गोमेद रत्न (Gomed Ratna) धारण करने की विधि और लाभ
गोमेद रत्न (Gomed Ratna) को राहु ग्रह से संबंधित माना जाता है। राहु के ज्योतिष शास्त्र में पाप ग्रह माना जाता है और इसलिए इसके दुष्प्रभावों को खत्म करने के लिए ज्योतिषाचार्यों द्वारा इस रत्न को धारण करने की बात कही जाती है। आज अपने इस लेख में हम इस रत्न से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आपको देंगे।
ज्योतिषशास्त्र में गोमेद रत्न को बहुत प्रभावकारी कहा जाता है। इससे व्यक्ति को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। हालांकि कुंडली के अध्ययन के बाद ही इस रत्न को धारण किया जाना चाहिए।
गोमेद रत्न कैसा होता है?
राहु ग्रह से संबंधित यह रत्न गहरे भूरे रंग या लाल रंग की तरह होता है। यह गारनेट समूह का रत्न माना जाता है और जिसको हिंदी में गोमेद और अंग्रेजी में हैसोनाइट स्टोन (Hessonite Stone) के नाम से जाना जाता है। यह एक चमकदार और अपारदर्शी रत्न है।
कहां पाया जाता है गोमेद रत्न (Gomed Ratna)?
गोमेद रत्न पूरी दुनिया में कई स्थानों में पाया जाता है। मुख्य रूप से यह भारत, श्रीलंका और ब्राजील में मिलता है। इसके साथ ही थाईलैंड, साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी यह रत्न पाया जाता है।
गोमेद रत्न कब धारण करें
इस रत्न को धारण करने के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इन बातों के बारे में हम नीचे बता रहे हैं।
- यदि आपकी कुंडली में राहु ग्रह केंद्र स्थान में है तो आपको गोमेद रत्न धारण करना चाहिए।
- राहु ग्रह यदि शुभ भाव का स्वामी होकर षष्ठम या अष्टम भाव में विराजमान हो तो गोमेद रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।
- द्वितीय, तृतीय, नवम और एकादश भाव में यदि राहु विराजमान है तो गोमेद पहनना लाभकारी होता है।
- जिन लोगों की राशि या लग्न मिथुन, तुला, कुंभ या वृष हो तो ऐसे लोगों को भी गोमेद रत्न धारण करना चाहिए।
- कुंडली के किसी भी भाव में राहु की युति अगर बुध के साथ या शुक्र के साथ हो रही हो तो यह रत्न धारण करना चाहिए।
- जो लोग वकालत, या न्याय से संबंधित कोई कार्य करते हैं उन्हें गोमेद स्टोन धारण करना चाहिए।
- राहु की युति सूर्य के साथ हो रही हो या सिंह राशि में विराजमान हो तो गोमेद रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।
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कितने रत्ती का गोमेद करें धारण?
ज्योतिषशास्त्र में रत्नों का बहुत महत्व है इन्हें एक निश्चित अनुपात में पहनना ही शुभ माना जाता है। ऐसे में गोमेद रत्न यदि आप धारण करना चाहते हैं तो यह अवश्य ध्यान में रख लें कि इसका वजन 6 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए।
कैसे धारण करें गोमेद रत्न?
इस रत्न को शनिवार के दिन धारण करना शुभ माना गया है। शनिवार के दिन यदि इसे शतभिषा, स्वाती या आर्द्रा नक्षत्र में पहना जाए तो इसकी शुभता बढ़ जाती है। इसके साथ ही इसको शनि की होरा में शुक्ल पक्ष के किसी भी शनिवार को इस रत्न को धारण किया जाना चाहिए।
गोमेद रत्न को धारण करने के लाभ
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार गोमेद सबसे लाभदायक रत्नों में से एक है, और जीवन में हर किसी को कुंडली की दशाओं के अनुसार इस रत्न को धारण अवश्य करना चाहिए। आइए अब जानते हैं कि इस रत्न को धारण करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं।
- इस रत्न को यदि राहु की महादशा या अंतर्दशा के दौरान पहना जाए तो व्यक्ति को इससे शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।
- इस रत्न को पहनने से काल सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को भी राहत मिलती है।
- जो लोग वकालत, दलाली, राजनीति या संचार के क्षेत्रों से जुड़े हैं उन्हें इस रत्न को धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इसे धारण करने से संबंधित क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही इससे आर्थिक रूप से भी व्यक्ति सबल होता है।
- स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलावों के लिए भी इस रत्न को पहनना शुभ माना जाता है। इससे पाचनतंत्र को भी मजबूती मिलती है।
- यह प्रतिद्वंदियों पर विजय प्राप्त करने में भी मदद करता है।
- इसे धारण करने से व्यक्ति की नकारात्मकता दूर होती है।
- जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी है वह यदि इस रत्न को धारण कर लें तो उनका आत्मविश्वास मजबूत होता है।
गोमेद धारण करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
- जिस गोमेद पर गहरे दाग हों उसे धारण नहीं करना चाहिए, इससे दर्घटना होने की संभावना होती है और साथ ही व्यक्ति में नकारात्मकता भी आती है।
- महिलाओं को कम चमकीला गोमेद धारण नहीं करना चाहिए। ऐसा गोमेद धारण करने से अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
- कई रंगों वाला गोमेद रत्न भी धारण नहीं करना चाहिए। इससे व्यक्ति के जीवन में प्रतिकूलता आती है।
- ऐसा गोमेद रत्न कभी भी धारण न करें जिस पर किसी तरह की टूट-फूट हो। ऐसा गोमेद पहनने से व्यक्ति के जीवन में समस्याएं बनी रहती हैं।
- यदि आपने इस रत्न को धारण किया है तो इसके साथ मूंगा, पीला पुखराज, माणिक्य या मोती रत्न धारण नहीं करना चाहिए।
गोमेद के उपरत्न
यदि गोमेद रत्न सही समय पर न मिल पाए तो इसके उपरत्नों को धारण करना भी शुभ माना जाता है। इसके दो मुख्य उपरत्न हैं साफी और तुरसा। इन दोनों उपरत्नों को धारण करने से भी गोमेद की तरह ही लाभ प्राप्त होते हैं। इसके साथ ही गोमेद रत्न के रंग वाला अकीक धारण करना भी इसके बदले अच्छा माना जाता है।