वैदिक ज्योतिष में मंगल सबसे प्रमुख और शक्तिशाली ग्रहों में से एक माना जाता है। यह एक क्रूर ग्रह है, जो आक्रामकता, साहस, ऊर्जा और जुनून का कारक है। मंगल को “युद्ध का देवता” भी कहा जाता है और यह अहंकार, क्रोध, वीरता और साहस जैसे गुणों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। यह व्यक्ति के जीवन में विशेष रूप से पेशे, रिश्ते और स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रभाव डालते हैं। मंगल ग्रह का संबंध सेना, पुलिस, प्रॉपर्टी डीलिंग, इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग, स्पोर्ट्स आदि से है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं, तो ऐसे जातक बड़े से बड़ा निर्णय आसानी से लेने में सक्षम होते हैं। साथ ही, कठिन से कठिन परिस्थितियों से भी वह नहीं डरते हैं। वहीं यदि मंगल अशुभ या कमजोर हो तो करियर के क्षेत्र में जातक को समस्या का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही वे अपने वरिष्ठों और सहकर्मियों के साथ किसी भी तरह के संघर्ष या बहस में भी पड़ सकते हैं। मंगल रिश्ते के यौन पहलुओं पर जोर देता है। ऐसे में जिन लोगों की कुंडली में मंगल मजबूत होता है उनकी यौन इच्छाएं भी बहुत मजबूत और सक्रिय होती हैं। यदि मंगल कमजोर हो तो यह रिश्तों में बेवफाई और आक्रामकता जैसी समस्याओं को उजागर करता है।
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मंगल ग्रह की अन्य ग्रहों के साथ युति व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव डालती है। जब दो ग्रह एक ही राशि में हों तो इसे ग्रहों की युति कहा जाता है और इसका प्रभाव सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रकार के हो सकते हैं। एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको मंगल की अन्य ग्रहों के साथ युति के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
8 ग्रहों के साथ मंगल की युति का प्रभाव
मंगल ग्रह जब बृहस्पति, शुक्र या बुध जैसे शुभ ग्रहों के साथ युति करते हैं, तो यह शुभ परिणाम देते हैं। हालांकि, जब मंगल शनि, राहु या केतु जैसे पापी ग्रहों के साथ युति करते हैं तो यह अशुभ परिणाम दे सकते हैं। इसके अलावा, कुंडली के भिन्न-भिन्न भावों में इनकी युति के अलग-अलग परिणाम देखने को मिलते हैं।
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मंगल-सूर्य की युति
इस युति को ज्योतिष में ‘ग्रहण योग’ कहा जाता है। सूर्य व मंगल दोनों ही भरपूर ऊर्जा वाले ग्रह माने जाते हैं। यदि ये किसी कुंडली में साथ-साथ विराजमान हो या फिर शुभ भावों के स्वामी होकर शुभ स्थान में हो तो इस युति वाले जातक अत्यंत महत्वाकांक्षी और आत्मविश्वासी होते हैं। कई बार इस युति के कारण जातक के पिता से मतभेद रहते हैं और संपत्ति का लाभ भी नहीं मिलता है।
मंगल-चंद्रमा की युति
मंगल-चंद्र की युति को ज्योतिष में बेहद शुभ माना जाता है। इस युति को ज्योतिष में लक्ष्मी योग कहा गया है और इसके प्रभाव से जातक मन का बलवान और धनवान होता है।
मंगल-बुध की युति
मंगल-बुध की युति हमारे संचार और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव डालती है। इस युति के प्रभाव से जातक राजनीति, लेखन और प्रकाशन में नाम कमाता है।
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मंगल-बृहस्पति की युति
मंगल-बृहस्पति की युति व्यक्ति की महत्वाकांक्षा और उसके आत्मविश्वास व साहस को प्रभावित करती है। इस युति के जातक को प्रत्येक क्षेत्र में अच्छे परिणाम मिलते हैं। ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय और धर्म का जानकार होता है। साथ ही, ये लोग अच्छे शिक्षक होते हैं।
मंगल-शुक्र की युति
यह युति जातक के रिश्तों, जुनून और इच्छाओं पर प्रभाव डालती हैं। इस युति से जातक रोमांटिक होता है और उसकी रचनात्मकता में वृद्धि होती है। हालांकि, इस युति से कई बार व्यक्ति को भावनात्मक उतार-चढ़ाव से भी गुजरना पड़ सकता है जिसके परिणामस्वरूप रिश्ते में गलतफहमी पैदा हो सकती है।
मंगल-शनि की युति
मंगल और शनि की युति जातक को देर से सफलता प्रदान करती है। अगर इनकी युति शुभ है तो जातक अच्छा इंजीनियर और बड़ा ठेकेदार बनता है। अगर अशुभ हो, तो जातक के कई शत्रु होते हैं और कर्ज़ की भी समस्या बनी रहती है।
मंगल-राहु की युति
ज्योतिष में मंगल और राहु की युति को “अंगारक योग” के नाम से जाना जाता है। यहां मंगल का क्रोध राहु के छल से मिलकर लोगों को ठगने का कार्य करता है। ऐसे लोग झूठ अच्छा बोलते हैं और धोखा देने में भी माहिर होते हैं।
मंगल-केतु की युति
इस युति के प्रभाव से आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ झुकाव बढ़ता है। व्यक्तित्व में सुधार लाने के लिए यह बेहतर समय साबित हो सकता है लेकिन अशुभ युति होने पर जातक को चोट लगती है और कुछ न कुछ बीमारी लगी रहती है।
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