कोरोना वायरस का अंत: नया शोध

इस लेख को शुरु करने से पहले मैं विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की वंदना करता हूं, क्योंकि मैं इस लेख में कुछ महत्वपूर्ण विश्लेषण और भविष्यवाणियां प्रस्तुत करने जा रहा हूं।

शायद यह इस समय का सबसे डरावना समय है। “कोरोना वायरस कब खत्म होगा?” यह हर शख्स के मन में उठने वाला सबसे ज्वलंत प्रश्न है। तो, मैं अपने ज्ञान और अनुभव से इस प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करता हूं।

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सबसे पहले, ज्यादातर ज्योतिषियों का महामारी की भविष्यवाणी और पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाली घटनाओं से वाकिफ होना आवश्यक नहीं है। जिस तरह से मेडिकल साइंस में स्पेशलाइजेशन होता है, ठीक उसी तरह ज्योतिष विज्ञान में भी स्पेशलाइजेशन होता है। आपदा और महामारी का पूर्वानुमान ज्योतिष की जिस शाखा के अंतर्गत आता है उसे मुण्डेन ज्योतिष या मेदिनी ज्योतिष कहते हैं।

जो ज्योतिषी मुण्डेन ज्योतिष को जानते हैं, वो किसी देश या देश से जुड़े मामलों के बारे में भविष्यवाणी किस तरह से करनी है उसका तरीका भी जानते हैं। लेकिन कोरोना वायरस की घटना किसी भी राष्ट्र तक सीमित नहीं है, इससे पूरी दुनिया प्रभावित है। कोरोना वायरस की पूरी पड़ताल करने के लिए हमें अलग-अलग उपकरणों और तकनीकों की आवश्यकता है, इन्हीं तकनीकों की मदद से अपने इस लेख में मैं कुछ जरुरी जानकारियां साझा करुंगा, साथ ही मेरी भविष्यवाणी कोरोना वायरस के बारे में भी होगी कि, यह कब तक समाप्त हो जाएगा।

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क्यों कोरोना वायरस महामारी का कारण बना?

मैं कोरोनावायरस के प्रकोप के पीछे तीन मुख्य कारण देखता हूं-

कारण 1- “गुरु चक्र” और “शनि चक्र” पर मेरा शोध

मैं विश्व स्तर की घटनाओं की भविष्यवाणी करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण साझा करना पसंद करुंगा, इसे मैं “साइकिल चार्ट” कहता हूं। यह मेरे द्वारा किया गया एक शोध है जिसे मैं बहुत पहले ही लोगों के सामने प्रस्तुत करना चाहता था लेकिन समय न मिल पाने के कारण ऐसा नहीं हो पाया। मुझे यकीन है कि यह शोध भविष्य में उच्च सटीकता के साथ विश्व स्तर की घटनाओं की भविष्यवाणी करने में मदद करेगा। पिछले कुछ हजार सालों में दुनिया में बहुत बदलाव आए हैं। दुनिया वैश्वीकृत हो गई है और ऐसे समय में गुरु-चक्र चार्ट और शनि-चक्र चार्ट भविष्य में बहुत महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

गुरु-चक्र चार्ट में हम उस समय को देखते हैं जब बृहस्पति और सूर्य आपस में युति बना रहे हों। इसमें हम लग्न का उपयोग नहीं करते क्योंकि यह हर स्थान के साथ बदलता रहता है, इसलिए हम चंद्रमा से चार्ट का विश्लेषण करते हैं। नीचे 27 दिसंबर 2019 का गुरु-चक्र चार्ट दिया गया है-

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पिछली बार सूर्य-बृहस्पति की युति 27 दिसंबर को हुई थी और चीन ने डब्ल्यूएचओ (WHO) को 31 दिसंबर को इस नए कोरोनावायरस के बारे में जानकारी दी। यह वो समय था जब इस वायरस की शुरुआत हुई थी, और हम देख सकते हैं कि इन चक्रों का कितना महत्व है।हम इस साल 13 जनवरी को हुआ एक शनि-चक्र चार्ट भी बना सकते हैं, लेकिन मैं इसे संक्षिप्तता के लिए छोड़ रहा हूं।

कोई  ज्योतिषी भी देख सकता है कि 12 वें घर में पांच ग्रहों की युति इस कुंडली को बेहद कमजोर बना रही है। चंद्र राशि का स्वामी शनि सूर्य और केतु के साथ द्वादश भाव में विराजमान है। राहु बीमारियों और कष्टों के षष्ठम भाव में है और द्वादश भाव से पांच ग्रहों की दृष्टि इस पर पड़ रही है। इसके साथ ही क्रूर ग्रह मंगल की अष्टम दृष्टि भी षष्ठम भाव में बैठे राहु पर है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि बीमारियों से बचना असंभव है।

यह गुरु-चक्र 29 जनवरी, 2021 तक रहेगा जब सूर्य एक बार फिर बृहस्पति के साथ युति करेगा। लेकिन अच्छी बात यह है कि बृहस्पति 29 मार्च को धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। गुरु-चक्र चार्ट में, इसका मतलब है कि बृहस्पति द्वादश भाव से स्वास्थ्य के प्रथम भाव में प्रवेश करेगा और पूरी दुनिया को राहत देगा। 24 मार्च को चंद्रेश का स्वामी शनि भी द्वादश भाव से प्रथम भाव में प्रवेश कर जाएगा। इसलिए दो प्रमुख ग्रह मार्च 2020 के बाद राहत देने के लिए तैयार हैं।

