फाल्गुन पूर्णिमा: हिन्दू कैलेंडर के आखिरी ज़रूर करें दान-पुण्य, जानें इस दिन का महत्व

फाल्गुन महीने की  तिथि को विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह दिन हिंदू कैलेंडर का आखरी दिन होता है। ऐसे में इस दिन जो कोई भी व्यक्ति पूजा-पाठ और दान पुण्य करता है उसे अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 28 मार्च के पड़ रही है। जो कोई भी व्यक्ति इस दिन व्रत करता है और सत्यनारायण की कथा सुनता है उसके जीवन से हर एक कष्ट दुख और परेशानियां दूर होती हैं।

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इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 28 मार्च रविवार के दिन पड़ रही है। मुहूर्त की बात करें तो, 

मार्च 28, 2021 को 03:29:11 से पूर्णिमा आरम्भ

मार्च 29, 2021 को 00:19:53 पर पूर्णिमा समाप्त

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन किया जाने वाला व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के उदय होने तक किया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन भी की जाने की परंपरा है। जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत करता है उसके दुख, कष्ट और परेशानियों अवश्य दूर होते ही हैं। साथ ही ऐसे व्यक्तियों के जीवन में भगवान विष्णु की विशेष कृपा हमेशा के लिए बनी रहती है।

हिंदू कैलेंडर की आखिरी तिथि होने की वजह से इस दिन को मनुवादी तिथि भी कहा गया है। यानी कि इस दिन जो कोई भी व्यक्ति अपनी यथाशक्ति अनुसार दान पुण्य आदि करता है उसे अक्षय पुण्य फल प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान पुण्य देने की परंपरा है।

इसके अलावा पूर्णिमा तिथि पितरों की शांति के लिए की जाने वाली पूजा आदि के लिए भी सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। ऐसे में जिन व्यक्तियों के जीवन में पितृ दोष हो या जिन्हें अपने पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ करना हो उन्हें फाल्गुन पूर्णिमा के दिन तर्पण और पिंडदान की भी सलाह दी जाती है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। इसके बाद पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। यथाशक्ति अनुसार दान पुण्य व्रत पूजन आदि करें। इस दिन यदि आप सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं तो सोने पर सुहागा माना जाएगा। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन विशेषतौर पर दान आदि देना महत्वपूर्ण माना गया है इससे आपको इसका शुभ फल अवश्य प्राप्त होगा।

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