अगर आपकी कुंडली में भी है ऐसे राजयोग तो हो जाएं खुश, बहुत भाग्यशाली होने वाले हैं आप!

वैदिक ज्योतिष में किसी जातक की कुंडली के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसके स्वभाव और भविष्य के बारे में बताया जा सकता है। किसी भी जातक की कुंडली में ग्रहों की युति से शुभ व अशुभ योग का निर्माण होता है। कुंडली में कुछ राजयोग ऐसे होते हैं जो किसी व्यक्ति को रंक से राजा बना सकते हैं। यही नहीं इन राजयोगों से जातक को कभी भी धन का अभाव नहीं होता है। राजयोग का अर्थ जातक के जीवन में उसे हर तरह की सुख-सुविधा प्रदान करना है। 

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राजयोग वो शुभ योग होता है, जिसमें व्यक्ति अपने अच्छे कर्मों के सबसे शुभ फल प्राप्त करता है और उसे राजा की तरह जीवन में सुख सुविधाएं प्राप्त होती है। जब कुंडली में राजयोग बनता है तो जातक जिस काम में हाथ डालता है, उसमें तरक्की प्राप्त करता है और उसके हर काम अपने आप बनने लगते हैं, हर तरह के सुख मिलते हैं और वह जीवन राजा के समान व्यतीत करता है। बता दें कि ग्रहों की विशेष परिस्थितियां ही किसी की कुंडली में राजयोग बनाता है। तो चलिए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कुंडली में राजयोग का पता कैसा लगाया जा सकता है। साथ ही, आपको कुंडली में बनने वाले उन प्रमुख राजयोग के बारे में बताएंगे, जिसके बनने से जातक को जीवन भर धन लाभ हो सकता है।

कुंडली के इन भावों में छिपा है राजयोग 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी जातक की कुंडली के नौवें और दसवें भाव को महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में, यदि इन दो भावों में बैठे ग्रह शुभ हैं तो कुंडली में राजयोग बनता है और व्यक्ति राजा के समान जीवन यापन करता है। ज्योतिष के अनुसार, जिस कुंडली में बुध और चंद्रमा की शुभ स्थिति राजयोग का निर्माण करती है, ऐसे जातक राजनीति में बहुत अधिक सफलता प्राप्त करते हैं, यही नहीं जीवन में उन्हें हर प्रकार की सुख-सुविधाएं प्राप्त होती है।

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इस तरह से कुंडली में राजयोग का पता लगाएं

कुंडली में राजयोग का पता लगाने के लिए एक बेहद आसान तरीके के बारे में बताया जा रहा है। इसके लिए आपको सबसे पहले अपना मूलांक निकालना होगा। मूलांक यानी आपकी जन्मतिथि का पता रखना होगा। यदि आपकी जन्मतिथि 13 है तो 1+3 यानी मूलांक 4 हुआ है। अगर आपकी जन्मतिथि 25 है तो मूलांक हुआ 2+5 यानी 7। इसके बाद आपको अपना भाग्यांक निकालना है। भाग्यांक पूरी जन्म तिथि का टोटल यानी संपूर्ण होता है। जैसे अगर किसी की जन्मतिथि है – 06.12.1976 तो उसका भाग्यांक हुआ 06+1+2+7+6+1+9 इसका जो जोड़ 5 होगा वो आपका भाग्यांक कहलाएगा। इसके बाद आपको अपना मूलांक और भाग्यांक एक साथ लिख लेना है। इस पूरे नंबर में यदि एक, छह और आठ अगर एक साथ दिख रहे हैं तो आपके जीवन में राजयोग जरूर होगा। 

आइए अब आगे जानते हैं कि कुंडली में बनने वाला कुछ प्रमुख राजयोग के बारे में।

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गजकेसरी राजयोग

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, गजकेसरी राजयोग को बहुत ही शुभ योगों में एक माना जाता है। इस योग का निर्माण तब होता है जब किसी जातक की लग्न कुंडली में देव गुरु बृहस्पति और चंद्रमा केंद्र भाव में मौजूद होता है और किसी वह क्रूर ग्रह से संबंध न रखें। जिस भी जातक की कुंडली में गजकेसरी राजयोग बनता है उस व्यक्ति को जीवन में खूब मान-सम्मान प्राप्त होता है और वह सरकारी नौकरी व उच्च पद पर आसीन होता है। इसके अलावा, इस राजयोग के द्वारा जातक आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ अधिक झुकाव रखता है।

