गुरु मीन राशि में अस्त: जानें देश और दुनिया पर इसका प्रभाव!

गुरु मीन राशि में अस्त: बृहस्पति ग्रह सौरमंडल में सबसे विशाल ग्रह है। इनका विशाल आकार और सर्वाधिक गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है। वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को बहुत अधिक महत्व दिया गया है और इन्हें नवग्रहों में ‘गुरु’ की उपाधि दी गई है। बृहस्पति महाराज के गोचर या राशि परिवर्तन की बात करें तो, यह एक राशि में 13 महीने तक रहते हैं। ऐसे में, बृहस्पति की स्थिति में परिवर्तन चाहे वह गोचर, अस्त या उदय के रूप में हो, तीनों ही बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको गुरु के मीन राशि में अस्त होने के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएँगे कि यह देश-दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा और नकारात्मक प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है लेकिन इससे पहले जान लेते हैं ज्योतिष में गुरु का क्या महत्व है।

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ज्योतिष में गुरु ग्रह का महत्व

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु’ कहा जाता है। यह धनु और मीन राशि के स्वामी हैं और कर्क इसकी उच्च राशि है जबकि मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। गुरु बुद्धि, भाग्य,  ज्ञान, शिक्षक, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान और पुण्य के कारक हैं। इन्हीं के प्रभाव से व्यक्ति धार्मिक और दान पुण्य करने वाला होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति कमजोर है, तो व्यक्ति के संस्कारों में कमी आ जाती है। उसे अच्छे गुरु की प्राप्ति नहीं होती, बड़ों का सहयोग नहीं मिलता है। साथ ही विद्या और धन से जुड़ी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। वहीं यदि व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति शुभ स्थान पर हैं, तो वह व्यक्ति को बुद्धिमान बनाते हैं। संसार में उस मनुष्य मान सम्मान बढ़ता है।

बृहस्पति को राशि चक्र का एक चक्कर पूरा करने में लगभग 12 साल लगते हैं और यह कुंडली में स्थित 12 भावों पर भिन्न-भिन्न तरह से प्रभाव डालते हैं। ऐसा माना जाता है कि कुंडली में यदि कोई भाव कमज़ोर हो और उस पर गुरु की दृष्टि पड़ जाए तो वह भाव मजबूत हो जाता है।

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गुरु मीन राशि में अस्त: तिथि व समय

गुरु सूर्य से 11 अंश या इससे अधिक समीप पर आने पर स्वतः अस्त हो जाते हैं। बता दें जब कोई ग्रह सूर्य से एक निश्चित दूरी के अंदर आ जाता है तो सूर्य के तेज प्रकाश में वह ग्रह अपनी शक्ति खोने लगता है और सूर्य के प्रकाश में छिप जाता है जिसे उस ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में गुरु का अस्त होना शुभ नहीं माना जाता है। गुरु की अस्त अवस्था के दौरान शुभ एवं मांगलिक कार्य जैसे कि शादी, सगाई, नामकरण आदि करने की मनाही होती है। इसी क्रम में गुरु मीन राशि में अस्त 28 मार्च 2023 होने जा रहे हैं। देव गुरु बृहस्पति 09 बजकर 20 मिनट पर मीन राशि में अस्त हो जाएंगे। आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि देश-दुनिया पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है।

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गुरु मीन राशि में अस्त: वैश्विक प्रभाव

  • सरकार को देश ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की बदहाल स्थिति, लगातार बढ़ रही मुद्रास्फीति और बेरोजगारी, जैसे मुद्दों पर विपक्ष के सवालों का सामना करना पड़ सकता है।
  • देश की शिक्षा प्रणाली में मौजूद खामियां सरकार की नजर में आ सकती है और सरकार इसे दूर करने की योजना की तरफ आगे बढ़ सकती है।
  • दुनियाभर के कई देशों में भूकंप, बाढ़ आदि जैसी प्राकृतिक विपदाएं उत्पन्न हो सकती है जो मानव जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं।
  • मौसम की अनिश्चितता, जल संसाधनों और सिंचाई की कमी के कारण देश के कई हिस्सों में किसानों को खेती करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • भारत सहित दुनिया भर की तमाम सरकारें मंदिरों, स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों का पुनर्निर्माण या नवीनीकरण कराने पर विचार कर सकती हैं।
  • आशंका है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोग एलर्जी या बुखार जैसी बीमारियों से परेशान हो सकते हैं।
  • यह अवधि शिक्षा, स्वास्थ्य व काउंसलिंग क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए अनुकूल प्रतीत होती नज़र नहीं आ रही है।
  • इस अवधि के दौरान तीर्थ यात्रा पर जाने वाले लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

गुरु मीन राशि में अस्त: सामान्य उपाय

  • प्रत्येक गुरुवार के दिन बच्चों को बेसन से बनी मिठाई का दान करें।
  • गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करें और ब्राह्मणों को भी पीले कपड़े दान करें।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • बुजुर्गों और गरीबों की सहायता करें और उनका आशीर्वाद लें।
  • गुरुवार के दिन गायों को केला और पीली दाल खिलाएं।
  • गुरुवार को विष्णु मंदिर जाएं।

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