कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 25 नवंबर, बुधवार को पड़ रही है। देवउठनी एकादशी को देश के कई हिस्सों में हरि प्रबोधिनी एकादशी तो कहीं देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है।
इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि जब आषाढ़ शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते हैं उसके बाद इस दिन यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन वह वापस जागते हैं। इस हिसाब से देवउठनी एकादशी के दिन से ही चातुर्मास यानी जो भी शुभ काम वर्जित होते हैं उनका अंत हो जाता है। इस दिन से शुभ काम वापस से शुरू कर दिए जाते हैं।
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देवउठनी एकादशी शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी मुहूर्त –
देवोत्थान एकादशी व्रत 25 नवंबर, बुधवार के दिन है। एकादशी तिथि दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से लग जाएगी। वहीं एकादशी तिथि का समापन 26 नवंबर को शाम 5 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी।
देवउठनी एकादशी पारणा मुहूर्त : 13:11:37 से 15:17:52 तक 26, नवंबर को
अवधि : 2 घंटे 6 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय :11:51:15 पर 26, नवंबर को
देवउठनी एकादशी व्रत पारणा मुहूर्त, (यह मुहूर्त दिल्ली के लिए है, अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।)
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देवउठनी एकादशी को साल का अंत कुछ छणिक विवाह मुहूर्त से गुजरेगा / साल 2021 विवाह मुहूर्त –
इस एकादशी पर भगवान विष्णु निद्रा के बाद उठते हैं इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि, भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी पर जागने के बाद शादी- विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्य आरम्भ हो जाते हैं। इसलिए पौराणिक मान्यताओं में इस दिन को खास व विशेष माना गया है। जानते हैं देवउठनी एकादशी के बाद साल के अंत में विवाह मुहूर्त ?
इस बार देवउठनी एकादशी के बाद नवम्बर माह माह में केवल तीन मुहूर्त आ रहे हैं और दिसंबर माह में 5 मुहूर्तों में ही विवाह कर सकेंगे। परन्तु अगले साल (2021) भी विवाह संस्कार की धूम – धाम अप्रैल के मध्य के बाद ही होगी, क्योंकि साल के शुरुआती माह के मध्य से बृहस्पति और शुक्र ग्रह के अस्त होने के कारण साल के शुरुआती तीन महीनों में विवाह नहीं हो पाएंगे। मकर संक्रांति के बाद 19 जनवरी से 16 फरवरी तक गुरु तारा अस्त रहेगा और फिर 16 फरवरी से 17 अप्रैल तक शुक्र ग्रह अस्त हो जायेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि, शुक्र और गुरु ग्रह के अस्त होने में विवाह संस्कार वर्जित होते हैं।
नवंबर 2020 विवाह मुहूर्त | |
27 नवंबर 2020 | कार्तिक शुक्ल द्वादशी |
29 नवंबर 2020 | कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी |
30 नवंबर 2020 | कार्तिक पूर्णिमा |
दिसंबर 2020 विवाह मुहूर्त | |
01 दिसंबर 2020 | मार्गशीर्ष कृष्ण प्रतिपदा |
07 दिसंबर 2020 | मार्गशीर्ष कृष्ण सप्तमी |
09 दिसंबर 2020 | मार्गशीर्ष कृष्ण नवमी |
10 दिसंबर 2020 | मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी |
11 दिसंबर 2020 | मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी |
साल 2021 बनेंगे 51 ( पाणिग्रहण संस्कार ) विवाह के मुहूर्त
साल 2021 शुरुआती तीन महीनों में सिर्फ एक ही मुहूर्त आ रहा है जो की 18 जनवरी को पहला मुहूर्त रहेगा। क्योंकि आकाशीय ग्रह नक्षत्रों की गणना से बृहस्पति और शुक्र ग्रह के अस्त होने के कारण साल के शुरुआती महीनों यानि 17 अप्रैल तक अस्त रहेगा। पहले गुरु ग्रह 19 जनवरी से 16 फरवरी तक गुरु तारा अस्त रहेगाऔर उसके बाद 16 फरवरी से ही शुक्र तारा 17 अप्रैल तक अस्त रहेगा अप्रैल के मध्य यानि 19 अप्रैल से विवाह के दौड़ में सभी माँ – पिता अपने बच्चों की दौड़ में लग जायेंगे जिसके चलते दूसरा विवाह मुहूर्त 22 अप्रैल को होगा इसके चलते ही चातुर्मास से पूर्व 37 मुहूर्त व उसके बाद साल के अंत तक 13 और मुहूर्त रहेंगे यानि कुल मिला कर इस साल मांगलिक कार्यों के लिए 51 मुहूर्त प्राप्त दिखाई दे रहे हैं।
क्या है देवउठनी एकादशी का महत्व?
इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि इन चार महीनों के समय में विष्णु देवता देवशयन में सोने चले जाते हैं, जिसकी वजह से जितने भी मांगलिक कार्य होते हैं उन्हें इस दौरान नहीं किया जाता है। जब देवता और भगवान विष्णु दोबारा जागते हैं इसके बाद ही कोई मांगलिक कार्य शुरू या संपन्न किया जाता है।
देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत-उपवास रखने का काफी महत्व बताया गया है। इसके अलावा कहा जाता है कि इस दिन सही ढंग से पूजा-अर्चना इत्यादि करने से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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देवउठनी एकादशी के दिन इस नियम से करें व्रत
- इस दिन हो सके तो निर्जला नहीं तो केवल जलीय पदार्थों के सेवन से ही उपवास रखना चाहिए।
- अगर कोई इंसान जिस की तबीयत ज्यादा सही नहीं है या बुज़ुर्ग कोई इंसान है या कोई बच्चा है तो उसे केवल एक समय ही उपवास रखने की सलाह दी जाती है।
- इस दिन भगवान विष्णु या अपने इष्ट देवता की उपासना करें।
- तामसिक आहार यानी कि प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बिल्कुल भी नहीं खाए।
- आज के दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
- इसके अलावा जिस किसी भी इंसान का चंद्रमा कमजोर होता है या जिनको मानसिक समस्या होती है उन्हें आज के दिन केवल जल पीकर और फल खाकर या निर्जला एकादशी का व्रत करना चाहिए। इससे उन्हें लाभ अवश्य मिलता है।
देवउठनी एकादशी की पूजा विधि
- इस दिन सुबह स्नान आदि करके मन में पूजा व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद गन्ने की मदद से एक मंडप बनाए। इस के बीचो-बीच चौक बनाई जाती है। चौक के बीचो-बीच आप चाहे तो भगवान विष्णु की कोई मूर्ति या फिर कोई चित्र रख दें जिसकी पूजा करनी है।
- इस चौक में भगवान के चरण बनाए जाते हैं जिनको ढक दिया जाता है।
- इसके बाद भगवान को गन्ना, सिंघाड़ा, फल, मिठाई, इत्यादि चीजें समर्पित करें।
- इस दिन घी का एक दीपक जलाया जाता है जो रात भर जलता रहता है।
- भोर के समय भगवान के चरणों में विधिवत पूजा की जाती है और उनके चरणों को स्पर्श करके उनको जगाया जाता है।
- इसके बाद एक शंख, घंटा और कीर्तन इत्यादि किया जाता है।
- जिसके बाद व्रत उपवास की कथा सुनी जाती है। इसके बाद सभी तरह के मंगल कार्य विधिवत तरीके से शुरू किए जा सकते हैं।
- इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान के चरणों को स्पर्श करके जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूरी अवश्य होती है।
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इस दिन किया जाता है तुलसी विवाह का आयोजन
देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह का भी विधान बताया गया है। तुलसी के पेड़ और शालिग्राम की ये शादी किसी भी सामान्य शादी की ही तरह बेहद ही धूमधाम से की जाती है। क्योंकि तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिया भी कहा जाता है इसलिए जब भगवान नींद से जागते हैं तो सबसे पहले प्रार्थना हरीवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं।
यदि किसी भी जातक के विवाह में विलम्ब या बार- बार अड़चन आ रही हो तो वह जातक देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी शालिग्राम विवाह करे तो उसे शीघ्र ही विवाह के बंधन में बांधने के योग बनते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार है इस दिन को विवाह के लिए शुभ माना जाता है। मान्यता है कि, इस दिन किया गया विवाह कभी नहीं टूटता और दांपत्य सुख भी हमेशा बना रहता है। विलम्ब हो रहे विवाह को पूर्ण फल मिलता है।
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तुलसी विवाह का मतलब होता है कि तुलसी के माध्यम से भगवान विष्णु का आवाहन करना। शास्त्रों में इस बारे में कहा गया है कि जिन दंपतियों की कन्याएं नहीं होती उन्हें जीवन में एक बार तो तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य अवश्य प्राप्त करना चाहिए।
