दीपोत्सव: अयोध्या में ऐसे मनाया जाता है दीपावली पर्व

अयोध्या नगरी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस माह की 26 तारीख़ को दीपोत्सव कार्यक्रम मनाने की तैयारी में जुटी है। यूपी सरकार का ये आयोजन इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि अगले माह सुप्रीम कोर्ट अयोध्या विवाद मामले में अपना फैसला सुनाएगी। बहरहाल कोर्ट का जो भी फैसला हो वह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन आज हम इस ख़बर के माध्यम से आपको ये बताएंगे कि राम की नगरी अयोध्या में आख़िर किस प्रकार से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। 

अयोध्या नगरी से हुई थी दिवाली पर्व की शुरुआत

दिवाली रौशनी का त्यौहार है। शास्त्रों और पुराणों में वर्णित कथाएँ ये कहती हैं कि दिवाली पर्व की शुरुआत अयोध्या नगर से ही हुई थी। जब श्री राम लंका विजय करने के पश्चात् वापस अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने उनकी वापसी पर अपनी ख़ुशी को जताने के लिए दीपोत्सव कार्यक्रम मनाया था। कालांतर में यही दीपोत्सव दीपावली, दिवाली आदि के नाम से जाना जाने लगा। देशभर में दीवाली के मौक़े पर जहाँ दीपक, मोमबत्ती, झालर, पटाखें जलाए तो हैं वहीं अयोध्या में आज भी लोग अलग अंदाज में यह उत्सव मनाते हैं।

अयोध्या में इस तरह से मनायी जाती है दिवाली

सरयू नदी के तट पर बसे अयोध्या नगर में दिवाली के दिन राम मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और दीयों से सजाया जाता है। इस दिन मंदिर दुल्हन की तरह सजे होते हैं। मंदिरों में भगवान श्रीराम-लक्ष्मण एवं माता जानकी के साथ-साथ हनुमान जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। फिर उन्हें नए वस्त्र और आभूषण पहनाए जाते हैं। भगवान श्री राम के दरबार में ना ना प्रकार के भोग अर्पित किए जाते हैं तथा उन्हों भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। मंदिर के प्रांगण में जमकर आतिबाज़ी होती है। इसके बाद जय श्री राम के जयघोषों के साथ मर्यादा पुरुषोत्तम राम का स्वागत किया जाता है।

जलाये जाते हैं मिट्टी के दीये

अयोध्‍या के सभी मंदिरों में मिट्टी के दिए ही जलाए जाते हैं। इन दीयों में अयोध्‍या के घरों और मंदिरों में शुद्ध रूई से बनी हुई बाती जलाई जाती है। वहीं राम जन्‍मभूमि विवादित परिसर में विराजमान राम लला के गर्भ गृह में हर वर्ष दिवाली की विशेष पूजा भी की जाती है। इस अवसर पर रामलला समेत आयोध्‍या के 6000 से भी अधिक छोटे-बड़े मंदिरों में भगवान के गर्भगृह में मिट्टी के दीप जलाए जाते हैं। मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि मिट्टी के बने दीये के प्रकाश से ही धन-धान्‍य और संपदा बरसती है। दीयों की रोशनी से अंधकार मिट जाता है। 

राम लला का होता है विशेष शृंगार

दिवाली उत्सव के इस मौके पर श्री राम लला का विशेष शृंगार होता है। श्री राम को पहनाए जाने वाले वस्‍त्रों का चुनाव महीने भर पहले ही हो जाता है। यहाँ तक की देश-विदेश से भगवान के वस्‍त्रों के लिए आग्रह आता है। यहां भक्‍तों से चढ़ावे के रूप में मिले वस्‍त्र और आभूषण ही भगवान को पहनाए जाते हैं।

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