GhataSthapana 2021: घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्व: जान लें सबकुछ

नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। घटस्थापना को बहुत सी जगह पर कलश स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि में घट स्थापना का विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं इस अनुष्ठान के साथ ही नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी कि पहले दिन शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान के साथ घट स्थापना की जाती है।

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सनातन धर्म में किसी भी पूजा या मांगलिक कार्य, शुभ काम से पहले भगवान गणेश की पूजा का विधान बताया गया है। हिंदू धर्म में कलश को भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है और इसीलिए नवरात्रों के पहले दिन घट स्थापना किए जाने का विधान बताया गया है। आइए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं घटस्थापना से जुड़े कुछ विशेष नियम, इसके लिए आवश्यक सामग्री, घट स्थापना की विधि और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें।

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2021 में घटस्थापना कब है?

7 अक्टूबर, 2021 (गुरुवार)

घटस्थापना मुहूर्त 

घटस्थापना मुहूर्त :06:16:56 से 10:11:33 तक

अवधि :3 घंटे 54 मिनट

ऊपर दिया गया मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। यहाँ क्लिक करें और अपने शहर के अनुसार घटस्थापना का शुभ मुहूर्त जानें।

घटस्थापना के लिए महत्वपूर्ण सामग्री 

सबसे पहले जान लेते हैं कि घटस्थापना को विधिवत तरीके से करने के लिए आपको किन किन आवश्यक सामग्री की ज़रूरत पड़ेगी।

  • सात तरह के अनाज
  • मिट्टी का एक चौड़े मुंह वाला बर्तन
  • पवित्र जगह से लायी गयी मिट्टी
  • एक कलश
  • थोड़ा सा गंगाजल या सादा जल
  • आम या अशोक के पत्ते
  • सुपारी
  • एक नारियल, संभवतः जटा वाला
  • अक्षत
  • लाल रंग का साफ़ कपड़े का टुकड़ा
  • साफ़ और ताज़े फ़ूल

घट स्थापना की विधि

  • सबसे पहले मिट्टी का बर्तन ले लें और इसमें 7 तरह के अनाज रख दें। 
  • इसके बाद एक कलश में जल भरकर उसके ऊपरी भाग में कलावा बाँध दें और फिर उसे मिट्टी के बर्तन पर रख दें। 
  • कलश पर अशोक या आम के पत्ते रख दें। 
  • इसके बाद नारियल में कलावा लपेट लें। 
  • इसके बाद नारियल को एक लाल साफ कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के बीच में रख दें। 
  • घटस्थापना विधि पूरी होने के बाद ही देवी का आवाहन किया जाता है।

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नवरात्रि का पहला दिन: माँ शैलपुत्री का दिन 

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ-साथ माँ शैलपुत्री की पूजा का विधान बताया गया है। मां शैलपुत्री हिमालय के घर जन्मीं थी इसी वजह से उनका नाम देवी शैलपुत्री पड़ा। मां शैलपुत्री वृषभ पर सवारी करती हैं और इनके एक हाथ में त्रिशूल है और एक हाथ में कमल का फूल है।

माँ शैलपुत्री पूजा महत्व 

मान्यता है कि, नवरात्रि के पहले दिन विधिवत रूप से माँ शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में तमाम सुख आने लगते हैं, मनोकामनाएं पूरी होती हैं, विवाह में आने वाली हर प्रकार की बाधा दूर होती है, वैवाहिक जीवन में सुख आता है।

माँ शैलपुत्री पूजा: ज्योतिषीय पहलु 

ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि में पूजित होने वाली नौ देवियों के संबंध नौ ग्रहों से भी होते हैं और इसलिए विधि विधान से यदि माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाये तो ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचा या उसे दूर किया जा सकता है। इस कड़ी में माँ शैलपुत्री को चंद्रमा ग्रह से संबंधित माना गया है और नवरात्रि के पहले दिन विधिवत पूजा अर्चना करने से कुंडली में मौजूद चन्द्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम या दूर किया जा सकता है। 

माँ शैलपुत्री भोग  

नवरात्रि में पहले दिन दिन की पूजा माँ शैलपुत्री को समर्पित होती है। ऐसे में यदि आप इस दिन माता को गाय का शुद्ध साफ़ घी भोग के रूप में चढ़ाते हैं तो इससे माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आरोग्य और संपन्न जीवन का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 

माँ शैलपुत्री पूजन मंत्र 

वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्‌ .

वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥

घटस्थापना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम और सावधानियां

आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि यदि आप अपने घर में घट स्थापना या कलश स्थापना कर रहे हैं तो आपको इस दौरान किन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए और क्या कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।

कहा जाता है कि घट स्थापना की प्रक्रिया दिन के एक तिहाई हिस्से से पहले संपन्न कर लेना ज्यादा अच्छा होता है। इसके अलावा यदि आप कलश स्थापना या अपने घर में घट स्थापना कर रहे हैं तो इसके लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे उत्तम और फलदाई माना गया है। इसके अलावा नक्षत्रों की बात करें तो घट स्थापना के लिए सबसे शुभ नक्षत्र होते हैं पुष्य नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, हस्ता नक्षत्र, रेवती नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, अश्विनी नक्षत्र, मूल नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र, और पुनर्वसु नक्षत्र।

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कलश स्थापना महत्व

मान्यता है कि, जिन घरों में विधि पूर्वक कलश स्थापना या घट स्थापना की विधि की जाती है ऐसे घरों में और ऐसे व्यक्तियों से मां अन्नपूर्णा बेहद प्रसन्न होती हैं और ऐसे घरों में खुशियां, धन-धान्य, सुख समृद्धि, की कभी कोई कमी नहीं रहती है। इसके अलावा कहा जाता है कि, क्योंकि सुख समृद्धि, वैभव, और सुख इत्यादि शुभ चीजों का प्रतीक होता है इसीलिए केवल नवरात्रि में ही नहीं बल्कि अन्य शुभ और मांगलिक कार्यों में भी इसकी स्थापना की जाती है।

क्यों रखा जाता है कलश में पानी?

कलश स्थापना में इस बात का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है कि कलश कभी भी खाली ना हो। कलश में हमेशा जल रखना बताया जाता है। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यूं? आखिर जल बिना कलश के क्यों नहीं रखा जाता है? तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शास्त्रों में कहा गया है कि कलश को कभी भी बिना जल के स्थापित नहीं किया जाना चाहिए। कलश में हमेशा पान के पत्ते, केसर, अक्षत, कुमकुम, फूल, सुपारी, सूत, नारियल, मौली और अनाज आदि रखा जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में और घर में सुख, समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा आदि बनी रहती है।

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घटस्थापना से पहले अवश्य करें ये ज़रूरी काम  

घटस्थापना से पहले कुछ ऐसे काम बताए गए हैं जिन्हें करने से मां दुर्गा अवश्य रूप से और बेहद जल्द प्रसन्न होती हैं। तो आइए जान लेते हैं कि क्या है वो जरूरी काम:

  • अपने घर और मन को स्वच्छ बनाए रखें। इसके लिए नवरात्रि से एक या दो दिन पहले तामसिक भोजन करना छोड़ दें। साथ ही अपने घर की अच्छी तरह से साफ सफाई कर लें क्योंकि माता को तन मन और आसपास की जगहों की स्वच्छता बेहद ही प्रिय होती है।
  • नवरात्रि से पहले पूजा स्थल को गंगाजल से साफ करें। विशेष तौर पर ईशान कोण को क्योंकि पूजा के लिए यह स्थान सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। ईशान कोण में ही घट स्थापना भी करें।
  • चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना से पहले अपने घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इस चिन्ह को बेहद शुभ और मंगलकारी माना गया है। नवरात्रि ही नहीं बल्कि जीवन में किसी भी शुभ कार्य में सफलता पाने के लिए भी स्वस्तिक का यह चिन्ह बेहद शुभ माना जाता है।
  • ज्यादा से ज्यादा मौन रहे। कहा जाता है कि मन को शांत करने के लिए मौन बेहद ही उपयोगी होता है इसीलिए मुमकिन हो तो घटस्थापना से कुछ घंटों पहले से मौन रहना शुरू कर दें। ऐसा करना आपके लिए बेहद शुभ साबित होगा। मौन अवस्था में ही घटस्थापना करें। ऐसा करने से आपका मन शांत रहेगा और आपका ध्यान ज्यादा से ज्यादा पूजा में लगेगा।

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