पूर्णिमा 2023: साल 2023 की पहली पूर्णिमा पर बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग, सूर्य देव सहित माँ लक्ष्मी का मिलेगा आशीर्वाद!

पौष को भगवान सूर्य का महीना कहा जाता है इसलिए इस महीने में आने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहते हैं। हिन्दू धर्म में इस पूर्णिमा का काफ़ी महत्व माना जाता है और इस दिन लोग अलग-अलग रीति-रिवाज़ों से पूजा करते हैं। मान्यता के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर विधिवत पूजन से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ब्लॉग में हम पौष पूर्णिमा की तिथि, समय और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे। 

ज्योतिष शास्त्र में पौष पूर्णिमा का महत्व 

पौष मास के दौरान आने वाली पूर्णिमा के दिन दान और स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। लोग इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। मान्यता के अनुसार, ऐसा करने से उनके सारे पापों का नाश होता है और मोक्ष के द्वार भी खुलते हैं। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन धन-दौलत में वृद्धि और माता लक्ष्मी और नारायण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा करते हैं।

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पौष पूर्णिमा 2023: तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्रवार, 6 जनवरी, 2023 की रात 02 बजकर 16 मिनट से पूर्णिमा का आरंभ होगा। वहीं इसका समापन रविवार, 7 जनवरी, 2023 को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर होगा। इसी कारण पूजा, स्नान, दान और व्रत 6 जनवरी यानी शुक्रवार को किए जाएंगे।

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सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ेगी पौष पूर्णिमा 

पौष पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजन काफी फलदायी माना जाता है। ऐसे में, अगर एक शुभ योग भी इसमें जुड़ जाए तो इसका महत्व बढ़ जाता है। इस साल की पहली पूर्णिमा जो 6 जनवरी को पड़ रही है, उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह एक अत्यंत शुभ योग माना जाता है और इसमें किए गए सभी कार्य सफल होते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग 7 जनवरी, 2023 शनिवार को रात 12 बजकर 14 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर होगा। 

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पौष पूर्णिमा पर करें माता लक्ष्मी की पूजा  

  • पूर्णिमा के दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर पूजा की शुरुआत करें।
  • पूजा में भगवान सत्यनारायण की कथा सुनना फलदायी होता है।
  • माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें क्योंकि इससे मनुष्य को धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है।
  • पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में उपस्थित चंद्र दोष का प्रभाव कम होता है।

पौष पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि

  1. सुबह स्नान से पहले व्रत करने का संकल्प लिया जाता है।
  2. पवित्र नदी में नहाने के बाद भगवान को अर्घ्य दें।
  3. सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। 
  4. इसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए।
  5. अब इसके पश्चात, ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं।
  6. इस दिन कंबल, गुड़, तिल जैसी चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

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