दिवाली 2022: कई साल बाद इस शुभ योग में मनाई जाएगी दिवाली

दिवाली दीपों का त्योहार है और इस पर्व के कई विशेष मायने हैं। यह त्योहार अंधेरे पर प्रकाश की जीत का त्योहार है जो व्यक्ति में दुखों के अंधेरों से बाहर आने की एक उम्मीद की रोशनी जगाता है। हर साल लोग अपने घरों में दिवाली का त्योहार खूब धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन चारों ओर खुशियों की लहर और रोशनी की चमक दिखाई देती है। 

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एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम दिवाली से संबंधित कुछ जरूरी और महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में इस पावन पर्व को कैसे मनाया जाता है? आदि से आपको अवगत कराएंगे। इसके अलावा, चर्चा करेंगे इस पर्व के पीछे छिपी मान्यताओं के साथ-साथ इस दौरान होने वाले गोचर या ग्रहण के प्रभाव के बारे में। आगे बढ़ने से पहले नजर डालते हैं दीपावली 2022 की तिथियों पर:

दीपावली 2022 कैलेंडर

दिनांकअवसरदिन
23 अक्टूबर, 2022 (पहला दिन)धनतेरसरविवार
24 अक्टूबर, 2022 (दूसरा दिन)नरक चतुर्दशीसोमवार
24 अक्टूबर, 2022 (तीसरा दिन)दिवालीसोमवार
26 अक्टूबर, 2022 (चौथा दिन)गोवर्धन पूजाबुधवार
26 अक्टूबर, 2022 (पांचवा दिन)भाई दूजबुधवार

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दिवाली 2022 का अर्थ और महत्व

दिवाली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है और इसका अर्थ है ‘रोशनी की पंक्ति’। दिवाली को ‘प्रकाशोत्सव’ के रूप में जाना जाता है और दिवाली की शाम को लोग दर्जनों दीये, मोमबत्तियां, फूल और रंग से अपने घरों व दुकानों को सजाते हैं। इन दीयों की रोशनी अंधेरी रात में घरों, मंदिरों और गलियों को रोशन करती है। इसके साथ ही दीपावली के पर्व पर रंग-बिरंगे रंगों से रंगोली भी जरूर बनाई जाती हैं। यह त्योहार हर साल अक्टूबर या नवंबर में महीने की सबसे अंधेरी रात में मनाया जाता है। प्रकाश का त्योहार दिवाली प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या की तिथि पर मनाया जाता है जो हर किसी के लिए एक नई शुरुआत, नई आशा लेकर आता है।

दीपावली के त्योहार का हिंदू धर्म के लोगों के साथ-साथ जैन और सिख धर्म के लोग भी बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारत समेत पूरे एशिया में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में दिवाली का उत्सव भगवान राम, देवी सीता और भाई लक्ष्मण के 14 साल के वनवास के बाद घर वापिस आने की ख़ुशी में मनाया जाता है। साथ ही, मान्यता है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध का किया था। इसी तरह सिख धर्म में गुरु हरगोविंद सिंह के जेल से बंदी मुक्ति दिवस से दीपावली की परंपरा जुड़ी है। इसके अलावा इस दिन अमृतसर के प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर की नींव सन् 1577 में दीवाली के दिन ही रखी गई थी। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने दीपावली के दिन निर्वाण प्राप्त किया था और इनका नया पंचांग भी दीपावली के दूसरे दिन से शुरू होता है।

दीपावली का पर्व अकेले भारत में ही नहीं मनाया जाता है, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में भी दीप पर्व अपनी छटा बिखेरता है। जो भारतीय विदेश बस जाते हैं वे भी अपनी भारतीय संस्कृति को अपनाते हुए इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। विदेशों में सबसे बड़ा दिवाली का त्योहार ब्रिटेन के लीसेस्टर में आयोजित होता है। इसके अलावा अन्य देशों में भी दिवाली वाले दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस दिन विदेशों में सड़कों को चमकीली लाइटों से सजाया जाता हैं व संगीत और डांस का आयोजन होता है जिसे देखने के लिए सैकड़ों लोग सड़कों पर इकट्ठा होते हैं।

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दिवाली 2022: शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार, दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल दिवाली हस्त नक्षत्र के अंतर्गत कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जा रही है। इस दिन बेहद शुभ योग वैधृति योग बनेगा। इस योग में जातक को सुखमय व आनंदमय जीवन की प्राप्ति होती है। साथ ही जातक अपनी जिम्मेदारी संभालने में भी सक्षम हो जाता है।

दिवाली के शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि व मां लक्ष्मी को धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिषीय भविष्यवाणियों के अनुसार इस साल दिवाली 24 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी। वहीं 26 अक्टूबर 2022 को बुध तुला राशि में गोचर करेंगे जहां पहले से ही सूर्य, शुक्र और केतु स्थित है। इससे तुला राशि में शुभ संयोग बनेगा। 

16 अक्टूबर 2022 को मंगल पहले ही मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इसके बाद 30 अक्टूबर 2022 को मंगल मिथुन राशि में वक्री हो जाएंगे। इससे पहले 23 अक्टूबर 2022 को शनि मकर राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में शुभ संयोगों के चलते इस वर्ष दिवाली कई राशि के जातकों के लिए शुभता और सौभाग्य लेकर आएगी।

