वैदिक ज्योतिष में चमत्कारिक यंत्रों के महत्व को विस्तार से बताया गया है। चमत्कारिक यंत्रों के अनेक फायदे होते हैं। हालांकि इसके लाभ पाने के लिए यंत्रों को विधिपूर्वक स्थापित करना होता है और यंत्र की नित्य साधना करनी पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि ज्योतिष में प्रयोग किए जाने वाले यंत्रों की सहायता से ब्रंह्माण्ड में स्थित विभिन्न प्रकार की दैवीय शक्तियों को प्राप्त किया जा सकता है। इन यंत्रों का प्रयोग हमारे वेद और पुराणों में मिलता है। इसलिए यंत्रों का महत्व हमारे लिए बढ़ जाता है।
शास्त्रों में इन यंत्रों को बनाने की विधि भी बतायी गई है। इन यंत्रों को बनाने में मुख्य रूप से पाँच प्रकार की आकृतियों का प्रयोग किया जाता है। इनमें बिन्दु, वृत, ऊर्ध्वमुखी त्रिकोण, अधोमुखी त्रिकोण एवं वर्ग हैं जो पाँच तत्वों (आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी) का प्रतिनिधित्व करते हैं। आइए जानते हैं विभिन्न प्रकार के यंत्रों का महत्व, लाभ एवं इन्हें स्थापित करने की विधि:
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1. व्यापार वृद्धि यंत्र
व्यापार वृद्धि यंत्र के प्रभाव से भाग्य में वृद्धि और व्यवसाय में उन्नति होती है। यह यंत्र व्यापार-व्यवसाय में तरक्की के साथ-साथ आय के नए साधनों को सृजित करता है। वे जातक जिन्हें लगातार व्यवसाय में आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए यह यंत्र बेहद ही लाभकारी है। बिज़नेस में होने वाली हानि और नुकसान से बचने के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र का उपयोग अवश्य करना चाहिए।
व्यापार वृद्धि यंत्र की स्थापना विधि
- व्यापार वृद्धि यंत्र शुभ मुहूर्त देखकर स्थापित किया जा सकता है।
- शुक्ल पक्ष में रविवार को इस यंत्र की स्थापना के लिए शुभ माना जाता है।
- विधिवत पूजन करने के बाद ‘’ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नम:’’ मंत्र का जाप करें।
- यंत्र को घर, दफ्तर या दुकान में स्थापित करें
- प्रतिदिन व्यापार वृद्धि यंत्र की पूजा करें।
2. सरस्वती यंत्र
माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं और सरस्वती यंत्र को उनका स्वरूप माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस यंत्र को स्थापित और उसकी पूजा करने से देवी सरस्वती की कृपा बनी रहती है। सरस्वती यंत्र की पूजा ज्ञान, विद्या, कला, संगीत, गायन और वाणी कौशल के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए किया जाता है।
यंत्र स्थापित करने की विधि
- सरस्वती यंत्र को स्थापित करने का सबसे श्रेष्ठ दिन वसंत पंचमी होता है।
- गुरुवार के दिन भी इसे स्थापित किया जा सकता है।
- इस दिन प्रात:काल स्नान के बाद सफेद या पीले वस्त्र पहनें।
- पंचामृत से यंत्र को स्नान कराएं फिर यंत्र पर पीले फूल अर्पित करें।
- सरस्वती माँ का ध्यान करते हुए “ॐ ऐं सरस्वत्यै नम:’’ मंत्र का जाप करें।
- पूजन के बाद इस यंत्र को अपने अध्ययन कक्ष में रखें।
3. कुबेर यंत्र
कुबेर यंत्र के माध्यम से कुबेर देव की पूजा की है। इस यंत्र की कृपा से धन प्राप्ति के योग बनते हैं और जीवन में आने वाली आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं। इस यंत्र को घर या दफ्तर में स्थापित करने से भाग्य वृद्धि होती है। कुबेर के प्रभाव से अपार धन और आय नए साधनों का सृजन होता है। इस यंत्र को कोई भी व्यक्ति स्थापित कर सकता है।
स्थापित करने की विधि
- कुबेर यंत्र की स्थापना धनतेरस और दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में करें।
- यंत्र को पंचामृत से स्नान कराएं।
- इसके बाद विधिवत तरीके से कुबेर यंत्र की पूजा करें
- ‘’ॐ कुबेराय नम:’’ मंत्र का जाप करें।
- अब यंत्र को किसी शुभ स्थान पर स्थापित करें।
