इस गंगा दशहरा हो रहा है 4 महायोगों का निर्माण, होगी शुभ फलों की वर्षा।

जैसा कि आप जानते हैं कि हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति में गंगा को माँ का दर्जा दिया है। साथ ही इसे बहुत पवित्र माना गया है। किसी भी चीज़ की पवित्रता या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले, शुद्धिकरण के लिए गंगाजल का ही प्रयोग किया जाता है। पतित पावनी, मोक्षदायिनी कही जाने वाली माँ गंगा के अवतरण दिवस को ही गंगा दशहरा के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग गंगा नदी में दिव्य स्नान करते हैं और दान-पुण्य आदि करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से 10 तरह के पापों (3 कायिक, 3 मानसिक, 4 वाचिक) से मुक्ति मिलती है, मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

गंगा दशहरा का महत्व

माँ गंगा को सभी नदियों में श्रेष्ठ माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, गंगा तीनों लोकों में प्रवाहमान है, इसलिए इसे ‘त्रिपथगा’ भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में दिव्य स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा जीवन में मौजूद कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। वहीं इस दिन दान-पुण्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं तथा विभिन्न ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से भी राहत मिलती है। पितरों के तर्पण या शांति के लिए भी इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

गंगा दशहरा की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में अयोध्या नगरी में राजा भगीरथ हुआ करते थे, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का पूर्वज भी माना जाता है। राजा भागीरथ को अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए गंगाजल में उनका तर्पण करने की आवश्यकता थी। उस समय गंगा केवल स्वर्ग लोक तक ही सीमित थीं। भागीरथ के पिता एवं उनके दादा ने गंगा को धरती पर लाने के लिए कई सालों तक घोर तपस्या की, लेकिन वे सफल नहीं हुए। फिर राजा भागीरथ ने हिमालय जाकर कठोर तपस्या की।

राजा भागीरथ की कड़ी तपस्या से माँ गंगा प्रसन्न हुईं और धरती पर आने के लिए तैयार हो गईं। लेकिन उस समय बड़ी समस्या यह थी कि गंगा का वेग इतना ज़्यादा था कि धरती में तबाही आ सकती थी और गंगा को नियंत्रित करने की शक्ति सिर्फ़ महादेव यानी कि भगवान शिव के पास थी।

भागीरथ को जब यह बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव की तपस्या करनी शुरू कर दी। तपस्या के दौरान वे लगभग 1 वर्ष तक एक पैर के अंगूठे पर खड़े होकर, बिना कुछ खाए-पिए महादेव की आराधना करते रहे, जिससे भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए और गंगा को धरती पर लाने का आग्रह स्वीकार कर लिया।

इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से गंगा की धारा प्रवाहित की और महादेव ने उस धारा को अपनी जटाओं में समेट लिया। गंगा शिव की जटाओं में लगभग 32 दिनों तक विचरण करती रहीं। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को महादेव ने अपनी एक जटा से गंगा को धरती पर अवतरित किया। भागीरथ ने हिमालय के पर्वतों के बीच से गंगा नदी के लिए पथ निर्माण किया। इसके बाद राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल से तर्पण कर, उन्हें मुक्ति दिलाई।

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर

गंगा दशहरा तिथि, समय व मुहूर्त

दिनांक: 9 जून, 2022

दिन: गुरुवार/बृहस्पतिवार

हिंदी महीना: ज्येष्ठ

पक्ष: शुक्ल

तिथि: दशमी

दशमी तिथि आरंभ: 9 जून 2022 की सुबह 08 बजकर 23 मिनट से

दशमी तिथि समाप्त: 10 जून, 2022 की सुबह 07 बजकर 27 मिनट तक

गंगा दशहरा पूजन विधि

  • माँ गंगा की कृपा पाने के लिए गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करना बेहद फलदायी माना जाता है। लेकिन अगर गंगा नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर दिव्य स्नान करें।
  • इसके बाद घर के मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाएं।
  • फिर माँ गंगा को फूल और श्रीफल चढ़ाएं।
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी महत्व होता है। चूंकि इस वर्ष गंगा दशहरा का पर्व गुरुवार के दिन पड़ रहा है। ऐसे में श्री हरि भगवान विष्णु की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए विष्णु जी की पूजा करना न भूलें।
  • पूजा के समय ‘ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः’ मंत्र का जाप करें। 
  • पूजा करने के बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य अवश्य करें क्योंकि गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें

