ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के योग का वर्णन है। इनमें से कुछ योग शुभ फल देते हैं तो वहीं कुछ योग बुरे फल भी देते हैं। इन्हीं योग में से एक योग होता है, गुरु चांडाल योग। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और गुरु एक साथ युति कर लें या फिर कुंडली में इनका आपस में किसी भी प्रकार सम्बन्ध स्थापित होता है तो गुरु चांडाल का योग बनता है।
आपको बता दें कि बृहस्पति यानी कि गुरु बुद्धि, ज्ञान, धर्म आदि के स्वामी होते हैं। ऐसे में किसी जातक की कुंडली में गुरु नीच हो जाए तो वैसा व्यक्ति इन सब से विपरीत कर्म करने लगता है। वहीं राहु की वजह से इंसान अनैतिक कार्य, गैर कानूनी कार्य, जुआ, नशा, सट्टेबाजी की तरफ खिंचा चला जाता है। ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है तो राहु गुरु के प्रभाव को ख़त्म कर के जातक को पूरी तरह से अपने प्रभाव में ले लेता है। ऐसे में गुरु चांडाल योग जातक को हमेशा बुरे परिणाम ही देता है।
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क्या पड़ता है मनुष्य पर गुरु चांडाल योग का प्रभाव?
गुरु चांडाल योग से इंसान के सोचने की क्षमता क्षीण हो जाती है। उसका जीवन अस्थिर बना रहता है और लगातार अपने लिए फैसलों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। गुरु चांडाल योग से गुजर रहे जातकों में चारित्रिक दोष आ जाते हैं और वो लगातार अनैतिक संबंध बनाने को उत्सुक रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों को कई तरह की गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। लिवर और पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है जबकि ज्यादा बुरी स्थिति में कैंसर जैसी प्राणघातक बीमारी भी व्यक्ति को घेर लेती है। ऐसे व्यक्ति गलत तरीके से धन अर्जित करने में भी संकोच नहीं करते हैं। समाज में अपयश का सामना करना पड़ता है। गुरु चांडाल योग वाले जातक नास्तिक भी बन जाते हैं। अगर किसी महिला के कुंडली में गुरु चांडाल का योग बनता है तो उसके वैवाहिक जीवन में कलह बढ़ जाते हैं।
किन जातकों पर नहीं पड़ता है गुरु चांडाल योग का प्रभाव?
यदि किसी जातक की कुंडली में गुरु यानी कि बृहस्पति उच्च राशि में विराजमान हो या फिर राहु और गुरु के साथ कोई और भी ग्रह मौजूद हो तो गुरु चांडाल योग काम नहीं करता है। गुरु वक्री या फिर अस्त हो तो भी यह काम नहीं करता। इसके अलावा यदि जातक के ऊपर किसी सद्गुरु की कृपा हो तो भी गुरु चांडाल योग का प्रकोप कम हो जाता है।
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गुरु चांडाल योग में क्या उपाय करें?
- गुरु चांडाल योग से ग्रसित व्यक्ति को रोज स्वयं से हल्दी और केसर का तिलक अपने माथे पर लगाना चाहिए। इससे गुरु प्रबल होते हैं।
- जब भी कोई निर्णय लें तो अपने से बड़ों के फैसलों का सम्मान करें व उसे ध्यान से सुनें। खुद के लिए फैसलों पर भी विश्वास रखें।
- नियमित रूप से भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा-अर्चना करें।
- किसी ज्योतिषी से सलाह-मशविरा करने के बाद गले में पीला पुखराज धारण करें।
- बरगद के पेड़ की जड़ में कच्चा दूध चढ़ाएं।
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