सावधान! इस चंद्र ग्रहण पर भूल से भी मत करना ये काम

ज्योतिषीय दृष्टि में देखें तो चंद्र ग्रहण को एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। जिसके घटित होने पर आम तौर से लोगों में एक अजीब सी उत्सुकता देखते ही बनती है। खगोल विज्ञान की माने तो जिस स्थिति में सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इसी असामान्य स्थिति को चंद्र ग्रहण माना गया है। वहीं दूसरी ओर पौराणिक मान्यताओं की माने तो छाया ग्रह राहु और केतु जिस समय चंद्रमा को निगल जाते हैं तो उस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। हालाँकि चंद्र ग्रहण के पीछे समुद्र मंथन से जुड़ी एक रोचक एवं पौराणिक कथा भी प्रचलित है।

चंद्र ग्रहण, सूर्य ग्रहण की तरह ही घटित होता है, जिस दौरान उनकी संख्या कभी दो होती है तो कभी तीन। वर्ष 2021 का पहला चंद्र ग्रहण बुधवार 26 मई को घटित होगा। 

कब है साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण?

साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल विक्रम संवत 2078 के वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बुधवार के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। भारतीय समयानुसार दोपहर के 2 बज कर 17 मिनट पर यह चंद्र ग्रहण शुरू होगा और शाम के 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। इस साल का पहला चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण रहने वाला है जिसे सुपर ब्लड मून भी कहा जाता है। इस चंद्र ग्रहण से वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र सबसे अधिक प्रभावित होने वाले हैं।

सूतक के दौरान बरतनी चाहिए ये सावधानियाँ

विशेषज्ञों अनुसार, माना गया है कि ग्रहण के सूतक के दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।  अब जानते हैं सूतक काल के दौरान किन बातों का ध्यान रखना अनिवार्य होता है:-

  • सूतक और ग्रहण काल के दौरान विशेष रूप से मूर्ति पूजन, मूर्ति स्पर्श और कुछ भी खाना या पीना वर्जित माना गया है
  • तुलसी के पौधे का स्पर्श करने से भी परहेज करें।
  • सूतक और ग्रहण काल के समय कुछ मंत्रों का जप करना विशेष लाभकारी माना गया है।
  • सूतक काल के समय सभी गर्भवती महिलाएं काटने, छीलने या सिलने का कार्य बिल्कुल न करें।
  • हालांकि कई लोग मानते हैं कि सूतक के ये नियम असहाय,गर्भवती महिलाएं, बुज़ुर्ग, बच्चे और बीमार व्यक्ति पर यह लागू नहीं होते है।

    ग्रहण के समय क्या करें या क्या न करें

विशेषज्ञों की माने तो ग्रहण से वातावरण में नकारात्मक शक्तियाँ बहुत प्रबल हो जाती हैं। जिनका सीधा बुरा असर मानव समुदाय पर देखने को मिलता है। इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के हर प्रकार के बुरे प्रभावों से बचने के लिए या इन्हे कम करने के लिए कुछ कार्य सुझाए गए हैं, जिन्हे अवश्य रूप से करना चाहिए और कुछ कार्य करने से परहेज करना चाहिए।

  • चंद्र पर ग्रहण लगने से पहले दूध-दही और बने हुए भोजन में तुरंत तुलसी के कुछ पत्ते आवश्यक ही डाल दें। माना गया है कि,ऐसा करने से इन पदार्थों पर ग्रहण का असर खत्म हो जाता है।
  • ग्रहण से पहले ही भोजन कर लें और ग्रहण के दौरान उपवास रखें।
  • ग्रहण के समय पूजन, भगवान की मूर्ति और तुलसी व शमी के पौधे का स्पर्श पर्ने से परहेज करें।
  • गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान कुछ भी धारदार वास्तु का उपयोग जैसे:- चाकू, कैंची, सुई, आदि न करें।
  • ग्रहण के समय जितना अधिक से अधिक हो सके चंद्र मंत्र का जप करें और ईश्वर का ध्यान करें।

ग्रहण समाप्ति के बाद तुरंत करें ये काम

  • ग्रहण की समाप्ति पर तुरंत स्नान करे और भगवान की मूर्तियों को भी गंगाजल से शुद्ध करें।
  • तुलसी व शमी के पौधे को भी गंगाजल से शुद्ध करें।
  • ग्रहण के बाद हवन और गरीबों को दान और दक्षिणा दें।
  • मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान पहने गए कपड़े दोबारा नहीं पहनने चाहिए। मुमकिन हो तो ग्रहण के बाद स्नान करके इन कपड़ों को दान कर देना चाहिए।
  • चंद्र ग्रहण के बाद अपने पितरों को याद करें और उनके नाम पर जितना हो सके दान करें। इससे ग्रहण का प्रभाव अवश्य ख़त्म किया जा सकता है।
  • अगर आप के घर में तुलसी का पौधा है तो ग्रहण से वो भी प्रभावित होगा। ऐसे में ग्रहण के बाद उसपर भी गंगाजल छिड़क कर उसके बाद ही पूजा शुरू करें।

ये देखा गया है कि ग्रहण का असर हर राशि पर पड़ता है लेकिन माना गया है कि गर्भवती स्त्री और उसके होने वाले बालक के लिए ग्रहण का प्रभाव 108 दिनों तक रहता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को इसको लेकर बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसा कहते हैं कि जो गर्भवती महिलाएं ग्रहण को नग्न आँखों से देख लेती हैं तो इसके प्रभाव से उनके शिशु को शारीरिक या मानसिक हानि हो सकती है। हालांकि आधुनिक विज्ञान में इस तथ्य का कोई आधार नहीं मिलता है।

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