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4. महालक्ष्मी यंत्र
महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना और पूजन से धन की देवी माँ लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं। इस यंत्र की कृपा से भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त किया जा सकता है। महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
यंत्र स्थापित करने की विधि
- इस यंत्र को कार्तिक अमावस्या के दिन स्थापित करें।
- यंत्र की स्थापना से पूर्व यंत्र को पंचामृत से स्नान कराएँ।
- विधिवत पूजन के बाद माँ लक्ष्मी का ध्यान करें।
- अब ‘’ॐ महालक्ष्म्यै नम:’’ मंत्र का जाप करें।
- यंत्र को घर, अलमारी या दफ्तर में स्थापित कर दें।
5. महामृत्युंजय यंत्र
महामृत्युंजय यंत्र को बेहद शक्तिशाली माना गया है। महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस यंत्र की स्थापना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है। यह यंत्र शारीरिक और मानसिक पीड़ा को भी नष्ट करता है। महामृत्युंजय यंत्र को कवच के रूप में भी धारण किया जाता है।
स्थापित करने की विधि
- इस यंत्र को स्थापित करने से पहले भगवान शिव का पूजा करें।
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से यंत्र को स्नान कराएँ।
- इसके बाद फूल और बिल्व पत्र अर्पित करें।
- पूर्व दिशा की ओर मुख कर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
- यंत्र को किसी शुभ स्थान पर स्थापित करें।
6. हनुमान यंत्र
समस्त कष्टों के निवारण के लिए बजरंगवली को हनुमान यंत्र की साधना से प्रसन्न किया जा सकता है। हनुमान यंत्र के माध्यम से कुंडली में मंगल ग्रह के बुरे प्रभावों को भी कम होते हैं। इस यंत्र को स्थापित और पूजन करने से बल, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। श्री हनुमान यंत्र के प्रभाव से विभिन्न दोष व कष्टों का निवारण होता है तथा जीवन में अनेक शुभ फल की प्राप्ति होती है।
हनुमान यंत्र स्थापित करने की विधि
- हनुमान यंत्र को मंगल के दिन स्थापित करें।
- इस दिन प्रात:काल स्नान करने के बाद लाल वस्त्र पहनें।
- इसके बाद स्वच्छ कपड़ा बिछाकर हनुमान यंत्र को रखें।
- अब सिंदूर, चावल, पुष्प व दीप आदि से पूजन करें।
- हाथ में पुष्प लेकर “हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्‘’ मंत्र का जाप करें।
- अब हनुमान यंत्र को किसी शुभ स्थान पर स्थापित करें
7. श्री यंत्र
श्री यंत्र महालक्ष्मी को आकर्षित करने वाला बेहद शक्तिशाली यंत्र होता है। इसकी पूजा से जीवन में सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके प्रभाव से जन्म कुंडली में स्थित दोष दूर हो जाते हैं। इस यंत्र की नियमित पूजा से अष्ट सिद्धि और नौ निधियों की प्राप्ति होती है। नवरात्र, शिवरात्रि और दीपावली के शुभ मुहूर्त पर मंत्र सहित श्री यंत्र को सिद्ध किया जा सकता है।
यंत्र स्थापित करने की विधि
- श्री यंत्र की स्थापना श्रेष्ठ मुहूर्त में की जाती है।
- यंत्र को दीपावली, शिवरात्रि, अक्षय तृतीया में स्थापित करना चाहिए।
- प्रात: काल स्नान के बाद श्री यंत्र को लाल कपड़े पर रखें।
- श्री यंत्र को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) से स्नान कराएँ।
- इसके बाद लाल चंदन, लाल फूल, अबीर, रोली और अक्षत चढ़ाकर पूजन करें।
- फिर श्री यंत्र पर लाल चुनरी चढ़ाएं तथा धूप, दीप से आरती उतारें और “ॐ महालक्ष्म्यै नम:” मंत्र का जाप करें।
वैदिक ज्योतिष में इन यंत्रों का कितना बड़ा महत्व है आप यह समझ ही गए होंगे। ज्योतिष में विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए यंत्र पूजा को बहुत कारगर उपाय माना जाता है। यदि आप इन यंत्रों का लाभ पाना चाहते हैं तो आप उपरोक्त विधि के अनुसार यंत्र को प्रतिष्ठित कर उनकी नित्य आराधना करनी चाहिए!