देवशयनी एकादशी पर चार माह के लिए सोने जाते हैं भगवान विष्णु, राशिनुसार करें उपाय दूर होंगे हर संकट!

सनातन धर्म में सभी एकादशी तिथि का अपना विशेष महत्व है। इन्हें में एक आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और इस दिन किए गए पूजन व दान-पुण्य से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। देवशयनी दो शब्दों से मिलकर बना है देव और शयन, जहां देव अर्थात् विष्णु और शयन का अर्थ सोना या नींद है।

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मान्यता है कि इस दिन से ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु का निद्राकाल शुरू हो जाता है और चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। चातुर्मास शुरू होने के बाद से सारे शुभ और मांगलिक कार्यों में रोक लग जाती है। चार माह की निद्रा के बाद कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा अवस्था से उठते हैं और इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं देवशयनी एकादशी व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, पौराणिक कथा और राशिनुसार उपायों के बारे में।

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देवशयनी एकादशी 2023: तिथि व मुहूर्त

इस वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 29 जून 2023 को पड़ेगी। देवशयनी एकादशी का आरंभ 29 जून 2023 की मध्य रात्रि 3 बजकर 20 मिनट से होगा जबकि समापन अगले दिन 30 जून 2023 की मध्य रात्रि 2 बजकर 53 मिनट पर होगा।

देवशयनी एकादशी 2023: व्रत पारण मुहूर्त 

आषाढ़ी एकादशी पारण मुहूर्त: 30 जून 2023 की दोपहर 1 बजकर 48 मिनट से 4 बजकर 35 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 47 मिनट

हरि वासर समाप्त होने का समय: 30 जून की सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर।

चार नहीं 5 माह का होगा चातुर्मास

वर्ष 2023 में पड़ने वाले अधिकमास का असर चातुर्मास पर भी पड़ेगा और इसके चलते अब चातुर्मास 4 महीने का न होकर लगभग 5 महीने का होगा। सरल शब्दों में कहें तो, 30 जून 2023 से देवशयनी एकादशी के साथ शुरू होने वाले चातुर्मास अक्टूबर में न खत्म होकर 23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी के साथ होगा और इस दिन भगवान विष्णु अपनी निद्राकाल से उठेंगे।

देवशयनी एकादशी का महत्व

पद्म पुराण के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार इस व्रत को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति वाला व्रत माना गया है। इतना ही नहीं माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है इसलिए इस एकादशी को सौभाग्यादिनी एकादशी भी कहते हैं। देवशयनी एकादशी के बाद चार महीने तक सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेज कम हो जाता है और जिसके कारण इस दौरान शुभ कार्यों करना वर्जित माना जाता है।

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देवशयनी एकादशी: पूजा विधि

  • देवशयनी एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।
  • फिर श्री हरि भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद लकड़ी के पाट पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर श्रीहरि भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • अब भगवान विष्णु की पूजा शुरू करें।
  • पूजा शुरू करने से पहले थोड़ा सा गंगाजल छिड़ककर भगवान को फूल, माला, पीला चंदन, रोली, अक्षत चढ़ाएं।
  • अब भोग लगाने के साथ तुलसी की पत्ती चढ़ाएं।
  • इसके बाद विष्णु चालीसा के साथ सहस्त्रनाम का पाठ करें।
  • आखिरी में पूरे विधि-विधान से आरती कर लें।

देवशयनी एकादशी: व्रत कथा

पद्म पुराण के अनुसार, असुरों के राजा बलि ने अपनी ताकत से तीनों लोकों पर अधिकार जमा लिया था। राजा बलि की इस ताकत को देखकर इंद्रदेव और अन्य देवता घबरा गए और भगवान विष्णु की शरण में मदद मांगने चले गए। देवताओं को संकट में देखकर भगवान विष्णु ने वामन का रूप धारण कर लिया और राजा बलि से भिक्षा मांगने चले गए। राजा बलि ने वामन का रूप बनाए भगवान विष्णु से कहा कि आपको क्या चाहिए। तब भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी। पहले चरण में भगवान ने पूरी पृथ्वी और दूसरे चरण में आकाश ले लिया और जब तीसरे चरण के लिए जगह मांगी तो राजा बलि घबरा गए और तीसरे कदम के लिए अपना सिर झुका दिया और अपने सिर पर कदम रखने को कहा। भगवान वामन ने ठीक वैसा ही किया। इस तरह श्री हरि विष्णु ने सभी देवताओं की समस्या समाप्त कर दी। साथ ही, राजा बलि की दान-पुण्य से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न हो गए और राजा बलि के स्वभाव से खुश होकर भगवान विष्णु ने उनसे वरदान मांगने को कहा तो बलि ने उनसे पाताल लोक में बसने का वरदान मांगा। राजा बलि की इच्छा पूरी करने के लिए भगवान को पाताल लोक चले गए।

