जानें कैसे हुआ बुद्धि के दाता “बुध” देव का जन्म !

23 अक्टूबर को बुध ग्रह का वृश्चिक राशि में गोचर होने जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र में बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है, और इसका स्वामी बृहस्पति को मानते हैं। बुध में चंद्रमा और बृहस्पति दोनों के गुण देखने को मिलते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ऐसा क्यों है, और बुध ग्रह की उत्पत्ति कैसे हुई! इस बारे में एक बहुत ही रोमांचक कहानी है, तो चलिए आपको आज इस लेख में बुध देव के जन्म की कहानी और चंद्रमा व् बृहस्पति से इनके संबंध के बारे में आपको बताते हैं। लेकिन पहले जान लेते हैं, कि 23 अक्टूबर को बुध का गोचर किस समय हो रहा है –

23 अक्टूबर को बुध कर रहा है गोचर 

बुद्धि दाता ग्रह “बुध” 23 अक्टूबर 2019, बुधवार को रात 10:47 बजे वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे और 31 अक्टूबर 2019, बृहस्पतिवार रात 08:33 बजे वक्री हो जायेंगे। इस स्थिति में बुध देव 7 नवंबर 2019, बृहस्पतिवार की शाम 04:04 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेंगे। 

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कैसे हुआ बुध देव का जन्म? 

देवगुरु बृहस्पति देव को देवताओं का गुरु माना जाता है, जिनसे सभी देवता परामर्श लिया करते थे। चंद्रमा भी बृहस्पति के शिष्यों में से एक थे। बृहस्पति की पत्नी तारा बेहद खूबसूरत थी। सुंदरता में चंद्रमा भी कुछ कम नहीं थे। तारा चंद्रमा की सुंंदरता पर मोहित हो गई और उनके प्रेम में पड़ गई। चंद्रमा भी अपने गुरु की पत्नी से प्रेम करने लगे। तारा ने बृहस्पति को छोड़ दिया और चंद्रमा के साथ रहना शुरु कर दिया। बृहस्पति के बहुत समझाने और वापस बुलाने पर भी जब तारा नहीं मानी, तो बृहस्पति क्रोधित हो गए और अपने ही शिष्य चंद्रमा के साथ युद्ध करने की ठान ली। बृहस्पति देवताओं के गुरु थे, इसीलिए सभी देवता उनके पक्ष में खड़े हो गए। उधर शत्रु के शत्रु को मित्र मानकर दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने चंद्रमा का साथ दिया। 

जब तारा कि कामना में छिड़ गया था युद्ध 

युद्ध छिड़ गया और हर जगह भारी तबाही होने लगी। यह युद्ध तारा की कामना के लिए किया जा रहा था, इसीलिए इस युद्ध को तारकाम्यम युद्ध कहा गया। युद्ध में हो रही भारी नुकसान को देख सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी बेहद परेशान हो गए। जैसे-तैसे बीच-बचाव कर उन्होंने तारा को समझाकर वापस बृहस्पति के पास भेज दिया। कुछ समय बाद ही तारा ने एक पुत्र को जन्म दिया, जो कि बेहद सुंदर था। बृहस्पति तारा के पति थे, तो स्वाभाविक  तौर पर वे बच्चे के पिता कहलाए, लेकिन चंद्रमा ने स्वयं को उस बच्चे का पिता होने का दावा किया। 

एक बार फिर बृहस्पति और चंद्रमा के बीच स्थिति तनावपूर्ण होने लगी। बृहस्पति और चंद्रमा के दावे के बीच तारा चुप थी। अपनी माँ की चुप्पी को देखकर बुध क्रोधित हो गए और तारा से सत्य बताने को कहा। तब तारा ने बुध को बताया कि तुम चंद्रमा के पुत्र हो। इस प्रकार बुध के पिता चंद्रमा और माता तारा हैं। मान्यता है कि गंभीर बुद्धि होने के कारण ही ब्रह्मा जी ने इनका नाम बुध रखा था।

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