गणेश विसर्जन 2021: अनंत चतुर्दशी के दिन इस शुभ मुहूर्त में दें बप्पा को विदाई, इन बातों का रखें ख़ास ख्याल

गणेश चतुर्थी के शुभ मौके पर हमारे घरों में आए बाप्पा इसी वादे के साथ कि वो हमारे घरों में जल्दी ही लौटेंगे अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ अपने घर कैलाश पर्वत पर लौट जाते हैं। इस वर्ष गणेश विसर्जन 19 सितंबर रविवार के दिन किया जाएगा। स्वाभाविक है कि इतने दिनों तक हमारे घर में रहने वाले बप्पा की विदाई करना किसी भी भक्त के लिए आसान नहीं होता है। हालांकि वह हमारे घरों में दोबारा अगले बरस जल्दी ही लौटेंगे, इस बात की खुशी को समेटे आज अपने इस ब्लॉग में हम जानेंगे गणेश विसर्जन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

This image has an empty alt attribute; its file name is vedic-gif.gif

गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त (Ganesh Visarjan Shubh Muhurat)

गणेश विसर्जन शुभ मुहूर्त: सुबह 09:11 से दोपहर 12:21 बजे तक 

दोपहर 01:56 से 03:32 तक

अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 से 12:39 तक 

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:35 से 05:23 तक

अमृत काल रात 08:14 से 09:50 तक

राहुकाल शाम 04:30 से 6 बजे तक-इस दौरान विसर्जन करने से बचें

विद्वान ज्योतिषियों से फोन पर बात करें और सूर्य ग्रह के बारे में विस्तार से जानें

गणेश विसर्जन महत्व (Ganesh Visarjan Mahatva)

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश भगवान का विसर्जन किया जाता है। मान्यता है कि हमारे घर में हमें आशीर्वाद देने आये बाप्पा विसर्जन के साथ ही अपने घर को लौट जाते हैं। हालांकि यहाँ सवाल यह उठता है कि, आखिर गणेश विसर्जन का महत्व क्या होता है और आखिर पानी में  ही क्यों बाप्पा का विसर्जन किया जाता है? 

तो आइये जानते हैं इन दोनों ही बातों का जवाब

गणेश विसर्जन महत्व: हिंदू धार्मिक ग्रंथों में गणेश विसर्जन का जो उल्लेख है उसके अनुसार महाभारत ग्रंथ भगवान गणेश ने लिखी थी। कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास जी ने लगातार दस दिनों तक महाभारत की कथा भगवान गणेश को सुनाई और भगवान गणेश ने 10 दिनों तक निरंतर इस कथा को लिखा था। 10 दिनों के बाद जब वेदव्यास जी ने भगवान गणेश के शरीर को छुआ तो उन्हें समझ आया कि भगवान गणेश के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ है। ऐसे में वेदव्यास जी ने उन्हें तुरंत ही पास के कुंड में ले गए जहाँ के जल से उनके शरीर का बढ़ा हुआ तापमान ठीक होने लगा। कहा जाता है तभी से गणेश विसर्जन की परंपरा प्रारंभ हुई और जल में विसर्जन करने से भगवान गणेश को शीतलता प्रदान होती है।

गणेश विसर्जन पूजन विधि

जैसा कि, कहा जाता है कि कोई भी व्रत हो या कोई भी कर्मकांड तभी फलित होता है जब उसे निर्धारित और सही पूजन विधि और विधि विधान से किया जाए। तो आइए जान लेते हैं कि बाप्पा की विदाई अर्थात गणेश विसर्जन का निर्धारित विधान क्या कहता है।

  • गणेश विसर्जन से पहले भगवान गणेश की पूजा करें। 
  • पूजा में उन्हें मोदक और फल अवश्य चढ़ाएं। 
  • इसके बाद भगवान गणेश की आरती उतारें और उनसे विदा लेकर उन्हें अगले बरस जल्दी आने का न्योता दें। 
  • इसके बाद पूजा वाली जगह से भगवान गणेश की प्रतिमा को स-सम्मान उठाएं।
  • लकड़ी का एक साफ़ पटरा गंगाजल से पवित्र कर लें। फिर उसपर साफ़ गुलाबी रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान गणेश की मूर्ति, फल, फूल, वस्त्र, मोदक लद्दी रख दें। 
  • इसके बाद एक पोटली में थोड़ा चावल, गेहूं, और 5 तरह के मेवे और कुछ सिक्के भी डाल दें और इस पोटली को भगवान गणेश के पास रख दें। 
  • इसके बाद यदि आप घर में विसर्जन कर रहे हैं तो घर में या कहीं बाहर जाकर विसर्जन करने जा रहे हैं तो भगवान गणेश का विसर्जन कर दें। 
  • गणेश विसर्जन के दौरान गणेश भगवान की पोटली भी उनके साथ ही विसर्जित कर दें। अंत में उनसे अपनी मनोकामना पूरी होने का अनुरोध करें।

विद्वान ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें और पाएं हर समस्या का समाधान

