चैत्र अमावस्या 2024: भूतों से है इस अमावस्या का संबंध, जानें नकारात्मक शक्तियों से बचने के उपाय!

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको चैत्र अमावस्या 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर नकारात्मकता से बच सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से चैत्र अमावस्या के बारे में।

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हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। प्रत्येक वर्ष में 12 अमावस्या पड़ती हैं, जो 12 महीने में पड़ती है और इन सभी अमावस्या का अपना विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है। चैत्र अमावस्या को सनातन धर्म में बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। यह अमावस्या मार्च आखिरी या अप्रैल की शुरुआत में आती है। चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन लोग धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान, दान जैसे चीज़े करने का बहुत अधिक महत्व है। तो आइए किसी कड़ी में आगे बढ़ते हैं और बिना देरी किए जानते हैं चैत्र अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त व इस दिन किए जाने वाले उपाय और भी बहुत कुछ।

चैत्र अमावस्या 2024: तिथि व समय

पितरों की पूजा के लिए फलदायी मानी जाने वाली चैत्र अमावस्या इस साल 08 अप्रैल 2024, दिन सोमवार को पड़ेगी।

अमावस्या आरम्भ : अप्रैल 8, 2024 की मध्यरात्रि 03 बजकर 23 मिनट से 

अमावस्या समाप्त : अप्रैल 8, 2024 की रात 11 बजकर 52 मिनट तक।

उदया तिथि में होने की वजह से यह 08 अप्रैल को ही मनाई जाएगी।

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चैत्र अमावस्या का महत्व

ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति चैत्र अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए उपाय करता है तो उसे समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और समस्याओं के समाधान के मार्ग भी खुलते हैं। इस दिन लोग कौवे, गाय, कुत्ते और यहां तक कि गरीब व जरूरतमंद लोगों को भी भोजन कराते हैं व दान देते हैं। गरुड़ पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है, अमावस्या वाले दिन पूर्वज अपने वंशजों के यहां जाते हैं इसलिए इस दिन दान पुण्य का महत्व अधिक होता है। चैत्र अमावस्या का व्रत सनातन धर्म में सबसे लोकप्रिय और अधिक महत्वपूर्ण होता है। भक्त अमावस्या व्रत या उपवास सुबह शुरू करते हैं और प्रतिपदा को चंद्रमा के दर्शन होने तक समाप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्रत करने से पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।

चैत्र अमावस्या क्यों कहलाती है भूतड़ी अमावस्या

अलग-अलग माह और विशेष दिनों में पड़ने के कारण अमावस्या को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसे भूतड़ी अमावस्या क्यों कहा जाता है यह प्रश्न हर किसी के मन में जरूर होगा। दरअसल भूत का अर्थ है नकारात्मक शक्तियां। माना जाता है कि कुछ अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए जीवित लोगों पर अपना अधिकार जमाने का प्रयास करती हैं।  इस दौरान आत्माएं या नकारात्मक शक्तियां व ऊर्जाएं उग्र हो जाती है। आत्माओं की इसी उग्रता को शांत करने के लिए चैत्र अमावस्या यानी भूतड़ी अमावस्या पर नदी स्नान करने का महत्व बताया गया है इसलिए इस अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है।

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चैत्र अमावस्या की पूजा विधि

  • चैत्र अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर के सभी कार्यों जैसे- साफ-सफाई आदि को निपटा लें। उसके बाद स्नान करें।
  • यदि संभव हो तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। 
  • स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद गंगाजल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • यदि संभव हो तो इस दिन व्रत व उपवास रखें। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
  • इस दिन अपने इष्ट देव व भगवान का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें।

चैत्र अमावस्या पर ये कार्य जरूर करें

  • चैत्र अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस दिन पितरों की शांति के लिए व्रत भी करना शुभ माना जाता है।
  • यदि इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से आप के लिए फलदायी साबित होगा।
  • इस दिन प्रातः जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें कौर सूर्य को अर्घ्य दें। साथ ही पितरों का तर्पण करें।
  • गरीबों व जरूरतमंदों को उनकी जरूरतों का सामान दान करें।
  • इस दिन तिल के तेल का पितरों के नाम का दीपक मुख्य द्वार पर जरूर जलाएं और उनकी शांति के लिए प्रार्थना करें।
  • चैत्र अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात या 11 बार परिक्रमा करें।

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चैत्र अमावस्या पर इन चीज़ों का करें दान

चैत्र अमावस्या के दिन दान करने से पाप का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं भूतड़ी अमावस्या के दिन किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

  • इस दिन जरूरतमंदों व गरीबों को सरसों के तेल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और साथ ही, जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  • चैत्र अमावस्या पर आप जल का दान कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जल के दान से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। 
  • इस अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद ब्राह्मण को पितरों के निमित्त अनाज का दान करना चाहिए। 
  • यदि आप इस दिन गाय के दूध का दान करते हैं तो इससे आपके पितरों की तृप्ति होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्त होती है। साथ ही, वे आपको आशीर्वाद देते हैं।
  • इस दिन शक्कर या गुड़ का दान करना चाहिए। 
  • इस पावन दिन सभी चीजों के दान के साथ पितरों का जल से तर्पण देने के बाद कर्मकांडी ब्राह्मण को दान में दक्षिणा अपनी श्रद्धा अनुसार देना चाहिए। 
  • इसके अलावा, इस अमावस्या के दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, और अन्य चीज़ों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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नकारात्मक शक्तियों को कम करने के लिए इस दिन करें ये ख़ास उपाय

चैत्र यानी भूतड़ी अमावस्या पर कुछ नकारात्मक शक्तियां एकदम से जागृत हो जाती है। ऐसे में, इन शक्तियों को कम करने के लिए कुछ उपायों को अपना लेना चाहिए। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में। 

गंगाजल से स्नान करें

चैत्र या भूतड़ी अमावस्या पर बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को समर्पित महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से बुरी आत्माएं व नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

भगवान हनुमान व भगवान शिव की पूजा करें

साल 2024 में भूतड़ी अमावस्या सोमवार के दिन है। ऐसे में, इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी आराधना करनी चाहिए। साथ ही, शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर शिव स्तोत्र का पाठ करें। इसके अलावा, हनुमान चालीसा का पाठ भी करें। ऐसा करने से भूत-बाधा से जुड़ा संकट खत्म हो जाता है।

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मां दुर्गा के मंत्र का जाप करें

शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा के आशीर्वाद से सभी प्रकार की प्रेत-बाधाएं दूर हो जाती हैं इसलिए चैत्र अमावस्या के दिन संध्या काल में दीपक जलाकर कम से कम 108 बार प्रभावशाली मंत्र ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का जाप जरूर करें।

कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए

यदि आप चैत्र अमावस्या के दिन किसी नए काम को शुरू कर रहे हैं या कुछ शुभ काम करने के लिए घर से निकल रहे हैं तो एक नींबू में चार लौंग लगा लें और 21 बार ‘ॐ हनुमते नमः’ बीज मंत्र जाप करें। फिर इसे एक साफ और शुद्ध लाल रंग के वस्त्र में बांध लें। ऐसा करने से काम में आने वाली तमाम बाधाएं दूर हो जाती हैं और कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

गाय को रोटी खिलाएं

चैत्र अमावस्या के दिन आप गाय को घी और गुड़ लगी हुई रोटी खिलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके पितरों को शांति मिल सकती है। यदि आप मृत पूर्वजों का नाम लेकर गाय को रोटी खिलाते हैं तो आपके लिए ज्यादा लाभकारी साबित होगा।

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