भारत में अनेकों ऐसे मंदिर हैं जहां के चमत्कार आम लोगों के लिए आज तक रहस्य बने हुए हैं। ये चमत्कार लोगों की ईश्वर में आस्था और भी मजबूत करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड में भी मौजूद है जिसके चमत्कार लोगों को भगवान के होने पर यकीन करने को मजबूर करते हैं। वैसे तो उत्तराखंड में कई विशेष मंदिर हैं जिनके दर्शन के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु इस राज्य की ओर रुख करते हैं लेकिन इन सब में धारी देवी का स्थान काफी विशेष माना गया है।
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ऐसे में आज हम आपको इस लेख में इस विशेष मंदिर यानी धारी माता के मंदिर और इसके चमत्कारों के बारे में बताने वाले हैं।
धारी माता का मंदिर
भारत के उत्तराखंड राज्य को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहाँ असंख्य मंदिर हैं। चार धामों में से एक धाम बद्रीनाथ भी यहीं है। छोटे चार धाम भी इसी राज्य में बसे हैं। पवित्र नदी गंगा और यमुना का उद्गम स्थल भी इसी राज्य से हुआ है। यही वजह है कि यहाँ लाखों श्रद्धालु भी आते हैं। लेकिन इन सभी मंदिरों और श्रद्धालुओं के रक्षा की ज़िम्मेदारी धारी देवी मंदिर में स्थापित माँ काली पर ही है।
जी हाँ! माता धारी देवी को उत्तराखंड के मंदिरों और यहां आने वाले तीर्थयात्रियों का रक्षक माना जाता है और ये सिर्फ कही-सुनी बात नहीं है। केदारनाथ आपदा तो सबको याद ही होगी। कहा जाता है कि 16 जून 2013 को राज्य सरकार ने धारी देवी मंदिर को शहर के विकास के लिए एक जगह से हटा कर दूसरी जगह स्थापित करने के लिए तोड़ दिया था। इस घटना के कुछ घंटों बाद ही केदारनाथ की भयानक आपदा आई जिसमें हजारों लोगों की जान चली गयी थी। स्थानीय लोग केदारनाथ आपदा के पीछे की वजह माता धारी देवी का रुष्ट होना मानते हैं।
इस आपदा के बाद मंदिर को विस्थापित करने वाली कंपनी ने पुनः इस मंदिर को इसके मूल स्थान पर स्थापित कर दिया। मन्दिर को यह नया स्वरूप कई मायनों में पुराने स्वरूप से अलग है। नया मंदिर कत्यूरी शैली से बना है। इन कत्यूरी कलाकृतियों को लकड़ी पर उकेरा गया है जो हिमालय के पवित्र देव वृक्ष, देवदार की लकड़ी पर शिल्पकारी का उत्कृष्ट नमूना पेश करते हैं। नया मंदिर अपनी कलाकृति की वजह से भी आकर्षण का विशेष केंद्र बन चुका है।
धारी देवी मंदिर में माता काली की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है। मंदिर के प्रथम साक्ष्य 1800 के आसपास मिले थे लेकिन मंदिर के पुजारी बताते हैं कि मंदिर में मौजूद माता की प्रतिमा द्वापर युग की है। यह मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर से 15 किलोमीटर की दूरी पर अलकनंदा नदी के बीचों बीच बना हुआ है।
धारी देवी मंदिर में स्थापित माता काली की प्रतिमा को भी काफी चमत्कारी बताया जाता है। यह प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है। दर्शन करने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि माता की प्रतिमा सुबह में किसी कन्या के रूप में नजर आती है, दोपहर में युवती और शाम होते-होते यह प्रतिमा वृद्ध औरत के रूप में नजर आने लगती है।
माता के इस चमत्कार को देखने व उनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आते हैं। छोटा चार धाम की जब यात्रा शुरू होती है तो धारी देवी मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ काफी बढ़ जाती है। नवरात्रि में मंदिर में माता काली की विशेष पूजा होती है। स्थानीय लोगों की धारी देवी मंदिर में काफी आस्था है। ऐसे में आपको कभी इस ओर जाने का मौका मिले तो धारी देवी मंदिर के जरूर दर्शन करें।
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