बुध गोचर 28 नवंबर 2020: जानें किन राशियों के लिए शुभ है यह गोचर

बुध ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में बुद्धि का कारक ग्रह माना जाता है। यह सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है इसलिए इसे राजकुमार का दर्जा भी प्राप्त है। जल्द ही बुध ग्रह अपना राशि परिवर्तन करेगा और पृ्थ्वी तत्व की तुला राशि से जल तत्व की वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा। आईए जानते हैं बुध का यह गोचर क्यों और कैसे है खास। 

बुध एक तटस्थ ग्रह है इसलिए कुंडली मे जिस ग्रह के साथ भी यह विराजमान होता है उस ग्रह की तरह ही व्यवहार करता है। यदि यह किसी क्रूर ग्रह के साथ विराजमान है तो इसके प्रभाव भी उसी प्रकार होंगे वहीं शुभ ग्रह के साथ इसके परिणाम भी शुभ होंगे। आईए अब बुध ग्रह के ज्योतिषीय पक्ष पर नजर डालते हैं।

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बुध ग्रह का ज्योतिषीय पक्ष

ज्योतिष शास्त्र में बुध को राशिचक्र की तृतीय और षष्ठम राशि मिथुन और कन्या का स्वामी माना जाता है। यह कन्या राशि में उच्च अवस्था में रहता है जबकि मीन राशि में नीच। नक्षत्रों में यह अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती का स्वामी ग्रह है। यह पृथ्वी तत्व से संबंधित ग्रह है और पीतल धातु का प्रतिनिधित्व करता है। बुध का रत्न पन्ना है। यह ग्रह वैदिक विद्याएं भी प्रदान करता है और जिस जातक की कुंडली में यह अनुकूल अवस्था में हो वह ज्योतिष शास्त्र जैसी विद्याओं में भी पारंगत होता है। ज्योतिष में इसे शुभ ग्रह की संज्ञा दी गई है। यह सूर्य और शुक्र का मित्र चंद्र ग्रह का शत्रु है, बाकी सभी ग्रहों के साथ इसका व्यवहार तटस्थ है। 

बुध गोचर का महत्व 

चूंकि बुध ग्रह वाणी, बुद्धि और संचार का कारक माना जाता है इसलिए इसका गोचर भी कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण होता है। जिन जातकों के लिए यह अपनी गोचरीय अवस्था में शुभ भाव मे विराजमान रहता है उनका बौद्धिक विकास होता है, वाणी में प्रखरता आती है और संचार क्षमता भी बढ़ती है। बुध किसी भी राशि में लगभग एक माह तक विराजमान रहता है और उसके बाद राशि परिवर्तन कर देता है। यह ग्रह गणित, अनुसंधान, तर्क, व्यापार और शिक्षा का प्रतिनिधित्व भी करता है इसलिए इसका गोचर विद्यार्थियों के लिए भी बहुत अहम हो जाता है। बुध के गोचर से आपकी वाणी प्रभावित होती है, यदि यह शुभ भाव में विराजमान होता है तो अपनी वाणी के दम पर आप समाज में प्रतिष्ठित होते हैं। 

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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर जल्द

वृश्चिक राशि मंगल के स्वामित्व वाली राशि है। मंगल और बुध का आपस में संबंध तटस्थ है। बुध पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है जबकि मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है, हालांकि वृश्चिक राशि जल तत्व से संबंधित है। वृश्चिक राशि में बुध के गोचर से लोगों के जीवन में काफी परिवर्तन आ सकते हैं। आप अपने फैसलों को लेकर अढिग रहेंगे और शांति से हर काम को करना पसंद करेंगे। जल्दी होने वाले परिवर्तन आपको पसंद नहीं आएंगे। आप शोध कार्यों को करने में इस दौरान रुचि लेंगे। कुछ कार्यों को लेकर लोग अत्यधिक जल्दबाजी भी कर सकते हैं जिसके कारण काम बिगड़ सकता है, ऐसा करने से बचें। हालांकि इस दौरान लोगों की ऊर्जा का स्तर बढ़ सकता है साथ ही एकाग्रता में भी वृद्धि होने की संभावना है। 28 नवंबर 2020 को वृश्चिक राशि में बुध का गोचर मेष, वृषभ, सिंह, तुला और कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभ परिणाम लेकर आएगा। 

आगामी महीनों में बुध गोचर की तिथियां

आईए अब आने वाले महीनों में बुध गोचर की तिथियों पर एक नजर डालें-

राशि से राशि में दिनांकदिन
वृश्चिक धनु17 दिसंबऱ 2020बृहस्पतिवार
धनुमकर5 जनवरी 2021मंगलवार
मकरकुंभ25 जनवरी 2021सोमवार
कुंभमकर (वक्री)4 फरवरी 2021बृहस्पतिवार
मकरकुंभ (मार्गी)11 मार्च 2021बृहस्पतिवार
कुंभमीन1 अप्रैल 2021बृहस्पतिवार

ज्योतिष शास्त्र में बुध का गोचर बहुत अहम माना गया है।  बुध का गोचर 28 नवंबर 2020 को वृश्चिक राशि में होगा जिससे सभी राशियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। वर्तमान में चल रहे कोरोना काल में इस गोचर से क्या परिवर्तन आएंगे, प्रत्येक राशि पर इसका असर क्या होगा यह जानने के लिए विस्तार से पढ़ें वृश्चिक राशि में बुध गोचर का पूरा लेख। 

बुध का वृश्चिक राशि में गोचर विस्तृत राशिफल

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