दिवाली 2022: मुहूर्त

  • कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ: 24 अक्टूबर, 2022 को शाम 05 बजकर 29 मिनट से।
  • कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर।
  • अमावस्या निशिता काल: 24 अक्टूबर 2022 को 11 बजकर 39 से 00:31 तक।
  • कार्तिक अमावस्या सिंह लग्न का समय: 24 अक्टूबर 2022 को रात 01:26 से 03:44 बजे।
  • अभिजीत मुहूर्त का समय: 24 अक्टूबर को सुबह 11:19 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक है।
  • विजय मुहूर्त आरंभ: 24 अक्टूबर को 01:36 से 02:21 तक।

दिवाली 2022: लक्ष्मी पूजा का समय और मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त: 18:54:52 से 20:16:07 तक: 

पूजा अवधि: 1 घंटा 21 मिनट

प्रदोष काल: 17:43:11 से 20:16:07 

वृषभ काल: 18:54:52 से 20:50:43

दिवाली 2022 महानिशिता काल मुहूर्त

लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त: 23:40:02 से 24:31:00 तक 

पूजा अवधि: 0 घंटे 50 मिनट

महानिशीथ काल: 23:40:02 से 24:31:00 तक

सिंह काल: 25:26:25 से 27:44:05 तक

दीपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त

संध्या मुहूर्त (अमृत, चलती): 17:29:35 से 19:18:46 तक 

रात्रि मुहूर्त (लाभ): 22:29:56 से 24:05:31 तक

रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत,चल): 25:41:06 से 30:27:51

दिवाली 2022: गोचर और ग्रहण

मकर राशि में शनि मार्गी: (23 अक्टूबर 2022) शनि 23 अक्टूबर 2022 को सुबह 4 बजकर 19 मिनट पर मकर राशि में ही मार्गी होंगे। मकर पृथ्वी तत्व की राशि है और काल पुरुष कुंडली के अनुसार मकर राशि दशम भाव की प्राकृतिक राशि है जो महत्वाकांक्षा, प्रतिष्ठा, सामाजिक छवि और शक्ति का प्रतीक है। वक्री और मार्गी दोनों की स्थिति में शनि का प्रभाव लोगों के जीवन पर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में जातक कई अधूरे काम पूरे होंगे। 

बुध का तुला राशि में गोचर: (26 अक्टूबर 2022) बुद्धि, तर्क और संचार का कारक ग्रह बुध 26 अक्टूबर 2022 को दोपहर 01 बजकर 38 मिनट पर कन्या राशि से तुला राशि में गोचर करेगा।  तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। बुध तुला राशि में 13 नवंबर 2022 शनिवार रात 9 बजकर 06 मिनट तक रहेंगे। इसके बाद वह वृश्चिक राशि में गोचर करेगा।

सूर्य ग्रहण 2022

साल 2022 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर, मंगलवार के दिन पड़ेगा। यह आंशिक ग्रहण होगा जिसे देश के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा। सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और पृथ्वी पर छाया डालता है। इस अवस्था में वो सूर्य के प्रकाश को पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक लेता है। आंशिक ग्रहण के दौरान, चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता है। इसकी वजह से सूर्य अर्धचंद्राकार आकार में नजर आता है।

वैदिक पंचांग की भविष्यवाणी के अनुसार, यह ग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार को 04 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 42 मिनट तक लगेगा जो अटलांटिक क्षेत्र, यूरोप, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी भाग, एशिया के दक्षिण-पश्चिमी भागों में दिखाई देगा।

भारत में कुछ हिस्सों में सूर्य ग्रहण दिखेगा। यह नई दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई, उज्जैन, वाराणसी, मथुरा में दिखाई देगा जिसके चलते सूतक काल लागू होगा। वहां रहने वाले लोगों के जीवन पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव पड़ेगा।

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दिवाली पर जरूर करें झाड़ू से जुड़े ये उपाय, माता लक्ष्मी का मिलेगा आशीर्वाद

दिवाली के दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग विधि-विधान से पूजा के साथ-साथ तरह-तरह के उपाय भी करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। इनमें झाड़ू का उपाय बहुत लाभकारी माना जाता है। आइए जानते हैं झाड़ू से जुड़े इन उपायों के बारे में जिनसे माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है:

  • दीपावली के दिन घर से पुरानी झाड़ू को हटा दें और उसकी जगह इस दिन नई झाड़ू खरीदें। ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन झाड़ू का दान करना भी बहुत शुभ माना गया है।
  • आर्थिक दिक्कतों को दूर करने के लिए दिवाली के दिन तीन झाड़ू खरीदकर लाएं और इसे किसी मंदिर में चुपचाप रखकर आ जाएं, इससे धन से संबंधित दिक्कत दूर होती है।
  • दीवाली के दिन पूरे घर की सफाई नई झाड़ू से ही करना चाहिए। इस्तेमाल के बाद इस झाड़ू का कहीं छिपाकर रखें जहां लोगों की नजर ना जाए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से घर में लक्ष्मी जी का आगमन होता है।

झाड़ू का इस्तेमाल करते समय इन बातों का रखें ध्यान:

  • झाड़ू में धन संपत्ति की देवी लक्ष्मी मां का वास होता है ऐसे में झाड़ू को कभी भी जोर से पटक कर नहीं रखना चाहिए।
  • झाड़ू का किसी प्रकार से अपमान नहीं करना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इससे मां लक्ष्मी का अपमान होता है।
  • इसके साथ ही झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए। इसे जमीन पर लेटा कर रखें।
  • झाड़ू को हमेशा दरवाजे के पीछे छिपाकर रखना चाहिए।

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