कब से लग रहा है चातुर्मास? इस दौरान नहीं किये जा सकेंगे कोई भी मांगलिक कार्य

हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व बताया जाता है। यह वह समय अवधि होती है जब हिंदू धर्म में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इस वर्ष चातुर्मास 20 जुलाई से प्रारंभ हो रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि से प्रत्येक वर्ष चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। इस पर चातुर्मास 14 नवंबर तक रहेगा और इसके बाद कार्तिक मास की एकादशी तिथि के दिन इसका समापन हो जाएगा और तब फिर शुभ और मांगलिक कार्य पुनः शुरू किए जा सकेंगे।

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क्या होता है चातुर्मास?

चातुर्मास का शाब्दिक अर्थ होता है चार महीनों की समय अवधि। यह वह समय होता है जिस दौरान हिंदू धर्म में किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। अर्थात इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जा सकता है। हालांकि धर्म कर्म, दान पुण्य, पूजा पाठ के लिए यह समय अवधि बेहद ही अनुकूल मानी गई है। कहा जाता है इस दौरान भगवान विष्णु निद्रा में चले जाते हैं और इस दौरान धरती का संचालन भगवान शिव के कंधों पर होता है। ऐसे में भगवान शिव की प्रसन्नता हासिल करने के लिए चातुर्मास की अवधि बेहद ही महत्वपूर्ण बताई गयी है।

चातुर्मास में क्या करें और क्या ना करें?

चातुर्मास से संबंधित कुछ विशेष काम है जो बताए गए हैं जिन्हें करने से व्यक्ति की मनचाही मनोकामना की पूर्ति होती है। वहीं कुछ काम इस दौरान करने वर्जित भी होते हैं। तो आइए जान लेते हैं कि क्या है वह काम जिन्हें चातुर्मास के दौरान करना चाहिए और किन कामों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

  • चातुर्मास के दौरान खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें। 
  • इस दौरान साग, हरी सब्जियां, दूध, दही, दाल खाना वर्जित माना गया है। 
  • इसके अलावा इस दौरान मांस मदिरा और किसी भी तरह के तामसिक भोजन से भी दूरी बनाए रखना अच्छा रहता है। 
  • इस दौरान कांसे के बर्तन में भोजन करना वर्जित होता है। 
  • इस दौरान शरीर पर तेल लगाना या पलंग पर सोना भी मना होता है।

चातुर्मास के दौरान जितना जल्दी हो सके सुबह जल्दी उठना चाहिए। साफ वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की आराधना और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके अलावा इस दौरान भगवान शिव की उपासना भी करनी चाहिए। इस दौरान यदि आप भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का जप करते हैं तो आपके लिए यह विशेष फलदाई साबित होता है। इस दौरान भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल, फल, और मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और यथाशक्ति के अनुसार दान पुण्य करना चाहिए।

चातुर्मास का धार्मिक महत्व

धार्मिक दृष्टि से भी चातुर्मास का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है इस दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में 4 महीनों के लिए विश्राम करते हैं। ऐसे में इस दौरान सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। ऐसे में इस दौरान भगवान शिव की पूजा करना विशेष फलदायी होता है। यही वजह है कि चातुर्मास में ही भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आता है। भगवान विष्णु की अनुपस्थिति की वजह से ही इस दौरान विवाह और कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इसके बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी आती है जब भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं और तब दोबारा शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

चातुर्मास से संबंधित सावधानियां

कहा जाता है चातुर्मास के दौरान खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इस दौरान हमारी पाचन शक्ति काफी कमजोर हो जाती है। इसलिए इस दौरान जितना हो सके पानी को उबालकर पीना चाहिए और संयमित भोजन करना चाहिए।

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