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कारण 2- नव संवत्सर

मैं दो महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटनाओं को देखता हूं जिन्होंने इस महामारी को जन्म दिया। पहला कारण है संवत्सर। वैदिक ज्योतिष में, हर साल को एक नाम दिया गया है। नव संवत्सर चैत्र प्रतिपदा से शुरू होता है और 6 अप्रैल 2019 को शुरू होने वाले संवत्सर का नाम शक संवत् के अनुसार “विकारी” और विक्रम संवत् के अनुसार “परिधावी” है। पिछले साल हमने “परिधावी” के बारे में लिखा था और बताया था कि कैसे यह महा-रोग (महामारी) का कारण बनता है, इसलिए मैं इस पर और जोर नहीं दूंगा। विकारी शब्द का अर्थ “बीमार” है। इसलिए, चैत्र प्रतिपदा से शुरु पिछले वर्ष में बीमारी पैदा करने की संभावना थी। और हम देख सकते हैं कि कोरोना ने किस तरह से पुरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। मेरे अनुसार कोरोनोवायरस प्रकोप के लिए उपरोक्त दोनों कारण बहुत मुख्य है

कारण 3 – चंद्रमा से तिथि प्रवेश कुंडली

जब हम चैत्र प्रतिपदा चार्ट का विश्लेषण करते हैं, तो आम तौर पर देखते हैं कि साल की शुरुआत कब से हो रही है और उसे देखते हुए हम देश की राजधानी के लिए एक चार्ट बनाते हैं। लेकिन कोरोनोवायरस जैसी विश्वव्यापी महामारी के मामले में, हमें विभिन्न उपकरणों और तकनीकों की आवश्यकता है। मैंने विश्लेषण करने के लिए चंद्र कुंडली का इस्तेमाल किया। यहां वर्तमान वर्ष के लिए चंद्र कुंडली दी गई है-

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अब चार्ट देखें। चंद्र राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति पर तीन मुख्य क्रूर ग्रहों का प्रभाव है। बृहस्पति शनि, केतु के साथ है और मंगल ग्रह की दृष्टि भी इसपर पड़ रही है, जिसकी वजह से पूरे वर्ष यह कमजोर स्थिति में रह सकता है। लगभग सभी प्राकृतिक क्रूर ग्रहों का चंद्रमा पर प्रभाव है। चंद्रमा के साथ छठे घर के स्वामी की युति भी स्थिति को कमजोर बना रही है। छठा घर ज्योतिष में बीमारी का घर है। लग्न में छठे भाव का स्वामी रोग कारक होता है। दो शुभ ग्रह शुक्र और बुध 12 वें घर में हैं और शनि से प्रभावित हैं। इसलिए, इस स्थिति का इससे ज्यादा कोई योगदान नहीं है कि, द्वादश भाव में शुक्र शैय्या सुख या आराम देता है। मुझे लगता है कि इसी के कारण ज्यादातर लोगों को इस दौरान घर से काम करने का मौका मिल रहा है।

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निष्कर्ष

ऊपर मैंने कोरोनोवायरस के प्रकोप के कारणों का उल्लेख किया है और इन्हीं को आधार बनाकर अब मैं उत्तर देना चाहूंगा कि चीजें कब सुधरेंगी। “कारण क्रमांक 2” जिसका मैंने उल्लेख किया था, अर्थात “संवत्सर” 25 मार्च को बदल रहा है। तो, विकारी संवत्सर का प्रभाव समाप्त हो जाएगा और अगले संवत्सर “शर्वरी” का प्रभाव दिखाई देने लगेगा। दूसरा कारण, कमजोर वार्षिक चार्ट 25 तारीख के बाद बदल रहा है, इसलिए यह भी अच्छी खबर है। इससे स्थितियों में सुधार आएगा।

“कारण संख्या 1” गुरु चक्र चार्ट का प्रभाव हालांकि 29 जनवरी, 2021 तक रहेगा। इसलिए यह निष्कर्ष निकलता है कि, कोरोनावायरस अपने चरम पर पहुंच गया है। अप्रैल शुरु होने के बाद हम देखेंगे कि नए मामलों में काफी गिरावट आएगी और दुनिया को राहत महसूस होगी। हालांकि कोरोनोवायरस लगभग पूरे आने वाले वर्ष को प्रभावित करेगा लेकिन, अप्रैल शुरु होते ही इसके प्रसार में काफी गिरावट देखी जाएगी।

अगर मैं भारतीय परिप्रेक्ष्य से विश्लेषण करूं, तो आने वाला हिंदू नववर्ष 25 मार्च से शुरू हो रहा है और पिछले वर्ष के मुकाबले काफी मजबूत दिख रहा है और भारत कोरोनोवायरस से दुनिया के बाकी देशों की तुलना में बहुत बेहतर तरीके से लड़ने में सक्षम होगा।

मैं आशा करता हूं कि विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश पूरी दुनिया पर कृपा बनाए रखें।

लेखक- पुनीत पांडे

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