देवउठनी एकादशी पर करें ये उपाय
देवउठनी एकादशी के दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान हरि को प्रसन्न करने के लिए अगर आप कुछ खास उपाय करते हैं जो इससे आपके जीवन में धन-धान्य हमेशा बना रहता है। क्या है वह उपाय आइए हम आपको बताते हैं।
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- देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। कहा जाता है कि जो कोई भी इंसान इस दिन ऐसा करता है उससे भगवान विष्णु अवश्य प्रसन्न होते हैं और उनकी मांगी गई हर इच्छा अवश्य पूरी करते हैं।
- एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करने का बेहद महत्व बताया गया है। कहा जाता है ऐसा करने से आपके जीवन में आपको समस्त सुख और शांति अवश्य मिलेगी। स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप करें। इससे आपका स्वास्थ्य हमेशा उत्तम बना रहेगा।
- इसके अलावा धन वृद्धि के लिए आप इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगा सकते हैं। इस दिन आप जो भी भोग बना रहे हैं उसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की प्रसन्नता जल्दी हासिल होती है।
- देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंदिर में एक नारियल और कुछ बादाम अवश्य चढ़ाएं। ऐसा करने से अगर कोई काम अटका है तो वह तुरंत होने लगेगा और आपको समस्त सुखों की प्राप्ति होगी।
- इसके बाद एकादशी के दिन पीले रंग के कपड़े, पीले रंग के फल-फूल, पीले रंग के अनाज इत्यादि भगवान विष्णु को चढ़ाएं जाने का विधान बताया गया है। इसके बाद यह सभी वस्तुएं किसी जरूरतमंद को दें। ऐसा करने से इंसान पर भगवान विष्णु की कृपा अवश्य बनी रहती है।
- देवउठनी एकादशी की शाम को तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं, और तुलसी की 11 बार परिक्रमा करें। इस उपाय को जो कोई भी इंसान करता है उसके घर में सुख शांति बनी रहती है। तथा उसके उनके जीवन में किसी प्रकार का कोई संकट नहीं आता।
- एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय से आप भगवान विष्णु और महालक्ष्मी दोनों की प्रसन्नता हासिल कर सकते हैं।
- एकादशी के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। पेड़ के नीचे शाम को दीपक जलाएं। पीपल के पेड़ को भगवान विष्णु का वास माना गया है इस उपाय को करने से आप कर्ज मुक्त हो सकते हैं।
- इस दिन जब आप भगवान विष्णु की पूजा करें तब भगवान की तस्वीर या मूर्ति के पास कुछ पैसे रख दें। पूजा संपन्न होने के बाद दोबारा यह पैसा अपने पर्स या पैसा रखने वाली स्थान पर रखें इससे आपको जीवन में धन लाभ अवश्य होता है।
देवउठनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
मान्यता है कि इस कथा को सुनने मात्र से ही इंसान को सभी दुर्लभ वस्तुओं की प्राप्ति और उसकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है। एक समय भगवान नारायण से माता लक्ष्मी ने पूछा कि, ‘हे भगवान आप दिन रात जागते हैं और जब आप सोते हैं तो लाखों करोड़ों वर्ष तक सो जाते हैं। ऐसे में इस समय में समस्त चराचर का नाश कर डालते हैं, इसलिए आप नियम से हर वर्ष शयन ले लिया करें। इससे मुझे भी कुछ समय आराम करने के लिए मिल जाएगा।
माता लक्ष्मी की यह बात सुनकर भगवान मुस्कुराए और बोले, ‘देवी तुमने ठीक कहा है। मेरे जागने से सभी देवताओं और खासकर तुमको कष्ट होता है। तुम्हें मेरी वजह से जरा भी आराम नहीं मिलता। ऐसे में तुम्हारे कहने के अनुसार आज से मैं हर वर्ष चार मास, वर्षा ऋतु में नींद लिया करूंगा। उस समय तुमको और अन्य सभी देव को को आराम मिलेगा।’
‘मेरी यह निद्रा अल्प निद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी। मेरी यह निद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी भी साबित होगी। इस समय काल में जो भी भक्त मेरे सोने के बाद भी मेरी सेवा करेंगे और फिर मेरे शयन व उत्थान को अति-उत्साह पूर्वक मनाएंगे उनके घर में मैं तुम्हारे साथ हमेशा-हमेशा के लिए निवास अवश्य करूंगा।’
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