चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन: किस देवी की कैसे करें उपासना, अभी जानें!

नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा का विधान है। माँ ब्रह्मचारिणी ने अपने एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमण्डल धारण किया हुआ है। शास्त्रों में जो ब्रह्मचारिणी देवी के उत्पत्ति की कथा बताई गयी है उसके अनुसार माँ दुर्गा ने पर्वतराज की पुत्री के रूप में, अर्थात माता पार्वती के रूप  में उनके घर में जन्म लिया था। महर्षि नारद के कहने पर महादेव जी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की थी जिसके चलते उनका एक नाम तपश्चारिणी पड़ा।

अपनी इस कठोर तपस्या के दौरान उन्होंने कई वर्षों तक बिना अन्न-जल ग्रहण किये हुए बिताया था। देवी की इस तपस्या से महादेव बेहद प्रसन्न हुए थे। नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के इसी रूप की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान इस मन्त्र का उच्चारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मन्त्र:

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू। देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

इस मन्त्र का तात्पर्य है कि, जिन देवी के एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में उन्होंने कमण्डल धारण किया है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।

कैसे करें देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा 

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शांत मन से ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करें।
  • सबसे पहले माता रानी को दूध, दही, घी, शकर्रा, इत्र, और मधु से स्नान कराएं।
  • इसके बाद माता को फल, फूल, अक्षत, रोली, चंदन, मिश्री, लौंग, ईलायची इत्यादि अर्पित करें।
  • ब्रह्मचारिणी देवी को दूध और दूध से बने हुए व्यंजन अतिप्रिय होते हैं ऐसे में माता को इस चीज़ का भोग अवश्य लगाएं।

इस दिन किस रंग के वस्त्र पहनकर करें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा 

ब्रह्मचारिणी देवी को माँ सरस्वती का रूप माना गया है, इसके अलावा इस दिन के बारे में ये भी कहा जाता है कि जब माता पार्वती ने महादेव को पाने के लिए ब्रह्मचारिणी देवी का रूप धारण किया था तब उन्होंने पीले रंग के ही वस्त्र पहने थे। ऐसे में इस दिन, और खासकर ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करते समय पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।

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ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा से मिलता है यह लाभ

  • ब्रह्मचारिणी देवी का नाम दो शब्दों ब्रह्मा और चारिणी से मिलकर बना है। ब्रह्मा शब्द का मतलब होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली। यानि कि ब्रह्मचारिणी देवी के नाम का मतलब हुआ तप का आचरण करने वाली.
  • माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से जीवन में सिद्धि और विजय की प्राप्ति अवश्य होती है।
  • ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा करने से इंसान की इच्छाशक्ति बढ़ती है और इंसान के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • ब्रह्मचारिणी देवी अपने भक्तों को संघर्ष से  लड़ने की शक्ति प्रदान करती हैं और, उनके जीवन के सफलता के मार्ग को खोलती हैं।

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ब्रह्मचारिणी देवी से जुड़ा ज्योतिषीय संदर्भ

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह का नियंत्रण करती हैं। ऐसे में ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव भी कम किये जा सकते हैं।

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