पाराशरी राजयोग

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब केंद्र भावों ( पहला,चौथा,सातवां व दसवें भाव) का संबंध कुंडली के त्रिकोण भावों ( लग्न, पांचवें, नौवें भाव) से हो पाराशरी राजयोग का निर्माण होता है। जिस भी जातक की कुंडली में पाराशरी राजयोग का निर्माण होता है वह अपने में खूब प्रगति करता है और उसे कभी भी सुख संपत्ति की कमी नहीं होती है। साथ ही, जातक ऐशोआराम का जीवन जीता है।

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नीच भंग राजयोग

नीच भंग राजयोग जातक की कुंडली में बनने वाला सबसे शानदार राजयोगों में एक होता है। नीच भंग जैसे की इसके नाम से ही स्पष्ट होती है कि यह योग नीचता का भंग करता है। कुंडली में अगर कोई ग्रह अपनी नीच राशि में बैठा है और उस राशि के स्वामी की दृष्टि उस पर पड़ रही है तो उसकी नीचता भंग हो जाती है। इसके अलावा, यदि जिस राशि में ग्रह नीच में बैठा है और उस राशि के स्वामी स्वग्रही होकर युति संबंध बना रहे हैं तो नीच भंग राजयोग का निर्माण होता है। जिन जातकों की कुंडली में नीच भंग राजयोग बनता है उसका जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है और उसे कभी भी धन की कमी नहीं महसूस होती है। 

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धन योग 

वैदिक ज्योतिष में धन योग को बहुत प्रमुखता दी गई है। कुंडली में पहला, दूसरा, पांचवां, नौवां और ग्यारहवां भाव धन का भाव होता है। जिनकी कुंडली में धन योग होता है उनके जीवन में कभी धन का अभाव नहीं रहता है। बता दें कि इस योग का निर्माण तब होता है जब कुंडली में मंगल चौथे, सूर्य पांचवें और गुरु ग्यारहवें भाव में होते हैं तो ऐसी स्थिति में धन योग का निर्माण होता है। इस राजयोग से जातक बहुत बड़ा बिज़नेसमैन बनता है और उसे कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

उभयचरी राजयोग

उभयचरी राजयोग का निर्माण तब होता है जब कुंडली में चंद्रमा के अलावा, राहु-केतु, सूर्य से दूसरे या बारहवें घर में स्थित हों तब यह योग बनता है। जिस भी जातक की कुंडली में यह योग बनता है वह जातक बहुत ही भाग्यशाली होती है और उसे कभी भी सुख-समृद्धि की कमी नहीं महसूस होती है। इसके अलावा, इस राजयोग वाले व्यक्ति का भाग्य बहुत अधिक प्रबल होता है। ऐसे जातक स्वभाव से हंसमुख और बुद्धिमान होते हैं व इन जातकों को हर क्षेत्र का ज्ञान होता है और उसमें बेहतर तरीके से आगे बढ़ते हैं। यही नहीं ये जातक बड़ी से बड़ी चुनौतियों को आसानी से पार कर जाते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. कुंडली में राजयोग होने से क्या होता है?

उत्तर 1. जिन जातकों की कुंडली में ये राजयोग मौजूद होता है उनके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

प्रश्न 2. गजकेसरी राजयोग कैसे बनता है?

उत्तर 2. जब किसी जातक की लग्न कुंडली में गुरु और चंद्रमा केंद्र भाव में हो और किसी क्रूर ग्रह से संबंध न रखे तो गजकेसरी राजयोग बनता है।

प्रश्न 3. राज योग कितने प्रकार के होते हैं?

उत्तर 3. मूल रूप से राजयोग 5 प्रकार के होते हैं, लेकिन, एक राजयोग ऐसा भी है जो राजयोग न होकर भी राजयोग के समान व्यक्ति को फल देते हैं।

प्रश्न 4. नीचभंग राजयोग क्या है?

उत्तर 4.   नीच भंग जैसे की इसके नाम से ही स्पष्ट होती है कि यह योग नीचता का भंग करता है।

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