गणेश विसर्जन में इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • कोशिश करें कि अपने घर में ही इको फ्रेंडली गणपति की मूर्तियां बनाएं और उनका घर में ही विसर्जन करें। 
  • हालांकि यदि ऐसा मुमकिन नहीं है तो आप बाहर जाकर भी विसर्जन कर सकते हैं लेकिन यहाँ इस बात का ध्यान रखें कि कोरोना का साया अभी तक पूरी तरह से हटा नहीं है। ऐसे में कोरोना वायरस के संदर्भ में सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का विशेष रूप से पालन करें और सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखें। 
  • गणेश विसर्जन से पहले भगवान गणेश की पूजा और आरती की जाती है। हालांकि आपको भीड़ में ज्यादा वक्त ना बिताना पड़े इसके लिए आप अपने घर में ही भगवान गणेश की पूजा और आरती कर लें और विसर्जन स्थल पर जाकर भगवान गणेश का विसर्जन कर दें। 
  • विसर्जन करते समय ढोल नगाड़े और खुशी के साथ भगवान को विदा करें। 
  • इस दौरान काले रंग के वस्त्र पहनने से बचें। 
  • विसर्जन के समय किसी पर क्रोध न करें। 
  • गणेश पूजा से लेकर गणेश विसर्जन तक भूल से भी भोग की वस्तुओं में तुलसी दल या बिल्वपत्र न शामिल करें। 
  • गणेश भगवान की प्रसन्नता हासिल करने के लिए उन्हें दूर्वा घास अवश्य चढ़ाएं।

गणेश विसर्जन उपाय

  • अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति या अपने जीवन से कोई भी कष्ट और परेशानियां दूर करने के लिए गणेश विसर्जन के दिन आप एक बेहद ही छोटा उपाय यह कर सकते हैं कि एक भोजपत्र में सबसे ऊपर एक स्वास्तिक बनाकर नीचे ‘ॐ गं गणपतये नमः’ लिख दें। इसके बाद नीचे अपनी सारी समस्याएं और मनोकामनाएं लिख दें। इस कागज़ को गंदा ना करें। अंत में अपना नाम लिखें और गणेश मंत्र लिख दें। सबसे आखिर में दोबारा स्वास्तिक बनाएं और इस कागज को मोड़कर एक रक्षा सूत्र से बांध से गणेश भगवान की प्रतिमा के साथ ही इस कागज़ के टुकड़े को भी विसर्जित कर दें। कहा जाता है ऐसा करने से आपकी सभी समस्याएं भी दूर हो जाएँगी और आपकी सारी मनोकामनाएं भी अवश्य पूरी होंगी।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा का महत्व

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश जी की प्रतिमा के विसर्जन के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा का भी महत्व बताया गया है। कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा इस दिन हाथ में 14 गांठों वाला अनंत सूत्र भी बांधा जाता है।

अनंत सूत्र में 14 गांठों का क्या है महत्व?

अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा आदि करने के बाद हाथों में अनंत सूत्र बांधा जाता है। इस अनंत सूत्र में 14 गांठ 14 लोकों (भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) से संबंधित माने गए हैं। अनंत सूत्र को बांधने के कई नियम भी बनाए गए हैं। जैसा कि कहा जाता है कि यह अनंत सूत्र हमेशा कपड़े या रेशम का होना चाहिए। इसके अलावा पुरुषों को दाहिने हाथ में अनंत सूत्र पहनना चाहिए और महिलाओं को बाएं हाथ में इसे धारण करना चाहिए। बहुत से लोग इस दिन व्रत भी करते हैं और भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा करते हैं।

आपकी कुंडली में भी है राजयोग? जानिए अपनी  राजयोग रिपोर्ट

अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त 

19 सितंबर, 2021 (रविवार)

अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त :06:07:38 से 

20 सितंबर 2021 को सुबह 5:30 मिनट तक

अवधि :23 घंटे 22 मिनट

यह मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त
जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

अनंत चतुर्दशी महत्व और पूजन विधि

अनंत चतुर्दशी को बहुत सी जगहों पर अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाए जाने वाले अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करके उनकी प्रसन्नता बेहद ही आसानी से हासिल की जा सकती है। ऐसे में भारत के कई राज्यों में इस पर्व को बेहद ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन बहुत से लोग उपवास करते हैं। बता दें कि इस दिन का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल की प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। जो कोई भी व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा करता है और व्रत करता है उसके जीवन में धन-धान्य, सुख संपदा, संतान, खुशी, आदि हमेशा बनी रहती है।

इस दिन की पूजन विधि: 

इस दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा में कलश की स्थापना करें। कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से बने अनंत की स्थापना करें। इसके बाद एक धागा लें और इसमें कुमकुम, केसर, हल्दी आदि रंग कर अनंत सूत्र तैयार कर लें। ध्यान रखें कि इस सूत्र में 14 गांठे होनी चाहिए। आप इसे भगवान विष्णु या अनंत के सामने रख दें। षोडशोपचार से पूजा करें और पूजा में इस मंत्र का जाप करें 

अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।

   अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

इसके बाद रक्षा सूत्र को अपने हाथ में बांध लें।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *