चैत्र नवरात्रि 2022 क्यों है इतनी ज्यादा खास, जानें पूजाविधि, शुभ मुहूर्त और राशिनुसार ज्योतिषीय उपाय

हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से हिन्दू नव वर्ष का आरंभ होता है। जो कि इस वर्ष 2 अप्रैल, 2022 दिन शनिवार से शुरू होने जा रहा है। इस दिन से सभी श्रद्धालु माँ दुर्गा की अखण्ड साधना करते हैं तथा माता को प्रसन्न करने के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बड़े ही विधिविधान से पूजा-अर्चना करते हैं।

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पौराणिक कथा

एक पैराणिक कथा के अनुसार, राक्षस महिषासुर ने भगवान शिव की अखंड साधना व तपस्या करके अजेय (जिसे जीता न जा सके) होने का वरदान प्राप्त कर लिया। उसके बाद महिषासुर और देवताओं के बीच एक संग्राम यानी कि युध्द हुआ, जिसमें सभी देवतागण इस राक्षस से हार गए, यहां तक कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी उसे हरा न सके। सभी देवतागण जानते थे कि यदि इसका अंत नहीं हुआ तो यह अपने इस वरदान का दुरुपयोग करेगा। तब सभी देवताओं ने काफ़ी सोच-विचार करने के बाद माँ दुर्गा का आह्वान किया यानी कि उन्हें बुलाया। कहा जाता है कि सभी देवताओं ने माँ दुर्गा को अपनी-अपनी शक्तियां प्रदान की तथा अपने-अपने अस्त्र दिए और माता से महिषासुर का अंत करने की प्रार्थना की।

सभी देवताओं की प्रार्थना के बाद माँ जगदंबा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक युध्द चला। जिसमें माँ दुर्गा ने 9 रूप धारण कर, इस राक्षस का वध किया था तथा सभी देवताओं को भयमुक्त किया था। इसी दिन से नवदुर्गा के रूप में माँ दुर्गा की आराधना होने लगी।

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही ब्रह्मा जी और मनु ने मिलकरबिस सृष्टि का निर्माण करना शुरू किया था। इसी कारण हम लोग इस दिन को हिन्दू नववर्ष के रूप में मनाते हैं।

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हिन्दू नववर्ष कैसे मनाएं?

  • सुबह जल्दी उठें। दिव्य स्नान करें। 
  • अपने घर में रंगोली बनाएं तथा घर के मुख्य दरवाज़े पर कुछ फूलों और आम के पत्तों से बनी हुई झालर (बंदनवार) लगाएं। 
  • इसके बाद अपने घर के ऊपर भगवा झंडा लगाकर एक-दूसरे को शुभकामनाएं दें और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाएं।

नवदुर्गा की पूजा विधि एवं ध्यान रखने योग्य बातें

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि यानी कि 2 अप्रैल, 2022 दिन शनिवार से नवदुर्गा का पावन पर्व शुरू हो रहा है, जो लगातार 9 दिनों तक अर्थात 10 अप्रैल, 2022 तक मनाया जाएगा। इन 9 दिनों में माँ दुर्गा की पूजा उनके 9 स्वरूपों में की जाएगी।

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पूजा विधि

  • सबसे पहले सुबह जल्दी उठें। पवित्र स्नान करें। इसके बाद लकड़ी के पाटे पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर माँ दुर्गा की 9 रूपों वाली प्रतिमा (मूर्ति, फोटो) स्थापित करें। पाटे के सामने तांबे, पीतल या मिट्टी का एक कलश रखें तथा उसे आम के पत्तों से भर लें। फिर उस कलश में कलावा बांधें और उसमें शुद्ध जल से भरें।
  • फिर उस कलश में सुपारी, पंचरत्नी, सर्वोषधि, सप्त मृत्तिका, सप्त धान्य डालकर एक सिक्का डालें। उसके सामने घी का एक दीपक/दीया जलाकर रखें। दीपक की स्थापना इस प्रकार करें कि वह दीपक 9 दिनों तक लगातार जलता रहे। फिर उसके सामने एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी भरकर उसमें जौ बो दें।
  • इसके बाद पाटे पर गौरी जी, गणेश जी, कलश, सूर्य आदि नवग्रह की विधिविधान से पूजा करें। फिर दीपक का पूजन करें। फिर एक नारियल स्थापित करें तथा माँ दुर्गा को एक लाल रंग का झंडा अर्पित करें।
  • उसके बाद पाटे पर माँ दुर्गा की पूजा करें। पूजा करने के लिए पहले माता का आह्वान फिर स्नान, वस्त्र, सिंदूर से तिलक, चावल, धूपबत्ती, दीपक, सुगंधित द्रव्य, मिठाई और पान सुपारी से पूजा करें। इसके बाद माता को चुनरी एवं श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं और फिर अपने पूरे परिवार के साथ उनकी पूजा-अर्चना और आरती करें। इसी प्रकार लगातार 9 दिनों तक माता की पूजा, आराधना, वंदना करके कन्या भोज भी कराएं।

शुभ मुहूर्त

इस वर्ष माँ दुर्गा घोड़े की सवारी पर आ रही हैं, जो हमें बहुत ही शुभ फल प्रदान करेंगी। तो आइए जानते हैं कि हिन्दू पंचांग के अनुसार घट स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है।

तिथि: 2 अप्रैल, 2022

दिन: शनिवार

मुहूर्त आरंभ: सुबह 06:20 बजे से

मुहूर्त समाप्त: सुबह 08:33 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:09 बजे से 12:58 बजे तक

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली, भारत के लिए दिया गया है। यदि आप अपने शहर का मुहूर्त जानना चाहते हैं तो एस्ट्रोसेज पंचांग पर अपना शहर डालकर शुभ मुहूर्त की सटीक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

नवदुर्गा में हमें क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए

  • घी का दीपक 5 लौंग के साथ लगातार 9 दिनों तक जलता रहना चाहिए।
  • सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए तथा शराब एवं अभक्ष्य भोजन नहीं करना चाहिए।
  • न ही नाखून काटने चाहिए और न ही दाढ़ी-बाल आदि कटवाने चाहिए।
  • रात में अखण्ड ज्योति को छोड़कर कहीं और न रहें।

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किस राशि के जातक को किस रंग के फूल से माता की पूजा करनी चाहिए

मेष: लाल रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

वृषभ:  सफेद रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

मिथुन: हरे व पीले रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

कर्क: लाल व सफेद रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

सिंह: लाल रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

कन्या: हरे व पीले रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

तुला: सफेद रंग के फूलों से माता की पूजा करें।

वृश्चिक: लाल रंग के फूलों से माता की पूजा करें।

धनु: पीले रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

मकर: नीले व सफेद रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

कुंभ: सफेद व लाल रंग के फूलों से माता की पूजा करें।

मीन: पीले रंग के फूलों से माता का पूजन करें।

:- आपको बता दें कि माँ दुर्गा को विशेष रूप से गुड़हल के फूल बहुत प्रिय होते हैं। 

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