गणेश विसर्जन 2019: जानें गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त और महत्व !

हिन्दू धर्म में विशेष रूप से गणेशोत्सव के त्यौहार को ख़ासा धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को मुख्य रूप से महाराष्ट्र, हैदराबाद और गुजरात में मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान लोगों के बीच एक ख़ास हर्ष और उल्लास देखने को मिल सकता है। इसके साथ ही साथ गणपति विसर्जन के दिन भक्त थोड़े उदास और ग़मगीन जरूर हो जाते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की संतुष्टि रहती है की बप्पा अगले साल फिर उनके घर पधारेंगे। आज हम आपको गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त और इस दिन के विशेष महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।

गणेश विसर्जन का महत्व 

हिन्दू धर्म में हर पावन अवसर पर गणेश जी की पूजा अर्चना और उनका अस्मरण जरूर किया जाता है। मांगलिक कार्यों के दौरान खासतौर से गणेश वंदना और उनकी स्तुति करना महत्वपूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि गणेश चतुर्थी के दौरान पूरे देश में हिन्दू धर्म को मानने वाले श्रद्धा भाव के साथ गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं। दस दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार के आखिरी दिन गणपति की मूर्ति विसर्जित कर त्यौहार की समाप्ति होती है। गणेश विसर्जन महाराष्ट्र और आसपास के राज्यों में काफी धूमधाम और ढोल नगाड़े के साथ गणपति मौर्या के जयकारों के साथ किया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी की गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक उत्सव ही नहीं है बल्कि इसे राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने का प्रतीक भी माना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सबसे पहले छत्रपति शिवाजी ने महाराष्ट्र में लोगों के बीच एकता को बनाये रखने के लिए दस दिनों के सार्वजनिक गणेश उत्सव त्यौहार की शुरुआत की थी। इसके बाद फिर से 1857 में लोकमान्य तिलक ने मराठा शक्ति को एकत्रित कर लोगों के बीच एकता की भावना को बनाये रखने के लिए उन्होनें गणेश उत्सव को हर साल मनाये जाने की परंपरा शुरू की जो आज तक चली आ रही है। गणपति विसर्जन के दौरान सभी के बीच बिल्कुल एक सी भावना देखी जा सकती है। ये त्यौहार इंसानी भावनाओं का जीता जगाता सबूत है, क्योंकि गणपति के आने पर जितनी ख़ुशी लोगों को होती है उतना ही दुःख उनके विसर्जन के वक़्त होता है। 

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गणपति विसर्जन की पौराणिक कथा 

हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश विसर्जन की शुरुआत महाभारत काल में ही हो गयी थी। ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास और गणेश जी मिलकर जब महाभारत लिख रहें थे उस वक़्त व्यास जी कथा कह रहे थे और गणेश जी उसे लिख रहे थे। लगातार दस दिनों तक महाभारत लिखने के बाद वेदव्यास ने देखा की गणेश जी का शरीर काफी गर्म हो गया है। बहरहाल व्यास जी उन्हें एक सरोवर के तट पर लेकर गए और उनेक सर को उस सरोवर में डुबो कर उनका स्नान करवाया। इसके बाद से ही गणेश उत्सव मनाया जाने लगा और दसवें दिन अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गणेश जी का विसर्जन किया जाने लगा। 

इस प्रकार से करें गणपति विसर्जन 

  • गणेश विसर्जन से पहले गणपति को उनके पसंदीदा चीजों का भोग लगाएं। 
  • विधि पूर्वक आम दिनों की भाँती ही उनकी पूजा करें। 
  • पूजा के बाद गणेश जी के पवित्र मन्त्रों का जाप करें और उनकी आरती करें। 
  • अब एक लकड़ी का मजबूत टुकड़ा लेकर उसे गंगाजल या गौमूत्र छिड़क कर पवित्र कर लें। 
  • इस लकड़ी के टुकड़े पर स्वस्तिक का निशान बनाएं और अक्षत रखें। 
  • अब इसके ऊपर लाल या गुलाब रंग के रेशम का कपड़ा बिछाकर गणपति की मूर्ति को स्थापित करें। 
  • इस लकड़ी के प्रत्येक कोने पर एक-एक सुपारी जरूर रखें। 
  • गणेश जी को इसपर स्थापित करने के बाद उन्हें धुप, दीप दिखाएं और पांच मोदक उनके चरणों में रख दें। 
  • जिस नदी या तालाब में आप गणपति की मूर्ति विसर्जन करने जा रहे हैं वहां विसर्जित करने से पहले गणेश जी की आरती जरूर करें। 
  • बप्पा का आशीर्वाद लें और अपनी मनोकामना उनसे कहें। 

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त 

प्रातःकाल मुहूर्त : आज सुबह 6 बजकर 8 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 40 मिनट तक 

मध्य प्रातःकाल मुहूर्त : सुबह 10 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 22 मिनट तक 

दोपहर का मुहूर्त : शाम चार बजकर 54 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 27 मिनट तक 

शाम का मुहूर्त: शाम 6 बजकर 27 मिनट से लेकर रात के 9 बजकर 22 मिनट तक 

रात्रि मुहूर्त : रात के 12 बजकर 18 मिनट से लेकर रात्रि 1 बजकर 45 मिनट तक 

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