चैत्र महीना प्रारंभ हो चुका है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार चैत्र के महीने में हिंदू नव वर्ष प्रारंभ होता है। हिंदू नव वर्ष को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गुड़ी पड़वा का त्योहार 13 अप्रैल मंगलवार के दिन मनाया जाएगा। गुड़ी पड़वा का त्यौहार फसल दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। इस दिन क्या कुछ खास किया जाता है और किन देवी देवताओं की पूजा की जाती है, आइए इस आर्टिकल में जानते हैं इन सभी सवालों का जवाब।
गुड़ी पड़वा की तिथि और शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा का त्योहार – 13 अप्रैल 2021
प्रतिपदा तिथि की शुरुआत- 12 अप्रैल 2021 को रात 8 बजे
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गुड़ी पड़वा के त्यौहार के दिन लोग तरह-तरह के पकवान बनाते हैं। इसके अलावा लोग दिन नए और साफ़ वस्त्र पहनते हैं। पकवान की बात करें तो, मुख्य रूप से गुड़ी पड़वा के दिन पूरन पोली, श्रीखंड और शक्कर भात बनाया जाता है जिसे लोग अपने रिश्तेदारों में, दोस्तों और घर के लोगों के साथ मिलकर खाते और इस महत्वपूर्ण दिन का जश्न मनाते हैं। गुड़ी पड़वा के दिन भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा की पूजा का विधान बताया गया है।
गुड़ी पड़वा का पौराणिक महत्व
हिंदू नव वर्ष माने जाने वाले गुड़ी पड़वा के बारे में पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, यह वही दिन होता है जिस दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड (सृष्टि) का निर्माण किया था। ऐसे में इस दिन भगवान ब्रह्मा की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इसके अलावा बनाए हुए भोजन का उन्हें भोग भी लगाया जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति गुड़ी पड़वा के दिन पूजा आदि करता है उसके जीवन से तमाम बुराई और पाप का अंत होता है और जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है।
गुड़ी पड़वा की पूजन विधि
- इस दिन सूर्योदय से पहले अनुष्ठान किया जाता है और लोग सुबह-सुबह तेल लगाकर स्नान करते हैं।
- इसके बाद दिवाली की तरह घर के मुख्य द्वार पर आम की पत्ती और फूल लगाया जाता है और घर को सजाया जाता है।
- इसके बाद घर में गुड़ी लगाई जाती है। इस गुड़ी को आम के पत्तों, पीले कपड़ों, फूलों आदि से सजाया जाता है।
- इसके बाद लोग ब्रह्मा भगवान की पूजा करते हैं और गुड़ी फहराते हैं। गुड़ी फहराने फहराने के बाद इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती।
आशा करते हैं इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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