क्या होता है चंद्र दर्शन का मतलब और इस दिन की सही पूजन विधि: जानें सबकुछ

हर महीने अमावस्या की तिथि आती है और अमावस्या के बाद जब पहली बार चंद्रमा दिखाई देता है तो इसे चंद्र दर्शन दिवस के रूप में प्रत्येक माह मनाया जाता है। चंद्र दर्शन का यह दिन बेहद ही महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। इस दौरान चंद्र देवता की पूजा करने और व्रत करने का विधान बताया जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि के साथ-साथ चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चंद्र दर्शन तिथि

चैत्र माह का चंद्र दर्शन 13 अप्रैल के दिन पड़ा है। इस दिन चंद्रमा की पूजा और चंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए व्रत आदि किया जाता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्रमा का दर्शन करने के लिए सूर्यास्त के ठीक बाद का समय बेहद ही उपयुक्त माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, चंद्रमा के दर्शन से व्यक्ति को अपने जीवन में सभी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इसे बेहद ही सौभाग्यशाली और समृद्धि देने वाला भी माना गया है।

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चंद्रमा का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व 

हिंदू धार्मिक मान्यताओं में चंद्रमा को ज्ञान, बुद्धि और मन का स्वामी ग्रह माना गया है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में चंद्रमा नीच या अशुभ स्थिति में मौजूद होता है उन्हें अपने जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देवता की पूजा करने से इस तरह के ग्रह दोष शांत होते हैं। साथ ही व्यक्ति को मानसिक शांति का भी अनुभव भी होता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रमा के साथ-साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

चंद्र दर्शन की पूजन विधि 

  • इस दिन शाम के समय चंद्र देवता की पूजा करें। 
  • पूजा में चंद्र देवता को अर्घ्य, रोली और तिलक फूल आदि अवश्य अर्पित करें। 
  • इस दिन की पूजा करते समय चंद्र देवता के इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप अवश्य करें।

पूजा में शामिल करें ये मंत्र: ‘ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात ।।

कहा जाता है जो कोई भी व्यक्ति इस दिन सच्ची श्रद्धा के साथ चंद्र देवता की पूजा अर्चना करता है या व्रत करता है उसके जीवन से तनाव और सभी तरह के दुख कष्ट और परेशानियां दूर होती हैं।

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