छठ पूजा 2022: जानें छठ पूजा की तिथि, महत्व और कैसे करें छठ मैया को प्रसन्न

सनातन धर्म के महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पर्वों में से एक छठ पूजा 2022 का त्यौहार जो अब जल्द ही आने वाला है। जैसा कि हम सभी यह बात भली-भांति जानते हैं कि त्योहारों का सिलसिला शुरू हो चुका है और अब इसी क्रम में दिवाली के बाद छठ पूजा का पर्व मनाया जाएगा जिसकी तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छठ पूजा का पर्व सूर्यदेव और षष्ठी मैया को समर्पित है इसलिए इस दिन इनका आशीर्वाद पाने के लिए पूजा को विधि-विधान से करना चाहिए। इसके अलावा, छठ पूजा के दौरान किन नियमों का पालन करके और कौन सी बातों को ध्यान में रखकर आप छठ मैया की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, किन अचूक उपायों को करने से होगा आपकी हर समस्या का समाधान आदि जानकारी हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान करेंगे।

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यूँ तो, सनातन धर्म में अनेक त्योहारों जैसे दिवाली, रक्षाबंधन, भाईदूज और होली आदि को बेहद उत्साह से मनाया जाता है, और इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है छठ पूजा जिसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है और इस त्यौहार की रौनक नेपाल समेत उत्तर भारत के प्रमुख राज्यों बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में भी दिखाई देती है। 

छठ पूजा का अर्थ और महत्व 

छठ पूजा 2022 को सूर्य उपासना का सबसे पवित्र त्यौहार माना गया है और इस दिन भगवान सूर्य और उनकी बहन माता उषा की भक्तिभाव से पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में, सूर्यदेव के साथ-साथ भक्तों को छठ मैया का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा छठ पूजा के दिन सूर्य को अर्घ्य देने का भी विधान है। अगर हम बात करें छठ पूजा के अर्थ की तो, इस पर्व को कार्तिक मास की षष्ठी तिथि यानी छठे दिन मनाये जाने के कारण छठ पूजा कहा जाता है।

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में छठ पूजा अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रही है और अब इसे एक लोकपर्व के रूप में मनाये जाने लगा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन की जाती है और यह चार दिवसीय उत्सव है। इन चारों दिनों में अनेक प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान एवं रीति-रिवाज़ किये जाते हैं। साथ ही, भगवान सूर्य और छठ मैया की आराधना के इस महापर्व में डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है जो इस त्यौहार को बेहद खास बनाती है।   

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छठ पूजा 2022 का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व 

धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से छठ पूजा को आस्था का पर्व कहा जाता है। सनातन धर्म के सभी पर्वों एवं त्योहारों में छठ पूजा एक ऐसा त्यौहार है जिसमें सूर्य की आराधना की जाती है और पूजन के बाद उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। हालांकि, हिंदू धर्म के समस्त देवी-देवताओं में सूर्य ही एकमात्र ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों को प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देते हैं और उनके जीवन को समृद्ध बनाते हैं। छठ पूजा के अवसर पर महिलाएं संतान की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे का कठोर निर्जला उपवास करती हैं।

धर्मशास्त्रों के अनुसार,भगवान सूर्य को जगत की आत्मा कहा जाता है क्योंकि सूर्य की रोशनी में अनेक तरह की बिमारियों और रोगों को नष्ट करने की अपार क्षमता होती है। इसी प्रकार, कुंडली में सूर्यदेव के शुभ होने पर जातक को तेज, आत्मविश्वास, मान-सम्मान और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। जहाँ सूर्यदेव को पिता, पूर्वज, सरकारी सेवा का कारक माना गया है। वही, छठ मैया को सृष्टि रचियता भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री कहा गया है और पुराणों में देवी को माँ कात्यायनी का स्वरूप माना गया है इसलिए इनकी पूजा छठे नवरात्रि यानी षष्ठी तिथि पर होती है। अब हम आगे बढ़ते है और नज़र डालते हैं छठ पूजा की तिथियों पर। 

छठ पूजा 2022 की तिथियां और मुहूर्त

दिनछठ पूजा का अनुष्ठानतिथि 
छठ पूजा का पहला दिननहाय खाय28 अक्टूबर 2022, शुक्रवार 
छठ पूजा का दूसरा दिनखरना29 अक्टूबर 2022, शनिवार
छठ पूजा का तीसरा दिनसंध्या अर्घ्य30 अक्टूबर 2022, रविवार
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिनउषा अर्घ्य 31 अक्टूबर 2022, सोमवार

छठ पूजा 2022 मुहूर्त:

संध्या अर्घ्य के लिए सूर्यास्त का समय: 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट से,

उषा अर्घ्य के लिए सूर्योदय का समय: 31 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक।

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छठ पूजा 2022 के दौरान किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान 

छठ पूजा का महापर्व निरंतर चार दिनों तक मनाया जाता है और इसके हर दिन का अपना महत्व है। इस चार दिवसीय उत्सव के दौरान भक्तों द्वारा कई तरह के धार्मिक अनुष्ठानों को किया जाता है। तो बिना देर किये चलिए जानते हैं छठ पूजा के प्रत्येक दिन का क्या है महत्व। 

