इस मंदिर के दर्शन मात्र से होती है मोक्ष की प्राप्ति!

काशी विश्वनाथ मंदिर हिन्दूओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल माना जाता है, जो कि पूरी तरह भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर को विश्वनाथ या विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है ‘‘ब्रह्मांड का शासक’’। उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी में पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर यह मंदिर स्थित है। काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग को 12 ज्योतिर्लिंग में से सातवाँ ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग काले रंग के पत्थर से बना है। इस मंदिर की गिनती वाराणसी के प्रमुख मंदिरों में होती है। ऐसा माना जाता है कि सूरज की सबसे पहली किरण इस मंदिर पर ही पड़ती है और इस मंदिर दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। चलिए आज इस लेख में आपको काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास से लेकर आपको इसकी बनावट तक के विषय में विस्तार से बताते हैं –

किसने कराया निर्माण?

स्कंद पुराण में भी काशी विश्वनाथ मंदिर का उल्लेख किया गया है। इस मंदिर का निर्माण सन 1780 में महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा करवाया गया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने सन 1853 में 1000 कि.ग्रा शुद्ध सोने द्वारा इसे बनवाया था। इस मंदिर में शिवलिंग को चांदी के वेदी में स्थापित है, और मुख्य मंदिर के चारों ओर सभी देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर भी स्थापित हैं। मंदिर के अन्दर के छोटी सी दीवार है, जिसे ज्ञान व्यापी(बुद्धि का ज्ञान) कहा जाता है।

ऐसी है मंदिर की संरचना

मंदिर की संरचना तीन भागों में है। पहला भाग भगवान विश्वनाथ या महादेव का है। दूसरा भाग स्वर्ण गुंबद है, और तीसरे भाग में शिखर पर भगवान विश्वनाथ का एक झंडा और एक त्रिशूल है। मंदिर के तीनों गुंबद के ऊपर शुद्ध सोने की परत है। दो गुंबदों को महाराज रणजीत सिंह द्वारा दान में दी गई थी, लेकिन तीसरा गुंबद पर कोई परत नहीं थी। बाद में, उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति और धार्मिक मंत्रालय ने मंदिर के तीसरे गुंबद की सोने की परत चढ़ाई।

मंदिर की ये बातें बनाती हैं उसे खास

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों एक साथ ही विराजते हैं, जो कि बेहद अद्भुत है। बता दें, कि ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता है। काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो हिस्सों में बंटा हुआ है। इस ज्योतिर्लिंग के दाहिने भाग में शक्ति के रूप में मां भगवती विराजमान हैं, तो वहीँ दूसरी तरफ भगवान शिव वाम रूप रूप में विराजमान हैं। यही वजह है कि लोग काशी को मुक्ति का धाम भी कहा जाता है। इस मंदिर में श्रृंगार के समय सारी मूर्तियां पश्चिम मुखी होती हैं।

यह भी पढ़ें –

स्फटिक की माला से माँ लक्ष्मी को करें प्रसन्न, हर समस्या का होगा हल

बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाता है माँ सरस्वती का ये मंत्र, नियमित रूप से करें उच्चारण

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.