चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन माँ कालरात्रि को समर्पित होता है। माँ कालरात्रि का शरीर अंधेरे की तरह काला है। माँ के लंबे बिखरे हुए बाल हैं, गले में माला है। माँ कालरात्रि की चार हाथ है जिसमें उन्होंने खडग, लोहे का शस्त्र है। माँ का एक हाथ वरद मुद्रा में है और दूसरा अभय मुद्रा में है।
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मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, माँ कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी तरह के संकट दूर होते हैं और बुरी शक्तियों का प्रभाव खत्म होने लगता है। माँ कालरात्रि दुष्टों और शत्रु का संघार करने वाली मानी गई हैं।
इसके अलावा माँ की पूजा करने से व्यक्ति का मानसिक तनाव भी दूर होता है। कहते हैं शत्रु का नाश करने वाली माँ कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय अवश्य दिलवाती हैं। तो आइए अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जान लेते हैं माँ कालरात्रि की पूजा की सही विधि क्या है, इस दिन क्या कुछ उपाय किए जा सकते हैं, साथ ही जानते हैं माँ कालरात्रि पर किस ग्रह का आधिपत्य होता है और किस तरह से माँ को प्रसन्न करके हम कुंडली के उस ग्रह को मजबूत बना सकते हैं।
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माँ कालरात्रि सही पूजन विधि
- इस दिन कलश और भगवान गणेश की पूजा के बाद पूजा प्रारंभ करें।
- पूजन स्थल को गंगाजल या गोमूत्र से शुद्ध करें।
- इसके बाद सप्तशती मंत्र से माँ कालरात्रि के साथ-साथ सभी देवी देवताओं की पूजा करें।
- माँ को वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दूर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, भोग, आदि अर्पित करें।
- माँ के मंत्रों का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- अंत में माँ की आरती कहें और अनजाने में भी हुई किसी भी भूल की क्षमा अवश्य मांगे। साथ ही माँ से अपनी मनोकामना भी कहें।
शनि ग्रह को नियंत्रित करती है माँ कालरात्रि- इस दिन अवश्य करें ये उपाय
सभी ग्रहों में सबसे उग्र ग्रह शनि ग्रह पर माँ कालरात्रि का आधिपत्य माना गया है। माँ कालरात्रि को देवी पार्वती के समतुल्य माना जाता है। माँ के नाम का शाब्दिक अर्थ देखे तो इसका अर्थ होता है अंधेरे को खत्म करना इसीलिए कहा जाता है कि जब आपके जीवन में निराशा हद से ज्यादा बढ़ने लगे, आप शत्रुओं से परास्त होने लगे और आपको हर तरफ अपने विरोधी नजर आए ऐसे में नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर उपाय के तौर पर माँ कालरात्रि की पूजा अवश्य करें।
माँ कालरात्रि की पूजा शत्रु बाधा से मुक्ति दिलाती हैं। इसके अलावा शनि ग्रह पर भी माँ कालरात्रि का नियंत्रण माना गया है। ऐसे में माँ कालरात्रि की पूजा करने से शनि के बुरे प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
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माँ कालरात्रि स्वरूप
स्वरूप की बात करें तो माँ कालरात्रि अंधकार के समान काले रंग की है, इन के बाल हमेशा खुले और बिखरे रहते हैं, उन्होंने गले में चमकदार माला धारण की है। माँ कालरात्रि के तीन नेत्र हैं। इसके अलावा इन नेत्रों से चमकीली किरणें निकलती रहती हैं माँ गधे पर विराजमान है दिखने में माँ का स्वरूप बेहद ही भयानक है हालांकि माँ कालरात्रि अपने रूप के विपरीत हमेशा शुभ फल ही प्रदान करती हैं और यही वजह है कि माँ को शुंभकरी नाम से भी जाना जाता है।
माँ कालरात्रि प्रिय भोग
बात करें भोग की तो माँ कालरात्रि को शहद बेहद प्रिय है। ऐसे में नवरात्रि के सातवें दिन की पूजा में शहद का भोग अवश्य शामिल करें। इससे माँ की प्रसन्नता जल्दी हासिल होती है।
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नवरात्रि के सातवें दिन रख रहे हैं व्रत तो इन रंग के वस्त्र अवश्य करें धारण
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के प्रत्येक दिन के अलग-अलग रंग निर्धारित किए गए हैं। इस कड़ी में बात करें 7वें दिन के रंग की तो इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनने की मान्यता है। ऐसे में यदि आपने इस दिन का व्रत किया है और पूजा करने जा रहे हैं तो आपको सलाह दी जाती है कि इस दिन लाल रंग के कपड़े अवश्य पहनकर ही माँ कालरात्रि की विधि विधान से पूजा अवश्य करें।
ऐसा करने से निश्चित ही आपके शत्रु आपसे परास्त होंगे और आप जीवन में सफलता की ओर अग्रसर होंगे। इसके अलावा आप चाहे तो इस दिन नारंगी रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं। यह वस्त्र गर्मी, आग और ऊर्जा को संबोधित करता है।
माँ कालरात्रि का दूसरा मंत्र –
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।
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