पहला दिन: नहाये खाये

छठ पूजा का पहला दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है जिसे नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती लोग स्नानादि के बाद नए वस्त्र पहनते हैं और शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं। नहाये खाये के दिन जो व्यक्ति व्रत करता है शाम को उसके भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के अन्य सदस्यों द्वारा भोजन किया जाता है।

दूसरा दिन: खरना

छठ पर्व के दूसरा दिन को खरना के नाम से जाना जाता है और यह दिन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भक्तों द्वारा कठोर व्रत का पालन किया जाता है क्योंकि खरना के दिन जिन जातकों का व्रत होता है वह पूरे दिन अन्न और जल का सेवन नहीं करते हैं। संध्याकाल में चावल और गुड़ से खीर बनाई जाती है। साथ ही, इस दिन चावल का पिठ्ठा और घी लगी रोटी को प्रसाद के रूप में सबको बांटा जाता है।

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तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन माना जाता है। इस मौके पर शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है और बाँस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है। इसके बाद, व्रती अपने परिवार के साथ मिलकर सूर्यदेव को अर्घ्य देता हैं और इस दिन डूबते सूर्य की आराधना की जाती है। 

चौथा दिन: उषा अर्घ्य

छठ पूजा 2022 के चौथे और अंतिम दिन अर्थात कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भक्तजन अपने घर के पास स्थित नदी या तालाब पर जाकर घर-परिवार की सुख-शांति की कामना करते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं। 

छठ पूजा की विधि 

भगवान सूर्य और छठ मैया की कृपा दृष्टि और आशीर्वाद पाने के लिए जरूरी है कि छठ पूजा को विधि-विधान से किया जाए। इसलिए सूर्य देव को अर्घ्य देने से पहले आप निम्न सामग्री को इकठ्ठा कर लें जो इस प्रकार हैं:

  • बांस से बनी 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, एक थाली, गिलास और दूध,
  • नारियल, हल्दी, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, सब्जी, शकरकंदी, गन्ना और सुथनी 
  • पान, साबुत सुपारी, नाशपती, बड़ा नींबू, शहद,चंदन, मिठाई, कैराव और कपूर 
  • पूजा के प्रसाद के रूप में ठेकुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, मालपुआ, चावल के बने लड्डू ले सकते हैं।

सूर्य को अर्घ्य देने की विधि: ऊपर बताई गई सभी सामग्री बांस की टोकरी में रख लें और सूर्य को अर्घ्य देते समय प्रसाद को भी सूप में रखें। इसके बाद सूप में ही दीपक जलाएं और अब नदी या तालाब में उतरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।

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छठ पूजा 2022 के नियम 

  • छठ पूजा सदैव स्वच्छ कपड़ों में करनी चाहिए और यदि संभव हो, तो नए कपडे धारण करके पूजा करें।
  • इस महापर्व के दौरान मुख्यतः नहाय-खाय से लेकर छठ के समापन तक व्रती का बिस्तर पर सोना निषेध होता है।
  • छठ पूजा के दौरान सात्विक भोजन ही करना चाहिए, साथ ही शराब के सेवन से बचना चाहिए।
  • इस पूजा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।   

छठ पूजा 2022 के दौरान किन-किन बातों का रखें ख्याल?

  • सूर्यदेव को समर्पित छठ पूजा के दौरान सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों और निर्धन लोगों की मदद करनी चाहिए। 
  • छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय नमकीन वस्तुओं को हाथ लगाने से बचना चाहिए।
  • अगर आप किसी जरूरतमंद को छठ पूजा का सामान दिलवाकर उसे छठ पूजा संपन्न करने में सहायता करते हैं तो ऐसा करना आपके लिए बहुत ही शुभ और फलदायी साबित होता है।
  • भगवान सूर्य को स्टील, प्लास्टिक, शीशे, चांदी आदि के बर्तन से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।

छठ पूजा 2022 पर इन उपायों को करने से मिलेगी हर समस्या से मुक्ति 

  1. संतान के सौभाग्य और सुख-समृद्धि के लिए गुड़ डालकर मीठे चावल बनाए और अब इन चावलों को सूर्यदेव को दिखाने के बाद घर के पूजा स्थल में रखें और सूर्यदेव के मंत्र ‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:‘ का 108 बार जाप करें। अब गुड़ से बने चावलों को प्रसाद के रूप में अपनी संतान को खिलाएं।
  2. जो लोग प्राइवेट नौकरी करते हैं और ऑफिस में मनचाही पोजीशन पाना चाहते हैं। ऐसे लोग छठ पूजा के अवसर पर अपने पिता को एक तांबे का सिक्का तोहफे में दें और सूर्यदेव के मंत्र “ऊँ घृणिः सूर्याय नमः” का दो माला जाप करें। 
  3. समाज में अपने मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए शाम के समय सूर्यदेव को प्रणाम करें और 24 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। 
  4. जो लोग संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं, तो आप लोगों को शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, साथ ही गेहूं के आटे और गुड़ से बना कोई व्यंजन पक्षियों को खिलाना चाहिए।

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