भगवान विष्णु के पाताल जाने के बाद माता लक्ष्मी सहित सभी देवतागण चिंतित हो गए। तब अपने पति भगवान विष्णु को वापस लाने के लिए माता लक्ष्मी एक गरीब महिला के रूप धारण किया और राजा बलि के पास पहुंचीं। उन्हें अपने भाई के रूप में राजा बलि को राखी बांधी और इसके बदले में उन्हें राजा बलि से भगवान विष्णु को पाताल लोक से वापस लेने का वचन लिया। पाताल लोक से लौटते वक्त श्री हरि विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक पाताल लोक में निवास करेंगे और उनके इस अवधि को योग निद्रा माना जाएगा। इसके बाद से इस समय को चातुर्मास कहते हैं। माना जाता है कि इस दौरान शिव जी सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। चातुर्मास में शिव जी की विशेष पूजा करने की परंपरा है।

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सुख समृद्धि के लिए देवशयनी एकादशी पर आजमाएं राशिनुसार उपाय

देवशयनी एकादशी पर राशिनुसार कुछ उपाय करने से पाप कर्मों से मुक्ति पाया जा सकता है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:

मेष राशि

मेष राशि के लोग जीवन में सफलता पाने के लिए देवशयनी एकादशी के दिन विष्णु सहस्रनाम का विधि-विधान से पाठ करें। ये पाठ सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकता है।

वृषभ राशि

इस दिन भगवान विष्णु को पंजीरी और चरणामृत का भोग जरूर लगाएं। भोग लगाते समय तुलसी की पत्तियां जरूर डाले। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के लोग यदि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करें तो उनके सारी बिगड़े काम बन सकते हैं। 

कर्क राशि

कर्क राशि कर्क राशि के लोग देवशयनी एकादशी के दिन स्नान करने के लिए पानी में गंगाजल का उपयोग करें और साथ ही, कच्चे दूध की कुछ बूंदें डालकर स्नान करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातक इस एकादशी के दिन शंख में गंगाजल डालकर भगवान विष्णु को स्नान कराएं और साथ ही मां लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाकर ‘ॐ नारायणाय नम:’ मंत्र का जाप करें। इस उपाय को करने से धन लाभ होने के योग बनने की संभावना होगी।

कन्या राशि

यदि कुंडली में ग्रहों की दशा खराब है तो कन्या राशि के लोग देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय विष्णु सहस्रनाम का पाठ जरूर करें। इस उपाय से उनके करियर में सफलता प्राप्त होगी और साथ ही ग्रहों की दशा में सुधार देखने को मिलेगा।

तुला राशि

तुला राशि के लोग एकादशी के दिन मंदिर में पीली वस्तुओं का दान करें और इस दिन चावल खाने से परहेज करें। साथ ही, गरीबों को भोजन कराएं और उनकी मदद करें।

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के लोग देवशयनी एकादशी के दिन जल में रोली डालकर सूर्य को अर्पित करें और साथ ही, ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें। इस उपाय से आपको करियर में सफलता के मार्ग खुलेंगे।

धनु राशि 

धनु राशि के लोगों को देवशयनी एकादशी के दिन गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए और साथ ही धन में वृद्धि के लिए श्री हरि विष्णु को चने का भोग अर्पित करें।

मकर राशि

मकर राशि के लोग जल में हल्दी डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। साथ ही, पक्षियों को दाना डालें। ऐसा करने से आर्थिक जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के लोग माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विशेष पूजन करें और श्री हरि विष्णु को नारियल अर्पित करें और साथ ही मां लक्ष्मी को सफेद मिठाई या दूध की खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपको धन लाभ होगा।

मीन राशि

मीन राशि के लोग इस दिन भगवान गणपति की विधिवत पूजा करें और घर में सत्यनारायण की कथा कराए। साथ ही, ॐ विष्णवे नम: मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से जीवन में चली आ रही समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।

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