जानिए क्यों किया जाता है एकादशी व्रत और इस साल कब-कब पड़ेगी एकादशी

हिंदू धर्म में यूं तो कई तरह के व्रत उपवास किए जाते हैं। हालाँकि इन सभी व्रत और उपवासों में से सबसे ज्यादा महत्व एकादशी व्रत का माना गया है। एकादशी का यह व्रत 1 महीने में दो बार आता है। एक शुक्ल पक्ष की एकादशी कही जाती है और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी। एकादशी का यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। तो आइए जानते हैं इस एकादशी व्रत का क्या महत्व होता है? और इसे रखने से इंसान को क्या फल प्राप्त होते हैं? साथ ही यहां जानें इस वर्ष कौन सी एकादशी किस दिन मनाई जाएगी? 

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सबसे पहले जानते हैं एकादशी व्रत का महत्व 

माना जाता है कि, एकादशी का व्रत करने से इंसान के जीवन में एक निश्चित संतुलन आता है। साथ ही जो कोई भी व्यक्ति पूरी निष्ठा और ईमानदारी से एकादशी के व्रत का पालन करता है उसके अनजाने में भी हुए पाप दूर होते हैं और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही कुछ एकादशी व्रत ऐसे भी होते हैं जिन्हें करने से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों में साल में आने वाले सभी एकादशी व्रत का बेहद महत्व बताया गया है। प्रत्येक वर्ष में 24 एकादशी आती है। ऐसी मान्यता है कि, एकादशी की शुरुआत उत्पन्ना एकादशी से होती है। कहा जाता है कि, इसी एकादशी से एकादशी देवी उत्पन्न हुई थी और फिर इसके बाद से ही एकादशी व्रत की परंपरा शुरू हुई। 

जो कोई भी व्यक्ति एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु या भगवान कृष्ण (भगवान विष्णु के द्वापर युग के रूप) की पूजा करता है उसके कई जन्मों के अनजाने में भी किए हुए पाप कट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही ऐसे व्यक्ति को मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम में स्थान भी प्राप्त होता है। 

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एकादशी व्रत का नियम 

साल में आने वाली प्रत्येक एकादशी की अलग व्रत कथा और महिमा होती है और उसी के अनुसार प्रत्येक एकादशी का फल और पुण्य भी होता है। हालांकि इन सभी एकादशी में एक नियम सभी को अवश्य ही मानना चाहिए वह यह है कि, किसी भी एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा एकादशी व्रत का उद्यापन अगले दिन यानी द्वादशी के दिन किया जाता है। 

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एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए? 

  • एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित है। 
  • एकादशी के दिन बुरी/गलत बातें करना भी मना है। इसके अलावा एकादशी के दिन क्रोध ना करने की सलाह दी जाती है। साथ ही किसी से भी मानसिक या शारीरिक रूप से लड़ाई भी करने से इस दिन बचना चाहिए। 
  • एकादशी के दिन मदिरापान या मांस खाना वर्जित है। 
  • इस दिन झूठ बोलने से भी बचना चाहिए। 
  • एकादशी के दिन किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए। 
  • एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान बताया गया है। 
  • इसके अलावा इस दिन रात्रि में जागरण करना बेहद ही शुभ फलदाई होता है। 
  • एकादशी के दिन पान सुपारी नहीं खानी चाहिए।
  • इसके अलावा एकादशी का व्रत कोई भी हो लेकिन उसके अगले दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर के भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना बेहद शुभ रहता है। 

अब जानते हैं इस वर्ष कौन सी एकादशी किस तिथि को मनाई जाएगी। नीचे हम आपको इस बारे में संपूर्ण सूची प्रदान कर रहे हैं।

शनिवार, 09 जनवरी सफला एकादशी

रविवार, 24 जनवरी पौष पुत्रदा एकादशी

रविवार, 07 फरवरी षटतिला एकादशी

मंगलवार, 23 फरवरी जया एकादशी

मंगलवार, 09 मार्च विजया एकादशी

गुरुवार, 25 मार्च आमलकी एकादशी

बुधवार, 07 अप्रैल पापमोचिनी एकादशी

शुक्रवार, 23 अप्रैल कामदा एकादशी

शुक्रवार, 07 मई वरुथिनी एकादशी

रविवार, 23 मई मोहिनी एकादशी

रविवार, 06 जून अपरा एकादशी

सोमवार, 21 जून निर्जला एकादशी

सोमवार, 05 जुलाई योगिनी एकादशी

मंगलवार, 20 जुलाई देवशयनी एकादशी

बुधवार, 04 अगस्त कामिका एकादशी

बुधवार, 18 अगस्त श्रावण पुत्रदा एकादशी

शुक्रवार, 03 सितंबर अजा एकादशी

शुक्रवार, 17 सितंबर परिवर्तिनी एकादशी

शनिवार, 02 अक्टूबर इन्दिरा एकादशी

शनिवार, 16 अक्टूबर पापांकुशा एकादशी

सोमवार, 01 नवंबर रमा एकादशी

रविवार, 14 नवंबर देवुत्थान एकादशी

मंगलवार, 30 नवंबर उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 14 दिसंबर मोक्षदा एकादशी

गुरुवार, 30 दिसंबर सफला एकादशी

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आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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