की जितना हो सके तनाव को अपने से दूर रखें।
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