कोरोना आज के समय में हर किसी की जुबान पर आने वाला नाम बन चुका है क्योंकि कोई ना कोई प्रतिदिन इस बीमारी की चपेट में आ रहा है। यह वायरस जिसे कोविड-19 के रूप में भी जाना जाता है, बड़ी ही तेजी के साथ सारे संसार को अपनी चपेट में ले चुका है। इसी कड़ी में हमारा देश भारत भी सर्वाधिक संक्रमित लोगों की संख्या के आधार पर विश्व में दसवें स्थान पर आ चुका है। देश भर में लगे लॉक डाउन के कारण निश्चित तौर पर सरकार द्वारा अनेक लोगों की जान बचाने में सफलता पाई जा चुकी है लेकिन अब भी कोरोना संक्रमितों का तेजी से बढ़ता हुआ ग्राफ सभी की चिंताएं बढ़ाता जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, इसके कारण सारी औद्योगिक गतिविधियाँ लगभग हाशिए पर आ रही हैं, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था भी कमजोर पड़ रही है। केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेकों देश और सुपर पावर कहे जाने वाले अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश भी इस बीमारी के कारण चरमराती हुई अर्थव्यवस्था के शिकार बन चुके हैं। आइए जानते हैं ज्योतिष के अनुसार क्या कहती है ग्रहों की स्थिति क्योंकि आज हर किसी के दिल से केवल एक ही बात बार बार निकल रही है कि कोरोना – बस अब और नहीं !
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जन मानस पर ग्रहण का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति और उनके गोचर पर विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है क्योंकि उन्हीं से विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाएं मानव जीवन को प्रभावित करती हुई पाई जाती हैं। सूर्य ग्रहण का प्रभाव लगभग छह महीने तक दृष्टिगोचर होता है। दिसंबर 2019 में लगा सूर्य ग्रहण काफी बड़ा और प्रभावशाली था और उसका प्रभाव समस्त मानव जीवन पर व्यापक रूप से पड़ा है। अब जून के महीने में एक साथ दो ग्रहण लगेंगे जिनमें से एक 5 जून को चंद्र ग्रहण होगा और उसके बाद 21 जून को सूर्य ग्रहण होगा। इनके बाद 5 जुलाई को फिर से चंद्र ग्रहण लगेगा। इस तरह लगभग एक महीने के अंतराल के अंदर ही तीसरा ग्रहण भी जुलाई में आकर लेगा। एक महीने के अंदर तीन तीन ग्रहण घटित होने से मानव जीवन पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है और यही कारण है कि प्राकृतिक आपदाओं में भी बढ़ोतरी हो सकती है। तीन ग्रहण इतने कम समय में अंदर पड़ना प्रजा के लिए हानिकारक होता है। वर्तमान समय में जब समस्त उत्तर भारत गर्मी की जबरदस्त चपेट में है, अम्फान नामक तूफान उड़ीसा और बंगाल में भयानक तबाही मचा चुका है। उससे पूर्व पिछले दो महीनों के दौरान ही कम से कम चार बार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में केंद्रित भूकंप के हल्के झटकों ने भी सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या मानव जीवन को इस वर्ष और भी कुछ झेलना पड़ेगा।
यहाँ यह ध्यान देने योग्य बात है कि 5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण केवल एक उपचाया चंद्र ग्रहण है जिसका अधिक प्रभाव नहीं माना जाएगा और ऐसा ही हाल जुलाई वाले ग्रहण के साथ भी होगा लेकिन 21 जून का सूर्य ग्रहण काफी प्रभावी होगा क्योंकि इस जून महीने में ही बड़े बड़े ग्रह वक्री अवस्था में भी रहेंगे। ग्रहों का वक्री होना प्राकृतिक आपदाओं की ओर इशारा करता है। इसलिए कहा जा सकता है कि आने वाले छह महीने सामाजिक राजनीतिक और प्राकृतिक रूप से उठल पुथल वाले हो सकते हैं। इस सबके बीच वापस लौटते हैं अपने विषय पर जो है कोरोनावायरस का संक्रमण काल। सर्वप्रथम आपके अंदर एक अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्यूनिटी पावर होनी चाहिए क्योंकि इसी की वजह से आप कोरोना वायरस जैसे संक्रमण से बचाव प्राप्त कर सकते हैं।
जानें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता – हेल्थ इंडेक्स कैलकुलेटर
कोरोना वायरस – कोविड 19 और ज्योतिष
हमारे देश भारत में प्रतिदिन कोरोनावायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और ग्रह स्थिति इशारा करती है कि यह स्थिति अभी जून तक और बढ़ेगी और जून के महीने में काफी संख्या में लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं। हालांकि जून के अंतिम सप्ताह से इसके मरीजों की संख्या में कमी आनी शुरू होगी और हम उम्मीद कर सकते हैं कि जुलाई के महीने से हमें कुछ अच्छे समाचार सुनने को मिल सकते हैं।
सितंबर में इस स्थिति में फिर से एक बार इजाफा होने की संभावना बन रही है, इसलिए सभी को अपना ध्यान रखना होगा और अपने जीवन की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपनी दिनचर्या को निर्धारित करना होगा कि सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थात सामाजिक दूरी के दायरे का पालन करें, मास्क लगाकर बाहर जाएं, बार-बार हाथ धोकर ही सभी काम करें ताकि आप खतरनाक वायरस की चपेट में आने से बचे रहें। ग्रह स्थिति यह भी इशारा करती है कि जून से सितंबर के मध्य में संभव है कि इस खतरनाक वायरस के खात्मे के लिए कोई वैक्सीन ईजाद हो जाए जिसकी वजह से सारे संसार को धीरे धीरे इससे मुक्ति मिलने लगे।
(स्वतंत्र भारत)
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कोरोना – बस अब और नहीं
- ऊपर दी गई स्वतंत्र भारत की कुंडली को देखें तो वर्तमान में बृहस्पति का गोचर कुंडली के नवम भाव में चल रहा है जहां से 30 जून को वे वापस अष्टम भाव में आ जाएंगे।
- 30 जून को बृहस्पति वक्री अवस्था में एक बार फिर धनु राशि में प्रवेश करेगा और 20 नवंबर तक वहां स्थित रहेगा। सितम्बर मैं राहु भी गोचर में परिवर्तन करके देश के लग्न अर्थात वृषभ राशि में प्रवेश करेगा जिससे केतु सप्तम भाव में आ जाएगा और अष्टम भाव केतु के प्रभाव से मुक्त हो जाएगा। ऐसी संभावना है कि जुलाई से सितंबर के बीच में कोरोना वायरस जैसे संक्रामक रोग पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्वास्थ्य टीमों द्वारा की जा रही कोशिशों के कामयाब होने की संभावना बन रही है और संभव है कि जुलाई से सितंबर के मध्य में कोरोनावायरस के प्रमुख रोकथाम के लिए किसी खास वैक्सीन को ईजाद कर लिया जाए ताकि सारी दुनिया इस महामारी की शिकार होने से काफी हद तक बचा जाए।
- हालांकि अभी जो स्थिति बन रही है, उसके अनुसार आने वाले समय में मरीज़ों की संख्या बढ़ने की संभावना है, इसलिए हम यही प्रार्थना करते हैं ईश्वर हमारी रक्षा करें और हमें जल्द से जल्द वैक्सीन बनाने में सफलता प्रदान करें ताकि हम इस व्यापक महामारी से सुरक्षित होकर जीवन बिता सकें।
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