गंगा स्नान करते समय न करें ये काम

  • गंगा स्नान करते समय माँ गंगा को केवल प्रणाम करना चाहिए। शरीर का मैल आदि गंगा में छुड़ाएं और न ही कपड़े धोएं।
  • गंगा के डुबकी लगाने के बाद शरीर को कभी नहीं पोंछना चाहिए। शरीर को अपने आप सूखने दें, उसके बाद कपड़े पहनें।
  • सूतक के समय भी गंगा स्नान किया जा सकता है, लेकिन अपवित्र स्थिति में महिलाओं को गंगा स्नान नहीं करना चाहिए।
  • नदी में किसी भी प्रकार की गंदगी, कचरा आदि नहीं डालना चाहिए। इसे माँ गंगा का अनादर माना जाता है।

गंगा दशहरा के दिन अंक 10 का होता है विशेष महत्व

गंगा दशहरा के दिन पूजा और दान में अंक 10 का विशेष महत्व होता है। इसलिए इस दिन 10 फूल, 10 दीप, 10 फल, 10 अगरबत्ती व धूप, 10 मिठाई अर्थात हर चीज़ 10 संख्या में रखी जाती है। इसी प्रकार गंगा स्नान और पूजा-पाठ करने के बाद, दान-पुण्य के समय भी 10 संख्या में ही दान करना चाहिए। जैसे कि 10 कपड़े, 10 कलश, 10 खाने की सामग्री आदि। यही कारण है कि गंगा दशहरा के पावन अवसर पर सभी जातकों को गंगा में 10 डुबकी लगाना चाहिए। इस दिन 10 चीज़ें जैसे कि जल, अन्न, फल, वस्त्र, पूजन सामग्री, सुहाग सामग्री, घी, नमक, तेल, चीनी (शक्कर) और स्वर्ण दान आदि शुभ माना जाता है।

इस बार का गंगा दशहरा क्यों है इतना ख़ास?

गंगा दशहरा 2022 (Ganga Dussehra 2022) के दिन हस्त नक्षत्र रहेगा। मान्यता है कि माँ गंगा इसी नक्षत्र के तहत धरती पर अवतरित हुई थीं, इसीलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि हस्त नक्षत्र में किए गए सभी काम फलदायी साबित होते हैं।

हस्त नक्षत्र आरंभ: 9 जून, 2022 की सुबह 04 बजकर 31 मिनट से 

हस्त नक्षत्र समाप्त: 10 जून, 2022 की सुबह 04 बजकर 31 मिनट तक

इस गंगा दशहरा पर हो रहा है 4 महायोगों का निर्माण

गंगा दशहरा के दिन वृषभ राशि में सूर्य और बुध मिलकर बुधादित्य योग का निर्माण कर रहे हैं। साथ ही इस दिन रवि योग, व्यतीपात योग और गजकेसरी योग का भी निर्माण हो रहा है।

बुधादित्य योग: इस योग से धन, वैभव और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। साथ ही यह जातक को अति भाग्यशाली बनाता है। जिन जातकों की कुंडली में बुधादित्य योग बनता है, उसके सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं।

रवि योग: किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए यह योग श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि इस योग को सूर्य का अभीष्ट प्राप्त है, इसलिए इसे काफ़ी प्रभावशाली माना जाता है।

व्यतीपात योग: मान्यता है कि इस योग में प्राणायाम, जप, पाठ और मंत्र उच्चारण करने से मनुष्य के ऊपर हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है। साथ ही मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

गजकेसरी योग: गुरु और चंद्रमा के विशेष संयोजन से बनने वाला यह योग जातक को धन और बल प्रदान करता है। 

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.