भगवान शिव को गलती से भी न अर्पित करें ये पांच चीजें, होते हैं बेहद नाराज

भगवान शिव को देवों में देव की उपाधि मिली है। इसका अर्थ यह है कि वे न सिर्फ मनुष्यों में पूजनीय हैं बल्कि देवताओं में भी भगवान शिव अत्यंत पूजनीय हैं। शिव महादेव हैं, भोले हैं, वैरागी हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले देवता माने जाते हैं। सनातन धर्म में भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित किया गया है। इस दिन खास तौर से भगवान शिव की पूजा होती है और भगवान शिव अपने भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं।

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हालांकि भगवान शिव को भोला कहा जाता है क्योंकि वे बहुत जल्द भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन भगवान शिव को जब क्रोध आता है तो वह काफी ही रौद्र रूप भी धारण कर लेते हैं। इसलिए भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है ताकि भोले बाबा आप पर कभी रुष्ट न हों। आज के लेख में हम आपको उन्हीं खास सावधानियों के बारे में बताने वाले जिन्हें भगवान शिव की पूजा करते वक्त विशेष तौर से ध्यान में रखना चाहिए अन्यथा नाकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।

भगवान शिव की पूजा करते वक्त रखें इन खास बातों का ध्यान

तुलसी पत्र

भगवान शिव को कभी भी तुलसी पत्र नहीं अर्पित करना चाहिए अन्यथा भगवान शिव नाराज होते हैं। दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार भगवान शिव ने जालंधर नामक दैत्य का वध कर दिया था जिससे क्रोधित होकर उस दैत्य की पत्नी वृंदा ने भगवान शिव को यह श्राप दिया था।

लाल पुष्प

कुछ पुष्प ऐसे भी हैं जिन्हें भगवान शिव को ना ही अर्पित करें तो बेहतर है। इनमें कनेर, कमल और लाल पुष्प तो भगवान शिव को नहीं ही अर्पित करने चाहिए। इसके साथ-साथ केतकी और केवड़ा का पुष्प भी भगवान शिव को अर्पित करना निषेध माना गया है। ऐसे में भगवान शिव को पूजते वक़्त इन पुष्पों का उपयोग न करें। भगवान शिव को सफेद पुष्प अर्पित करें, इससे वे बेहद प्रसन्न होते हैं।

सौन्दर्य प्रसाधन

महादेव की पूजा में हल्दी का उपयोग करना निषेध है। सनातन धर्म में बेहद शुभ मानी जाने वाली हल्दी भगवान शिव को प्रिय नहीं है। मान्यता है कि हल्दी सौन्दर्य प्रसाधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और भगवान शिव चूंकि पुरुषत्व के प्रतीक हैं इसलिए हल्दी का इस्तेमाल उनकी पूजा में करना निषेध माना गया है। इसके अलावा भगवान शिव पर कुमकुम और रोली अर्पित करना भी निषेध माना गया है। इससे भी भगवान शिव रुष्ट होते हैं। चूंकि रोली और कुमकुम की गिनती भी श्रृंगार अथवा सौन्दर्य प्रसाधन में होती है इसलिए भगवान शिव को इन्हें अर्पित करना वर्जित है।

शंख

शंख यूं तो सनातन धर्म में काफी पवित्र माना जाता है और इसकी ध्वनि भी आत्मा को पवित्र करने वाली मानी जाती है लेकिन शंख का उपयोग शिव पूजन में करना निषेध है। मान्यता है कि चूंकि भगवान शिव ने शंखचूर नामक राक्षस का वध किया था इसलिए भगवान शिव की पूजा में शंख का उपयोग नहीं किया जाता है।

नारियल

नारियल सनातन धर्म में एक बहुत ही पवित्र फल माना गया है। हर मांगलिक और शुभ अवसर पर नारियल का इस्तेमाल अथवा फोड़ने की परंपरा रही है। लेकिन नारियल भगवान शिव पर नहीं चढ़ाया जाता है। भगवान शिव पर नारियल पानी भी अर्पित करना निषेध माना गया है। मान्यता है कि चूंकि नारियल माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है और माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं इसलिए भगवान शिव उनसे परहेज करते हैं।

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